Covishield: Side effects की रिपोर्ट्स के बीच Covaxin वाले भारत बायोटेक ने जानिये क्या कर दिया बड़ा दावा ?

 
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वैक्सीन निर्माता ने यह भी कहा कि कोवैक्सिन सरकार के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में एकमात्र कोविड-19 वैक्सीन है, जिसका भारत में प्रभावकारिता परीक्षण किया गया है।

Covishield: कोरोना से बचने के लिए कई लोगों ने वैक्सीन लगवाई। किसी ने कोवीशील्ड तो किसी ने कोवैक्सीन के रूप में कोरोना के खिलाफ सबसे धारदार हथियार को चुना। लेकिन ब्लड क्लॉटिंग की समस्या और कुछ लोगों की मौत की खबर के बीच कोवीशील्ड  वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी ने माना है कि इसके कई गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

इस खबर के सामने आने के बाद से ही लोगों में दहशत फैल गई। भारत में करीब 80 प्रतिशत लोगों ने कोवीशील्ड वैक्सीन लगवाई है। हर कोई यही पूछने में लग गया कि इस वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट्स हैं, क्या सिम्बटम हैं और क्या वैक्सीन लगवाने वालों को कोई खतरा है? 

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एस्ट्राजेनेका को लेकर चल रही बहस के बीच कि कोवैक्सिन बनाने वाली वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने इसके सुरक्षा रिकॉर्ड के बारे में दावा किया। अपने एक्स हैंडल पर जारी एक बयान में भारत बायोटेक ने कहा कि कोवैक्सिन को पहले सुरक्षा और उसके बाद प्रभावकारिता पर ध्यान केंद्रित करके विकसित किया गया था।

वैक्सीन निर्माता ने यह भी कहा कि कोवैक्सिन सरकार के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में एकमात्र कोविड-19 वैक्सीन है, जिसका भारत में प्रभावकारिता परीक्षण किया गया है। भारत बायोटेक ने कहा कि लाइसेंस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में कोवैक्सिन का 27,000 से अधिक विषयों में मूल्यांकन किया गया था।

इसे क्लिनिकल ट्रायल मोड में प्रतिबंधित उपयोग के तहत लाइसेंस दिया गया था, जहां कई लाख विषयों के लिए विस्तृत सुरक्षा रिपोर्टिंग की गई थी।  दरअसल, ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्रेजेनिका ने पहली बार कोर्ट में स्वीकार किया कि उसके कोविड 19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

इसी वैक्सीन को भारत में हम कोवीशील्ड के नाम से जानते हैं।  एस्ट्रेजेनिका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था। वैक्सीन लेने के बाद ब्लड क्लाटिंग और दूसरे गंभीर दिक्कतों के कारण मौत को लेकर एस्ट्रेजेनिका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है।

कई परिवारों ने आरोप लगाया है कि वैक्सीन के कारण गंभीर साइड इफेक्टस हुए हैं। ब्रिटिश अखबार टेलीग्राम ने कोर्ट के दस्तावेजों के हवाले से रिपोर्ट में कहा कि  एस्ट्रेजेनिका के खिलाफ पहला केस जिमी नाम के व्यक्ति ने यूके की कोर्ट में दर्ज कराया था।

अप्रैल 2021 में एस्ट्रेजेनिका की वैक्सीन लेने के बाद वो स्थायी रूप से ब्रेन इंजरी का शिकार हो गए। वैक्सीन लेने के बाद वो काम नहीं कर पाए। जिमी को टीटीएस नाम का गंभीर साइड इफेक्ट हुआ। इससे शरीर में खून जमने की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डिक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है। 

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