Mumbai Mafia: अंडरवर्ल्ड के सफाये की कहानी सीधे एनकाउंटर स्पेशलिस्टों की जुबानी

 
Mumbai Mafia Review: The story of the elimination of the underworld in the words of direct encounter specialists
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नब्बे के दौर में मुंबई में पुलिस और गैंगस्टरों के बीच एनकाउंटरों के दृश्य तमाम फिल्मों में नजर आते रहे हैं मगर इसके बाद भी डॉक्यूमेंट्री पकड़ नहीं खोती और घटनाओं के बारे में सुनने में दिलचस्पी बनी रहती है।

Mumbai Mafia: नब्बे के दौर में मुंबई की एक छवि सपनों की नगरी के रूप में थी तो इस छवि पर कालिख पोतने का काम वहां के अंडरवर्ल्ड ने किया। दहशत, खौफ, अनिश्चितता का ऐसा राज था कि मुंबई के मीलों दूर रहने वाले भी वहां जाने के नाम से डरते थे।

फिरौती, हफ्तावसूली, सरेआम कत्ल के साथ एनकाउंटरों की खबरें छायी रहती थीं। मुंबई के इस परिदृश्य को कई फिल्मों के माध्यम से भी दिखाया गया, जिनमें गैंग्स, अंडरवर्ल्ड डॉन और पुलिस एनकाउंटर स्पेशलिस्टों के उदय को दिखाया गया था।

Mumbai Mafia Review: The story of the elimination of the underworld in the words of direct encounter specialists

इन सभी के केंद्र में था दाऊद इब्राहिम। नेटफ्लिक्स की ताजा क्राइम डॉक्यूमेंट्री मुंबई माफिया- पुलिस वर्सेज अंडरवर्ल्ड उसी काले दौर को पुलिस के नजरिए से दिखाती है कि कैसे मुंबई की 'सफाई' के लिए उन्होंने काम किया।

87 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म का मुख्य नैरेशन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के जरिए पेश किया गया है। यह पार्ट काफी दिलचस्प है। तमाम गैंगस्टर ड्रामा फिल्मों में इससे मिलती जुलती बातें देखने के बाद भी सुनने में दिलचस्पी बनी रहती है।

Mumbai Mafia Review: The story of the elimination of the underworld in the words of direct encounter specialists

प्रदीप शर्मा लम्बे अर्से तक क्राइम विभागे से जुड़े रहे थे और 300 से अधिक गैंगस्टरों का एनकाउंटर किया था, जिनमें कई कुख्यात गैंग्स के बॉस भी शामिल थे। प्रदीप बताते हैं कि क्राइम ब्रांच में उनका ट्रांसफर 92 में हुआ था। वो बताते हैं कि मुंबई की हर चॉल में उनका एक खबरी था। 

डॉक्यूमेंट्री में इसके दूसरे पक्ष को भी दिखाया गया है कि कैसे एनकाउंटर स्पेलिस्टों पर आपराधिक आरोप लगे। गैंग्स का सफाया करते-करते उनके अपने इंटरेस्ट बीच में आये तो उनके फैसलों पर भी सवाल उठने लगे थे। इसके लिए मेकर्स की तारीफ करनी होगी कि इन हालात को बड़े संतुलित अंदाज में दिखाया है।

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डॉक्यूमेंट्री के अंत में शर्मा कहते हैं- क्राइम अगर बढ़ता है तो एनकाउंटर कॉप को पूरी छूट दे दी जाती है, मगर जब कंट्रोल हो जाता है तो उसे सिस्टम से बाहर कर दिया जाता है।

फिल्म में मुंबई के चर्चित क्राइम जर्नलिस्ट हुसैन जैदी की बाइट्स का इस्तेमाल भी किया गया है। जैदी ने लम्बे अर्से तक गैंगस्टर वर्सेज पुलिस एनकाउंटर की खबरों को कवर किया था और इस विषय के एक्सपर्ट समझे जाते हैं। उन्होंने मुंबई के माफियाओं पर किताबें लिखी हैं, जिन पर फिल्में बनी हैं। मिंटी तेजपाल के अनुभवों को भी समेटा गया है। 

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क्रेडिट रोल्स से पहले प्रदीप शर्मा के बारे में बताया जाता है कि 2021 में प्रदीप शर्मा को मुंबई के एक बिजनेसमैन के कत्ल के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वो जेल में हैं और ट्रायल शुरू होने के इंतजार कर रहे हैं। रवींद्र आंगरे ने 2018 में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।

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लोखंडवाला शूटआउट से चर्चा में आइपीएस अफसर एए खान ने रिटायरमेंट के बाद सिक्योरिटी एजेंसी बना ली थी। 2022 में उनका निधन हो चुका है। डॉक्यूमेंट्री में रियल फुटेज और नाट्य रूपांतरण का कॉम्बिनेशन अच्छा है, जिससे दिलचस्पी बनी रहती है। डॉक्यूमेंट्री में अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, सबटाइटल्स के कारण समझने में दिक्कत नहीं होती।