RBI & Adani Group: अडानी समूह को दिए कर्ज पर RBI ने कहा, भारत का बैंकिंग स्थिर

RBI & Adani Group: अडानी समूह के भारतीय बैकों की ओर से दिए गए लोन पर बैकिंग सेक्टर के रेग्युलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने बयान जारी किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि वह वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए बैंकिंग क्षेत्र और अलग-अलग बैंकों पर लगातार नजर रखता है।
अडानी समूह को भारतीय बैंकों के जोखिम के बारे में चिंता व्यक्त करने वाली मीडिया रिपोर्टों के बीच आरबीआई का बयान आया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि आरबीआई के मौजूदा आकलन के अनुसार बैंकिंग क्षेत्र लचीला और स्थिर बना हुआ है।
आरबीआई ने कहा कि ऐसी मीडिया रिपोर्टें आई हैं जिनमें एक व्यापारिक समूह के लिए भारतीय बैंकों के जोखिम के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में, आरबीआई वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की दृष्टि से बैंकिंग क्षेत्र और व्यक्तिगत बैंकों पर निरंतर निगरानी रखता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि आरबीआई के पास बड़े क्रेडिट (CRILC) डेटाबेस सिस्टम पर सूचना का एक केंद्रीय भंडार है, जहां बैंक 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के अपने जोखिम की रिपोर्ट करते हैं, जिसका उपयोग निगरानी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
आरबीआई ने अपने मौजूदा आकलन के अनुसार आश्वासन दिया, बैंकिंग क्षेत्र लचीला और स्थिर बना हुआ है। केंद्रीय बैंक ने कहा, "पूंजी पर्याप्तता, संपत्ति की गुणवत्ता, तरलता, प्रावधान कवरेज और लाभप्रदता से संबंधित विभिन्न पैरामीटर स्वस्थ हैं। बैंक आरबीआई द्वारा जारी बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क (एलईएफ) दिशानिर्देशों के अनुपालन में भी हैं।
आरबीआई ने कहा कि वह सतर्क रहा और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता की निगरानी करना जारी रखा। रिज़र्व बैंक ने कहा कि उसके बड़े क्रेडिट (CRILC) डेटाबेस सिस्टम पर सूचना का एक केंद्रीय भंडार है जहाँ बैंक 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के अपने जोखिम की रिपोर्ट करते हैं, जिसका उपयोग निगरानी उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह तब भी आया जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अडानी समूह की कंपनियों के मुक्त गिरावट वाले शेयरों पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि देश का बाजार "अच्छी तरह से विनियमित" था।
वहीं हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदानी समूह के शेयरों में सप्ताहभर से आई भारी गिरावट से उपजी स्थिति पर पहली बार आरबीआई ने मुंह खोला है। देश की सबसे बड़ी वित्तीय नियामक एजेंसी ने अदानी समूह का नाम लिए बगैर कहा है कि बैंकिंग सिस्टम की स्थिति मजबूत-संतोषप्रद है और उन्होंने आरबीआइ के नियमों के मुताबिक ही बड़े औद्योगिक घरानों को कर्ज दिया है। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि वह पूरी तरह से सतर्क है और हालात पर नजर रखे है।
आरबीआई के इस बयान से पहले शुक्रवार को दो सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक व बैंक आफ बड़ौदा ने कहा कि उन्होंने नियमों के मुताबिक ही अदानी समूह की कंपनियों को कर्ज दिया है और समूह की तरफ से अतिरिक्त कर्ज का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। शुक्रवार देर शाम आरबीआई की तरफ से कहा गया कि एक बड़े कारपोरेट घराने को भारतीय बैंकों की तरफ से दिए गए कर्ज को लेकर मीडिया में कई तरह की रिपोर्ट आईं हैं।
एक नियामक के तौर पर आरबीआई वित्तीय स्थिरता के लिए काफी पैनी नजर बना कर रखता है। आरबीआई के पास एक केंद्रीय डाटा सिस्टम भी है, जहां पांच करोड़ रुपये से ज्यादा के सभी कर्ज आवंटन की निगरानी की जाती है। अभी आरबीआई का आकलन यह है कि बैंकिंग व्यवस्था मजबूत और स्थिर है। पूंजी पर्याप्तता स्तर, परिसंपत्तियों की गुणवत्ता, लिक्विडिटी, प्रोविजनिंग आदि की स्थिति सही है। बड़ी इकाइयों को कर्ज देने संबधी आरबीआई के नियमों का भी बैंक पालन कर रहे हैं।
अदानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग नाम की एक प्रख्यात एजेंसी ने बीते 26 जनवरी को रिपोर्ट दी थी जिसमें कहा गया था कि समूह ने जानबूझ कर शेयरों की कीमतों को बढ़ाया और कृत्रिम तौर पर ज्यादा मूल्यांकन किया गया है। इसके बाद भारत में अदानी समूह की सूचीबद्ध सभी दस कंपनियों के शेयर भाव औंधे मुंह गिर चुके हैं। दबाव में कंपनी को अपने एफपीओ (बाजार से पूंजी जुटाने का निर्गम) को भी रद करना पड़ा है। अदानी समूह की कंपनियों का मूल्यांकन पिछले दस दिनों में 100 अरब डालर तक गिर चुका है।
अदानी -हिंडनबर्ग विवाद को लेकर पहली बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का वित्तीय सेक्टर बहुत ही अच्छे तरीके से नियामक द्वारा नियंत्रित होता है और इस विवाद से निवेशकों के भरोसे पर कोई असर पड़ेगा। किसी एक विवाद से कोई असर नहीं पड़ता है, भले ही वैश्विक स्तर पर इसकी कितनी ही चर्चा हो।
अदानी समूह को बैंकों की तरफ से निर्धारित सीमा में लोन दिए गए हैं और समूह के कुल मूल्य में गिरावट के बावजूद वित्तीय संस्थाओं के स्टाक लाभ में है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी वित्तीय संस्थाओं ने अदानी समूह को दिए लोन को लेकर बयान दिए हैं कि अदानी के शेयर टूटने से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एसबीआई और एलआइसी के मुखियाओं ने खुद सामने आकर बताया है कि कैसे उन्होंने सीमा से अधिक लोन नहीं दिया है और वे अब भी लाभ में हैं।
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि अदानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट से शेयर बाजार में मची आपाधापी मैक्रो-इकोनामिक नजरिये से 'चाय के प्याले में उठे तूफान' से ज्यादा कुछ नहीं है। अदानी समूह की कंपनियों पर लगे धोखाधड़ी के आरोपों का बैंकों एवं बीमा कंपनियों पर संभावित असर के संबंध में वित्त मंत्रालय के सबसे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जमाकर्ताओं या पालिसीधारकों या इन कंपनियों के किसी भी शेयरधारक के लिए वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है।
किसी भी एक कंपनी का शेयर ऐसा नहीं है कि वह वृहद-आर्थिक स्तर पर कोई असर डाल सके। भारत की सार्वजनिक वित्तीय प्रणाली काफी मजबूत है और शेयर बाजार की उठापटक सरकार की चिंता का विषय नहीं है। इस बारे में जरूरी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र नियामक है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि अदानी समूह की कंपनियों की रेटिंग को लेकर वह फिलहाल कोई बदलाव नहीं करने जा रही। वहीं रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि जिस तरह से समूह की कंपनियों के भाव नीचे आए हैं, उसकी वजह से भविष्य में फंड जुटाने की कंपनी की क्षमता पर असर हो सकता है। अदानी समूह से जुड़े अधिकतर सेक्टर के शेयर भाव में शुक्रवार को भी गिरावट जारी रही, लेकिन अदानी पोर्ट के शेयर भाव में 7.87 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।