National: ‘फ़क़ीर’ का जादू, झोले से एयरपोर्ट निकाला, अडानी के कब्ज़े में डाला : राहुल गांधी
National: अडानी विवाद को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर फिर से हमला बोला। पांच मिनट के वीडियो में गांधी ने एक बार फिर पूछा कि व्यापारिक समूह को बिना किसी पूर्व अनुभव के अनुबंध क्यों दिए गए।
कांग्रेस नेता ने वीडियो में आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार ने 2018 में सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत अडानी समूह को छह हवाई अड्डे सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एक साल बाद, लखनऊ, अहमदाबाद, गुवाहाटी, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और जयपुर के हवाई अड्डों के संचालन का ठेका दिया गया था।
राहुल गांधी ने कहा कि मैंने संसद में पीएम मोदी और अडानी के संबंधों के बारे में सच बोला। मैंने सबूत के साथ बोला कि कैसे भारत की दौलत लूटी जा रही है। इस सच्चाई को संसद के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया था”, राहुल गांधी ने 8 फरवरी को अपने लोकसभा भाषण का जिक्र करते हुए कहा।
उन्होंने गौतम अडानी के साथ पीएम मोदी का एक पोस्टर भी साझा किया था। अपने लोकसभा भाषण के दौरान, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने अडानी के पक्ष में कुछ कानूनों को बदल दिया, जो कि पीएम के गृह राज्य गुजरात से हैं।
वायनाड से कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि पीएम मोदी ने अडानी पर उनके सवालों का जवाब नहीं दिया. उन्होंने वीडियो में कहा, "एक व्यक्ति जिसने अपने जीवन में कभी हवाईअड्डा नहीं चलाया था और जो इसके व्यवसाय को नहीं समझता था, उसे भारत के लाभदायक हवाईअड्डे को सौंप दिया गया था।"
“छह हवाई अड्डों को एक कंपनी को क्यों सौंप दिया गया? वित्त मंत्रालय, नीति आयोग, एएआई ने आपत्ति जताई। इसे किसके द्वारा और क्यों खारिज किया गया? रियायत की लीज 30 साल के लिए थी, अडानी के लिए इसे बढ़ाकर 50 साल क्यों किया गया?
बताते चले कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को अदाणी समूह को हवाईअड्डों के ठेके के आवंटन पर सवाल उठाते हुए वीडियो जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अरबपति उद्योगपति को केंद्र सरकार के 'जादू' से फायदा हुआ।
राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर 'मित्र-काल' शीर्षक वाला एक पांच मिनट का वीडियो शेयर किया है। इसमें राहुल गांधी ने संसद में दिए गए उनके बयान को हटाने पर भी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि संसद में अरबपति व्यवसायी की 'सच्चाई' पर उनकी टिप्पणी को हटा दिया गया और रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
वहीं, ट्विटर पर एक वी़डियो क्लिप को शेयर करते हुए कांग्रेस नेता ने हिंदी में लिखा '‘फकीर’ का जादू - झोले से एयरपोर्ट निकाला, अडानी के कब्जे में डाला!'' उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'मैंने अदाणी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों और भारत की संपत्ति की 'धांधली' के बारे में सच्चाई की बात की, लेकिन मेरी सभी टिप्पणियों को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
पांच मिनट के वीडियो में कांग्रेस नेता नेता कहा कि यह कहानी 'मित्र-काल' के दौरान 'कब्जा-राज' के बारे में है। हवाई अड्डों पर नियंत्रण, बंदरगाहों, सड़कों और रक्षा बलों पर नियंत्रण, मीडिया, कोयला और ऊर्जा पर नियंत्रण और कुल मिलाकर भारत सरकार पर नियंत्रण।'
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा मैं व्यवसाय के खिलाफ नहीं हूं, मैं एकाधिकार के खिलाफ हूं। मैं जादू के खिलाफ हूं। उन्होंने कहा जो जादू एक बड़े व्यवसायी के लिए किया गया वह छोटे व्यवसायियों के लिए क्यों नहीं किया गया।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति जिसने कभी हवाईअड्डा नहीं चलाया और व्यापार को भी नहीं समझता उसे सबसे अधिक लाभदायक हवाईअड्डे सौंप दिए गए। मेरा सवाल है कि एक व्यक्ति को छह हवाईअड्डे क्यों सौंपे गए क्योंकि नियम यह था कि एक व्यक्ति को दो से ज्यादा हवाईअड्डे नहीं दिए जाते। उन्होंने आगे कहा कि कहा जाता है कि एक व्यक्ति सबकुछ हासिल नहीं कर सकता, लेकिन यह बात प्रधानमंत्री के 'मित्र' पर लागू नहीं होती।
वीडियो में राहुल गांधी ने आगे कहा कि 'एक और सवाल यह है कि जब भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग सभी ने इस फैसले पर आपत्ति जताई और इसे गलत बताया, तो किसने इन आपत्तियों को पलट दिया और क्यों। जब अनुबंध 30 साल के लिए था, फिर इसे बदलकर 50 साल क्यों किया गया? रेवेन्यू मॉडल क्यों बदला गया?'
अगला सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि 'आखिरी 'जादु' मुंबई हवाई अड्डा था, भारत के हवाई अड्डों की सुनहरी चिड़िया। मुंबई हवाई अड्डे के संचालक पर एजेंसियों सीबीआई और ईडी का दबाव था।
लेकिन जैसे ही मुंबई हवाईअड्डे की संचालक कंपनी ने हवाई अड्डे को अदाणी को सौंप दिया, केंद्रीय एजेंसियां उसे क्लीन चिट दे दी।" उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने इन सभी मुद्दों को संसद में उठाया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने वहां भी उनका जवाब नहीं दिया।