National: क्या शॉर्प शूटरों के निशाने पर हैं जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल Satyapal Malik? नहीं मिल रहा सिक्योरिटी
![National: Is former Jammu and Kashmir Governor Satyapal Malik on the target of sharp shooters? not getting security](https://www.bmbreakingnews.com/static/c1e/client/99149/uploaded/ccc2fba7c29e52c1fecebbbcdd030fe7.webp?width=963&height=520&resizemode=4)
National: जम्मू-कश्मीर सहित चार प्रदेशों के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक की जान को खतरा बताया जा रहा है। पाकिस्तान के आतंकी समूह, जिनके गुर्गे कश्मीर घाटी में मौजूद हैं, पूर्व राज्यपाल मलिक उन्हीं के शार्प शूटरों के निशाने पर हैं। मलिक के कार्यकाल के दौरान ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किया गया था।
उसके बाद से ही वे आतंकियों के निशाने पर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, जब वे जेएंडके के राज्यपाल थे, तभी मिलिट्री इंटेलिजेंस ने इनपुट दिया था कि उन्हें शार्प शूटर निशाना बना सकते हैं। उसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस सुरक्षा विंग ने भी उनकी सुरक्षा को पुख्ता बनाने की बात कही। मलिक की सुरक्षा को लेकर जेएंडके प्रशासन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अलर्ट किया था। अब वे राज्यपाल के पद से हट चुके हैं, इसलिए उनके पास किसी भी श्रेणी का सिक्योरिटी कवर नहीं है।
पिछले साल बुलंदशहर में एक निजी कार्यक्रम में मलिक ने कहा था, मुझे पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की ओर से जान का खतरा है। इस बाबत मैंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अवगत कराया था, मगर सुरक्षा नहीं दी गई। इतना ही नहीं, मलिक को टारगेट पर रख पाकिस्तान की ओर से आईईडी (तात्कालिक विस्फोटक यंत्र) एक्सपर्ट भी कश्मीर घाटी में भेजे गए थे।
सत्यपाल मलिक की उत्तर भारत के, विशेषकर जाट समुदाय में 'दबंग' नेता की छवि बनी हुई है। राज्यपाल के पद पर रहते हुए और उसके बाद भी कई अवसरों पर उनकी तीखी बयानबाजी देखने को मिली है। हालांकि सत्यपाल मलिक, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के लिए पीएम की मोदी की सराहना कर चुके हैं। ये अलग बात है कि वे किसानों के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करने से नहीं चूके।
उन्होंने अग्निवीर योजना को, युवाओं के साथ धोखा बताया था। मलिक ने सार्वजनिक तौर पर यह बात कही थी कि मुझे पाकिस्तान से जान का खतरा है, मगर गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा प्रदान नहीं की गई। तकरीबन सभी राज्यपालों को दिल्ली में आवास मिलता है, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें सरकारी मकान अलॉट नहीं किया। इसके लिए बाकायदा उन्होंने कई बार संबंधित मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा समिति ने भी केंद्रीय गृह मंत्री को मलिक की सुरक्षा से जुड़ा अलर्ट भेजा। इतना कुछ होने पर भी उन्हें सुरक्षा नहीं मिल सकी।
पूर्व राज्यपाल ने भ्रष्टाचार को लेकर कहा था कि मेरे खिलाफ कोई जांच नहीं हो सकती। कोई मुकदमा नहीं हो सकता। मैं पांच कुर्ते लेकर राजभवन गया था और पांच कुर्ते वापस लेकर घर लौटा हूं। मैं तो फकीर हूं। जेएंडके से बतौर राज्यपाल मलिक का तबादला होने के बाद उनके द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर किए गए एक खुलासे ने हड़कंप मचा दिया था।
मलिक ने कहा था कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, तब दो फाइलों को मंजूरी देने की एवज में उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी। इसमें उन्होंने 'अंबानी' और 'आरएसएस से जुड़े एक नेता की तरफ इशारा किया था। हालांकि मलिक ने उन फाइलों को मंजूरी नहीं दी थी।
बाद में मलिक के आरोपों की जांच, सीबीआई से कराने के आदेश जारी हो गए। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच को मंजूरी दी थी। राज्यपाल पद से हटने के बाद इस वर्ष के शुरू में सीबीआई मुख्यालय में मलिक से पूछताछ की गई थी। उन्होंने आरएसएस से जुड़े जिस शख्स की ओर इशारा किया था, वे पीडीपी और भाजपा गठबंधन की सरकार में मंत्री रहे थे। सीबीआई द्वारा मामले की जांच अभी जारी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में सुरक्षा से जुड़े मामले देख चुके एक पूर्व आईपीएस बताते हैं कि मलिक को वाकई ही खतरा है, तो उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए। अगर मलिक ने कहा है कि उन्हें पाकिस्तान से खतरा है तो आईबी के पास ऐसे खतरे का अलर्ट होना चाहिए। चूंकि सुरक्षा देने का मामला बहुत जटिल होता है। इसके लिए आईबी के पास 'थ्रेट परसेप्शन' होना जरूरी है। संबंधित राज्य की इंटेलिजेंस इकाई से भी इनपुट मांगा जाता है।
कई बार ऐसा भी होता है कि बिना राज्य की एजेंसी की सहमति के ही सुरक्षा मुहैया करा दी जाती है। गत वर्षों में कई ऐसे लोगों को केवल इस आधार पर सुरक्षा मिली थी कि उन्होंने एक पार्टी (राजनीतिक) विशेष ज्वाइन की थी। कुछ समय बाद दोबारा से सिक्योरिटी एनालिसिस होता है। उसमें बहुत से लोगों की सुरक्षा हटा ली जाती है या उसे कम कर दिया जाता है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को जनवरी में जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई गई। केरल कैडर (1977 बैच) के रिटायर्ड आईएएस बोस गत 17 नवंबर को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने थे। पूर्व अधिकारी के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में हमले कराने के लिए वहां की इंटेलिजेंस एजेंसी 'आईएसआई' सारा नेटवर्क तैयार करती है।
हमलों को अंजाम देने के लिए कश्मीर में सक्रिय आतंकी समूह एचएम, एलईटी/टीआरएफ और जेईएम जैसे समूहों की मदद ली जाती है। अगर किसी पर आईईडी ब्लास्ट या शार्प शूटर के जरिए हमला होने का अलर्ट है, तो यह सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मामला बन जाता है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को जैमर और सिक्योर रूट प्लान के साथ ही चलना चाहिए।
सत्यपाल मलिक को 30 सितंबर, 2017 को पहली बार बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें 23 अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। उसी दौरान मलिक को कुछ महीनों के लिए ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। 2020 में उन्हें गोवा के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया।
सत्यपाल मलिक को एक साल में तीन तबादले झेलने पड़े थे। किसानों के मुद्दे पर खासे मुखर हुए मलिक ने कई बार सार्वजनिक मंच से केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधा था। इसके बाद मलिक ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में उनकी प्रशंसा भी की।
उन्होंने लिखा, पीएम मोदी का सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर लालकिला में आयोजित समारोह में भाग लेना, एक सराहनीय कदम है। पीएम के इस कदम से सिख समुदाय में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है।
सिखों के गुरुओं के प्रति प्रधानमंत्री ने जो श्रद्धा भाव एवं सम्मान व्यक्त किया है, उसके लिए पूरी दुनिया के और विशेषकर भारत के सिखों को एक सकारात्मक संदेश मिला है। किसान आंदोलन के दौरान मलिक ने राज्यपाल होते हुए केंद्र को कई बार सलाह दे डाली थी। उन्होंने कहा, सरकार को सिखों से झगड़ा नहीं करना चाहिए। केंद्र उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करें।
मेघालय के राज्यपाल होते हुए जब सत्यपाल मलिक, हरियाणा के जींद में आयोजित एक सम्मान समारोह में शिरकत करने पहुंचे तो उन्होंने केंद्र को खरी-खरी सुना दी थी। मलिक ने सार्वजनिक मंच से किसानों को संबोधित करते हुए कहा, वे पहले सवालों को समझें।
सबसे पहले राज बदलें, फिर एकजुट होकर अपनी सरकार बनाएं। मलिक ने किसान आंदोलन को सही बताया था। लालकिला पर 'निशान साहिब' फहराए जाने की घटना को मलिक ने गलत नहीं कहा था। उन्होंने कहा, राज्यपाल के पद पर उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे खुद देशभर का दौरा कर, किसानों को एकजुट करेंगे।
उनके कुछ मित्रों ने सलाह दी थी कि वह उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति बन सकते हैं, इसलिए उन्हें चुप रहना चाहिए। बतौर मलिक, मैंने उन्हें कह दिया था कि मैं इन पदों की परवाह नहीं करता। उनके लिए राज्यपाल का पद महत्वपूर्ण नहीं है।
उन्होंने अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया। अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद मलिक ने कहा था, जब यह निर्णय लिया गया तो राजनीतिक बवाल मच गया था। पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने खून की नदियां बहने की बात कही थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला ने कहा था, अब देश का झंडा कोई नहीं उठाएगा।