Independence Day 2023: महान क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित जिन्होने तोड़ दी थी अंग्रेजों की कमर और जिससे हिल गई थी ब्रिटिश हुकूमत
![Independence Day 2023: Great revolutionary Gendalal Dixit who broke the back of the British and shook the British rule](https://www.bmbreakingnews.com/static/c1e/client/99149/uploaded/c0d1d6a894c48500a6b513bfe77161aa.webp?width=963&height=520&resizemode=4)
Independence Day 2023: देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने हर संभव कोशिश की। बेवर में ठिकाना बनाने वाले क्रांतिकारी गेंदालाल दीक्षित ने ब्रिटिश हुकूमत तक आजादी के दीवानों की आवाज पहुंचाने के लिए 21 साथियों की टोली बनाई। गरम दल के क्रांतिकारियों के पास बम बनाने का सामान भी पहुंचाया। युवाओं को एकजुट करके भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाकर लोगों में आजादी के लिए चेतना जगाई।
बेवर में रहकर आजादी की अलख जगाने वाले गेंदालाल दीक्षित का जन्म माईगांव बटेश्वर आगरा में हुआ था। उन्होंने मथुरा और औरैया में रहकर युवाओं को एकजुट किया। अपने साथियों के साथ कोलकाता पहुंचकर योगेश चंद्र चटर्जी के साथ क्रांतिकारियों से सीधा संपर्क किया।
ब्रिटिश शासन तक आजादी के दीवानों की आवाज पहुंचाने के लिए 21 युवाओं की टोली बनाई। आजादी आंदेालन के दौरान ग्वालियर में पकड़े जाने पर उनको अंग्रेज शासकों ने मैनपुरी जेल भेज दिया।मैनपुरी जेल में रहने के दौरान मैनपुरी के क्रांतिकारियों के संपर्क में आने के बाद मैनपुरी के बेवर को ही अपना ठिकाना बना लिया।
उनकी टोली में सिकंदरपुर के रहने वाले उरुज मोअज्जम भी शामिल हो गए। गरम दल के क्रांतिकारियों के पास बम बनाने का सामान पहुंचाने में पकड़े जाने पर गेंदालाल दीक्षित को जेल काटनी पड़ी। उनकी टोली के सदस्यों ने जेल में रहकर भी हार नहीं मानी। अंग्रेज पुलिस से बचने के लिए दिल्ली में एक प्याऊ पर रहकर गेंदालाल ने लोगों को पानी भी पिलाया।
द्रोणाचार्य के नाम से थी पहचान - गेंदालाल दीक्षित को क्रांतिकारी द्रोणाचार्य मानते थे। आगरा मेडिकल कॉलेज में डाक्टरी की पढ़ाई छोड़ कर इटावा जिले की औरैया तहसील में डीएवी स्कूल के हेडमास्टर हो गए थे। शिवाजी समिति के जरिए गुरिल्ला वार के अनोखे प्रयोग किए।
ब्रह्मचारी लक्ष्मणानंद के साथ मिलकर चंबल घाटी के दस्यु सरदारों को क्रांति-योद्धा बना दिया। 21 दिसंबर 1920 को दिल्ली के एक अस्पताल में गुमनाम रहते हुए अपनी अंतिम यात्रा पर चले गए। 1997 में शहीद मंदिर बेवर में इनकी प्रतिमा स्थापित की गई। औरैया में 12 अगस्त 2015 को गेंदालाल की प्रतिमा स्थापित हुई।
सिकंदरपुर निवासी स्वतंत्रता सेनानी उरुज मोअज्जम के पुत्र सैयद मोअज्जम बताते हैं कि आजादी पाने के लिए हर कोई जाति, धर्म भूलकर आंदोलन में शामिल हुआ था। डीएम कोठी के पास गांव होने के कारण सिकंदरपुर पर अंग्रेज पुलिस की निगाह रहती थी। आजादी के मतवालों का ठिकाना उनका घर होता था।
आज भी गांव के लोग स्वतंत्रता दिवस पर उनके किस्सों को भी याद करते हैं। साहित्यकार दीन मोहम्म्द दीन बताते हैं कि जिले के स्वतंत्रता सेनानियों की याद में मुख्यालय पर कोई ना कोई स्मारक बनाया जाना चाहिए।
नगर पालिका में भी एक पट्टिका लगाई जानी चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी को आजादी के दीवानों के बारे में जानकारी हो सके। देश को आजाद कराने वाले क्रांतिकारियों के परिवारों को संरक्षण मिलना चाहिए। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कोई पहल होनी चाहिए।