Same-Sex Marriage Hearing: SC ने कहा- सरकार के पास कोई डेटा नहीं, समलैंगिक विवाह को एलीट कहना गलत

Same-Sex Marriage Hearing: समलैंगिक विवाह पर याचिका पर आज सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के पास कोई डेटा नहीं है कि ये समान लिंग विवाह) शहरी है या कुछ और।
केंद्र ने पहले अपने आवेदन में कहा था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा इस विषय पर अदालत में जो पेश किया गया है वो मात्र शहरी अभिजात्य दृष्टिकोण है और सक्षम विधायिका को विभिन्न वर्गों के व्यापक विचारों को ध्यान में रखना होगा।
इससे पहले विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के प्रावधानों के माध्यम से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह कहना पुराना हो गया है कि तलाक के बाद केवल पति को गुजारा भत्ता और रखरखाव का भुगतान करना होगा।
रोहतगी ने धारा 36 और 37 का उल्लेख करते हुए कहा कि ये केवल महिलाओं को गुजारा भत्ता और पति द्वारा रखरखाव का अधिकार देता है। रोहतगी ने कहा कि किसी भी चीज़ के अलावा, इतने साल बीत गए हैं (जब से कानून बनाया गया था) कि यह अन्यथा हो सकता है आज यह कहना असंवैधानिक है कि केवल एक पति ही पत्नी को भरण-पोषण का भुगतान करेगा।
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत रखरखाव दोनों तरह से है। अगर पत्नी ज्यादा कमा रही है तो पत्नी देगी। रोहतगी ने यह भी कहा कि समान-लिंग विवाह को मान्यता देने वाली अदालत की घोषणा समाज को इसे स्वीकार करने के लिए प्रेरित करेगी, भले ही संसद कानून के साथ इसका पालन करे या नहीं।
इससे पहले, अपनी इस मांग को दोहराते हुए कि समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने से पहले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुना जाए।
केंद्र ने एक नए हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने इस मुद्दे पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ एक परामर्श प्रक्रिया शुरू कर दी है और अदालत से मामले को आगे बढ़ाने से पहले उसके पूरा होने तक इंतजार करने का आग्रह किया। कोर्ट की कार्यवाही आज के लिए समाप्त हो गई।