Chhota Rajan Acquitted: हत्या के मामले में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन बरी, उसके गुर्गे लकड़वाला को हुई उम्रकैद, जानें क्या था पूरा मामला
Chhota Rajan Acquitted: मुंबई की एक विशेष अदालत ने 1996 में डोंगरी के रहने वाले सैय्यद सोहेल मकबूल हुसैन की हत्या के मामले में वर्ल्ड डॉन राजेंद्र निकालजे उर्फ छोटा राजन को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सबूतों के अभाव में राजन को बरी किया जाता है।
हालांकि, अदालत ने राजन के पूर्व गुर्गे एजाज लकड़वाला उर्फ अज्जू को मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है, जो वारदात में शामिल शूटर्स के साथ था। विशेष न्यायाधीश एएम पाटिल ने गुरुवार को लकड़ावाला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उसके खिलाफ लगभग दो दर्जन से अधिक मामले चल रहे हैं।
इस हत्याकांड में लकड़ावाला और एक अन्य गुर्गा दाऊद गिरोह के कथित सदस्य की दुकान में घुस गए थे और गलती से उसके भाई को गोली मार दी थी। यह वारदात साल 1996 में उस समय हुई थी, जब राजन और दाऊद के गिरोह एक-दूसरे के खून के प्यासे थे और मुंबई की सड़कों पर लड़ रहे थे।
मुंबई की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे अंडरवर्ल्ड डॉन राजेंद्र निकालजे उर्फ छोटा राजन को 1996 के हत्या के मामले में बरी कर दिया है। मुंबई के डोंगरी निवासी सैय्यद सोहेल मकबुल हुसैन की हत्या के मामले में विशेष कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया।
जेल में बंद राजन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। हालांकि उसके पूर्व गुर्गे एजाज लकड़वाला उर्फ अज्जू को मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश एएम पाटिल ने लकड़ावाला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। लकड़ावाला हत्या करने वाले शूटरों में से एक था।
वारदात के दिन एजाज लकड़वाला और छोटा राजन का एक अन्य गुर्गा कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम गिरोह के एक मेंबर की दुकान में घुस गए। राजन के शूटरों ने सैय्यद सोहेल मकबुल हुसैन को गोली मार दी। बता दें कि 1996 में यह गोलीबारी तब हुई थी जब छोटा राजन गिरोह और दाऊद इब्राहिम गिरोह के बीच गैंगवार अपने चरम पर था।
दोनों गिरोह के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे थे। लकड़ावाला और एक अन्य आरोपी ने दुकान में घुसकर मकबूल हुसैन पर फायरिंग शुरू की। हुसैन पर गोली चलाते वक्त लकड़ावाला की पिस्तौल जाम हो गई और गोली उसके ही दाहिने पैर में लग गई। जिससे वह घायल हो गया।
पुलिस ने लकड़वाला और दूसरे शूटर को भागने समय दबोच लिया। जबकि हुसैन को अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया। पाइधोनी पुलिस (Pydhonie Police) ने दोनों के खिलाफ 7 अक्टूबर 1996 में भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 34 (सामान्य इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज की।
खुद हुसैन ने यह मामला दर्ज करवाया था। मामले में आर्म्स एक्ट की भी कुछ धाराएँ लगाई गईं। हुसैन ने मौत होने से पहले पुलिस में बयान दर्ज करवाया था और आरोपियों की शिनाख्त पक्की हो गई। हुसैन के दम तोड़ने के बाद पुलिस ने हत्या की भी धारा जोड़ दी।
बाद में इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई। पुलिस जांच से पता चला कि विदेश में बैठा डॉन छोटा राजन ने ही गोलीबारी का आदेश दिया था। कुछ साल पहले राजन को बाली से पकड़कर भारत लाया गया।
वह अभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। लकड़ावाला भी 1998 में अपनी गिरफ्तारी के बाद किसी तरह से भारत से भागने में सफल रहा। उसे कनाडा में पकड़ा गया था और इंटरपोल की मदद से भारत लाया गया।
दिलचस्प बात यह है कि लकड़ावाला के साथ गिरफ्तार दूसरे गुर्गे को इसी अदालत ने पहले ही बरी कर दिया है। जबकि गोलीबारी में इस्तेमाल बंदूक देने वाले अजय नाम के व्यक्ति का आज तक कुछ पता नहीं चल सका है। मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास राजन को मामले से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं है।
इसलिए सबूतों का अभाव में राजन को भी बरी कर दिया। बता दें कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निकल्जे (Rajendra Sadashiv Nikalje) है। राजन मूल रूप से मुंबई के चेंबूर (Chembur) का रहने वाला हैं।
राजन को 2015 में इंडोनेशिया (Indonesia) के बाली (Bali) से गिरफ्तार किए जाने के बाद भारत डिपोर्ट किया गया था। तब से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। 2018 में राजन को 2011 में पत्रकार जेडे की हत्या (J Dey's Murder Case) के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।