Saffron flag will not host on temple: जानिए क्यों मंदिर पर भगवा झंडा न फहराने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश ?

Saffron flag will not host on temple: केरल हाईकोर्ट ने आज एक केस की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर के परिसर में भगवा झंडे लगाने की अनुमति की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
दरअसल, केरल के कोल्लम जिले के मुथुपिलक्कडु श्री पार्थसारथी मंदिर में कुछ लोगों ने मंदिर में भगवा झंडा फहराने के लिए याचिका दाखिल किया था, जिस पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया है।
मंदिर राजनीति के लिए नहीं- केरल हाई कोर्ट - याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिर आध्यात्मिक सांत्वना और शांति के प्रतीक के रूप में खड़े हैं, उनकी पवित्रता और श्रद्धा सर्वोपरि है।
ऐसे पवित्र आध्यात्मिक आधारों को राजनीतिक चालबाजी या एक-दूसरे को ऊपर उठाने के प्रयासों से कम नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा याचिकाकर्ता मंदिर में बनाए रखे जाने वाले शांत और पवित्र माहौल से असहमत हैं।
विशेष अवसरों पर भगवा झंडे लगाने की मांग की गई थी - याचिका दो व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थी जिन्होंने मुथुपिलक्कडु श्री पार्थसारथी मंदिर के भक्त होने का दावा किया था। 2022 में, उन्होंने मंदिर और उसके भक्तों के कल्याण के उद्देश्य से "पार्थसारथी भक्त जन समिति" का गठन किया।
उन्होंने बताया कि विशेष अवसरों और त्योहारों के दौरान मंदिर परिसरों पर भगवा झंडे लगाने के उनके प्रयासों को उत्तरदाताओं ने हमेशा विफल कर दिया। जिन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया। इसलिए, उन्होंने अदालत से पुलिस को उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश देने की मांग की, ताकि उन्हें झंडे लगाने से रोका न जा सके।
सरकार ने किया था विरोध - सरकारी वकील ने सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय का 2020 का एक फैसला भी प्रस्तुत किया, जिसमें पुलिस को मंदिर परिसर से ऐसे सभी प्रतिष्ठानों को हटाने का आदेश दिया गया था।
इसके बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी और कहा, "याचिकाकर्ताओं ने मंदिर में अनुष्ठान करने के लिए कोई वैध अधिकार प्रदर्शित नहीं किया है, जैसा कि उन्होंने प्रार्थना की है। इसके अलावा, उन्हें झंडे लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
तमिलनाडु में नहीं थम रहा विवाद - वहीं, केरल के पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के युवा एवं खेल विभाग के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को लेकर एक विवादित बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने सनातन की तुलना डेंगु और मलेरिया जैसी बीमारियों से किया था, और कहा था कि सनातन को इस देश से डेंगू और मलेरिया की तरह खत्म कर देना चाहिए।