Prakash Singh Badal Died: जब आसमान पर छाए पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल

Prakash Singh Badal Died: पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के निधन से पंजाब में शोक की लहर है। प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में राजनीति में पदार्पण किया था। 1957 में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 1969 में प्रकाश सिंह बादल दोबारा विधायक बने थे।
वहीं प्रकाश सिंह बादल 1970–71, 1977–80, 1997–2002 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वहीं 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष भी रहे थे। प्रकाश सिंह बादल सांसद भी रहे। केंद्र में मंत्री भी रह चुके थे। एक मार्च 2007 से 2017 उन्होंने दो बार मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था। आइए जानते हैं पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के पैतृक गांव बादल के बारे में।
मुक्तसर में आता है बादल गांव - पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का पैतृक गांव बादल मुक्तसर में आता है। पूर्व सीएम के पैतृक गांव विकास पथ पर ऐसा आगे बढ़ा है कि लोग इसे ‘मिनी चंडीगढ़’ भी कहते हैं। बादल गांव की खूबसूरती व यहां हुआ विकास शहरों को भी मात देता है। अन्य गांवों के मुकाबले गांव बादल विकास के लिहाज से कई गुणा आगे है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, स्पोर्ट्स, बिजली, सड़क, सीवरेज सिस्टम हर सहूलियत गांव में है। यही नहीं अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज, खेल स्टेडियम, हॉकी एस्ट्रो टर्फ खेल का मैदान, डिग्री कॉलेज, पैरा मेडिकल नर्सिंग इंस्टीट्यूट, साईं का दफ्तर, वृद्धा आश्रम, दाना मंडी, श्मशान घाट सहित अन्य कई मूलभूत सुविधाएं भी यहां मुहैया हैं।
बादल गांव ने अवनीत कौर जैसे अनेकों खिलाड़ी दिए - गांव स्थित अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेंज ने अवनीत कौर सिद्धू जैसे अनेकों खिलाड़ी पैदा किए हैं। गांव बादल की तकदीर बदलने का श्रेय पूरी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल परिवार को जाता है। जिन्होंने गांव के विकास के लिए समय-समय पर फंड मुहैया करवा यहां का नजारा ही बदल डाला। गांव की आबादी करीब 5500 है।
गांव में हर बीमारी से संबंधित हैं डॉक्टर - गांव में स्वास्थ्य सहूलियतों से लैस सिविल अस्पताल है। जहां करीब हर बीमारी से संबंधित डॉक्टर नियुक्त हैं। बेहतरीन सीवरेज सिस्टम डला हुआ है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चाहे कितनी ही बारिश क्यों न आ जाए, गांव में पानी नहीं ठहरता।
132 केवी बिजली ग्रिड भी लगा हुआ है। गांव की मुख्य सड़क पर बिजली के पोल कहीं लगे नजर नहीं आएंगे, क्योंकि गांव में मेन रोड पर बिजली के तार अंडरग्राउंड डाले गए हैं। इसके चलते गांव में आंधी, तूफान, बारिश आने पर भी गांव के लोगों को निर्बाध बिजली सप्लाई मिलती रहती है।
गांव में डिग्री कॉलेज के अलावा है नर्सिंग कॉलेज भी - गांव में दशमेश गर्ल्स स्कूल के अलावा दशमेश गर्ल्स डिग्री कॉलेज बना हुआ है। यही नहीं पैरा मेडिकल साइंस स्टेट इंस्टीट्यूट (नर्सिंग कॉलेज) भी है जहां नर्सिंग का कोर्स बेहद सस्ती फीस पर कराया जाता है।
इस कॉलेज में छात्राओं को बीएससी नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम एवं फिजियोथैरेपी कोर्स भी करवाए जाते हैं। पुराने आईटीआई दफ्तर में प्लंबर, वैल्डिंग आदि कोर्स भी कराया जाता है, ताकि युवाओं को रोजगार के काबिल बनाकर पांव पर खड़ा किया जा सके। बुजुर्गों के लिए वृद्ध आश्रम भी है, जहां बुजुर्गों को हर सहूलियत मुहैया करवाई जाती है।
गांव में अंतरराष्ट्रीय खेल स्टेडियम भी है - वृद्धा आश्रम के बीच ही गुरुद्वारा साहिब भी बना हुआ है। वृद्धों के अच्छे भोजन के लिए मैस भी है। वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों को घर पर रहने का अहसास होता है। गांव में अंतरराष्ट्रीय खेल स्टेडियम भी बना हुआ है। जहां शिअद सरकार के समय वर्ल्ड कबड्डी कप के मैच भी होते रहे हैं।
स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया (साईं) का दफ्तर भी बना हुआ है। जहां साई का कोच नियुक्त है। बेहतरीन खिलाड़ी पैदा करने के उद्देश्य से गांव में इस दफ्तर का निर्माण कराया गया है। गांव में दाना मंडी, पावरकॉम का दफ्तर, एक्सईएन दफ्तर के अलावा दो श्मशान घाट भी हैं।
शिक्षा के पथ पर खूब आगे बढ़ा बादल - 1981 में दशमेश सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना हुई। 1999 में दशमेश गर्ल्स कॉलेज बना। 2005 में दशमेश बीएड कॉलेज शुरु हुआ। 2008 में बादल में मुफ्त एजूकेशन स्कूल की स्थापना की गई।
माता जसवंत कौर मेमोरियल स्कूल ट्रस्ट की ओर से स्थापित यहां एक ऐसा को-एजूकेशन स्कूल भी बना हुआ है, जहां बच्चों को 12वीं तक मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ फीस, वर्दियां, किताबें आदि के लिए एक रुपया भी नहीं खर्च करना पड़ता। बच्चों का हर खर्च स्कूल वहन करता है। प्रकाश सिंह बादल इस ट्रस्ट के चेयरमैन भी थे। यही नहीं स्कूल से पढ़ने के बाद विद्यार्थी का यूनिवर्सिटी स्तर का खर्च भी ये ट्रस्ट ही उठाता है।
गांव में ओलंपिक स्टेंडर्ड शूटिंग रेंज भी है - दशमेश बादल कॉलेज में 10 मीटर ओलंपिक स्टेंडर्ड शूटिंग रेंज है तो 25 व 50 मीटर शूटिंग रेंज भी है। पूरे भारत में अगर बात करें तो निजी इंस्टीट्यूट में 25 व 50 मीटर की शूटिंग रेंज सिर्फ बादल में ही होने का मान हासिल है।
इस शूटिंग रेंज में सीखकर लगभग दो सौ से ज्यादा विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं। यही नहीं शूटिंग में अवनीत कौर व बॉक्सिंग में सिमरनजीत कौर ने यहीं से सीखकर अर्जुन अवार्ड तक प्राप्त किए हैं। अब हाल ही में खेलो इंडिया योजना के तहत छात्रा सिमरनप्रीत कौर ने जूनियर वर्ल्ड कप में स्वर्ण पद जीता था।
गायक खुदा बख्श, अफसाना खान जैसे सितारे भी निकले इसी गांव से - मूलरूप से गांव बादल के रहने वाले गायक खुदा बख्श व उनकी बहन अफसाना खान ने भी अपनी गायकी की बदौलत गांव का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है।
खुदा बख्श ने सोनी टीवी के शो इंडियन आइडिल-9 में अपनी गायकी के दम पर फर्स्ट रनरअप रहते हुए जहां गांव का नाम पूरे देश में रोशन किया था। वहीं अफसाना खान ने भी वॉइस ऑफ पंजाब-3 में अपनी गायकी के जौहर दिखा देश भर में गांव बादल का नाम चमकाया।