Muslim Quota: सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम कोटे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी पर लगाई रोक, कहा- ये उचित नहीं
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Muslim Quota: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण की वापसी से संबंधित विचाराधीन मामले पर किए जा रहे राजनीतिक बयानों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कुछ पवित्रता बनाए रखने की आवश्यकता है।
जस्टिस केएम जोसेफ, बीवी नागरत्ना और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी और कहा कि जब मामला अदालत के समक्ष लंबित है और कर्नाटक मुस्लिम कोटा पर अदालत का आदेश है, तो इस मुद्दे पर कोई राजनीतिक बयान नहीं देना चाहिए। यह उचित नहीं है। कुछ पवित्रता बनाए रखने की जरूरत है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने कहा, 'गृह मंत्री ने मुस्लिम आरक्षण खत्म करने का श्रेय लेते हुए सार्वजनिक बयान दिया है। कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिए जा रहे बयानों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें ऐसी किसी टिप्पणी की जानकारी नहीं है और अगर कोई कह रहा है कि धर्म के आधार पर कोटा नहीं होना चाहिए तो गलत क्या है और यह एक तथ्य है।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि अदालत में सॉलिसिटर जनरल का बयान देना कोई समस्या नहीं है, लेकिन अदालत के बाहर किसी उप-न्यायिक मामले पर कुछ भी कहना उचित नहीं है।
1971 में एक राजनीतिक नेता को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए कोर्ट के आदेश के खिलाफ अवमानना का सामना करना पड़ा था। न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि न्यायाधीन मामले पर किसी को इस तरह का बयान क्यों देना चाहिए? यह उचित नहीं है।