Chandrayan 3: जानिये कौन हैं रितु करिधाल, जो चांद पर चंद्रयान की कराएंगी सॉफ्ट लैंडिंग
![Chandrayaan 3: Know who is Ritu Karidhal, who will make soft landing of Chandrayaan on the moon](https://www.bmbreakingnews.com/static/c1e/client/99149/uploaded/fd4b9d09ea706cf8f3acacd9202a0d1f.webp?width=963&height=520&resizemode=4)
Chandrayaan 3 Mission : इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के लिए 14 जुलाई का दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। इस दिन वह अपने महत्वकांक्षी चंद्रयान मिशन-3 को लॉन्च करने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान 3 को दोपहर 2.35 बजे चांद की ओर रवाना किया जाएगा।
23 या 24 अगस्त को इसके चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने की उम्मीद है। अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने दस्तक नहीं दी है। इस पूरे मिशन की जिम्मेदारी इस बार एक महिला खगोल वैज्ञानिक को सौंपी गई है, जिनका नाम रितु कारिधाल है। आइए जानते हैं इनके बारे में।
लखनऊ की हैं रितु कारिधाल - रितु कारिधाल (Ritu Karidhal) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखती हैं। उन्हें आमतौर पर रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने के लंबे अनुभव को देखते हुए इसरो ने चंद्रयान-3 का मिशन डायरेक्टर रितु को बनाया है। इससे पहले रितु कारिधाल चंद्रयान-2 समेत कई बड़े अंतरिक्ष मिशनों का हिस्सा रह चुकी हैं। खास बात ये है कि वे उन वैज्ञानिकों में शुमार हैं जिन्होंने इसरो का युवा वैज्ञानिक पुरस्कार जीता था।
स्कूल से एमटेक तक का सफर - लखनऊ के राजाजीपुरम् में रहने वाली रितु कारिधाल ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ के सेंट एगनिस स्कूल से की थी। इसके बाद उन्होंने नवयुग कन्या विद्यालय से पढ़ाई की। लखनऊ यूनिवर्सिटी में भौतिकी से एमएससी करने के बाद रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से एमटेक करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूज ऑफ साइंस बैंगलौर का रुख किया। उन्होंने MTech कंपलीट करने के बाद PHD की।
इसरो के लिए छोड़ दी थी PHD - रितु कारिधाल ने कुछ समय तक एक कॉलेज में पार्ट टाइम प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच 1997 में उन्होंने इसरो में जॉब के लिए अप्लाई किया। जिसमें उनकी नियुक्ति हो गई।
मुश्किल ये थी कि जॉब के लिए उन्हें PHD छोड़नी थी, जिसके लिए वह राजी नहीं थी। जिन प्रोफेसर मनीषा गुप्ता की गाइडेंस वे PHD कर रहीं थीं जब उन्हें ये पता चला तो उन्होंने रितु को इसरो ज्वॉइन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
युवा वैज्ञानिक का मिला पुरस्कार - रितु कारिधाल को पहली पोस्टिंग यू आर राव सेटेलाइट सेंटर में मिली थी। यहां उनकी परफॉर्मेंस ने सबको प्रभावित किया। 2007 में उन्हें इसरो युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार मिला। ये वो दौर था जब मंगलयान मिशन पर काम शुरू होने वाला था।
एक इंटरव्यू में रितु कारिधाल ने बताया था कि 'अचानक ही मुझे बताया कि अब मैं मंगलयान मिशन का हिस्सा हूं, ये मेरे लिए शॉकिंग था, लेकिन उत्साहजनक भी था, क्योंकि मैं एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का हिस्सा बनी थी।'
चंद्रयान-2 की रहीं मिशन डायरेक्टर - बता दें कि चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर भी रितु कारिधाल रह चुकी हैं। उनके अनुभव को देखते हुए साल 2020 में इसरो ने तय कर लिया था कि मिशन चंद्रयान-3 की कमान रितु के हाथ में ही सौंपी जाएगी।
इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं। इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहीं एम वनिता को इस मिशन में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है जो पेलॉड, डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रही हैं।
45 दिन अंतरिक्ष में रहेगा चंद्रयान-3 - गौरतलब है कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग शुक्रवार, 14 जुलाई को होनी है। जिसके बाद चंद्रयान-3 करीब 45 दिन का समय अंतरिक्ष में गुजारेगा। इस दौरान वह LVM-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में सफर करेगा।
इस पूरे मिशन की खास बात ये है कि इस बार चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है। इस बार चंद्रयान-3 के साथ देश में तैयार किए गए प्रोपल्शन मॉड्यूल भेजे जा रहे हैं, जो लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा। चंद्रयान-3 अपने साथ कुल वजन 2145.01 किलोग्राम वजन लेकर जा रहा है, जिसमें 1696.39 किलोग्राम फ्यूल है।