Bollywood News: सिर्फ 'दो गीतों' से सदा के लिए अमर हो गये ये गीतकार, हर शादी में जरूर बजता है उनका ये गाना
![Bollywood News: This lyricist became immortal forever with just 'two songs', this song of his plays in every wedding](https://www.bmbreakingnews.com/static/c1e/client/99149/uploaded/304896b4f1549315ee42accad46c5e4c.jpg?width=963&height=520&resizemode=4)
Bollywood News: 1960 के दशक में शैलेंद्र, शकील बदांयूनी, हसरत जयपुरी और साहिर लुधियानवी जैसे दिग्गज बॉलीवुड गीतकारों के बीच वर्मा मलिक (Verma Malik) का नाम भी अमर है। दो बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजे जा चुके वर्मा मलिक ‘मेरे प्यार की हो इतनी उमर’, ‘हाय-हाय ये मजूबरी’, ‘मैंने होठों से लगाई तो, हंगामा हो गया’ जैसे गीतों के लिए जाने जाते हैं।
हालांकि, उनके चाहने वाले उन्हें ‘आज मेरे यार की शादी है’ और ‘चलो रे डोली उठाओ कहार’ के लिए याद करते हैं। भारतीय शादियों में इन गीतों को ‘राष्ट्रगीत’ जैसा महत्व मिला हुआ है। वर्मा मलिक उर्फ बरकत राय का जन्म पाकिस्तान (Pakistan) में हुआ था। पंजाबी जुबान में कविता से शुरुआत करने वाले वर्मा मलिक ने बॉलीवुड में ‘यादगार’ मूवी से अपना करियर शुरू किया। वह पहली ही फिल्म से छा गए।
पाकिस्तान में जन्में, आजादी की लड़ाई लड़ी - वर्मा मलिक 13 अप्रैल 1925 को पाकिस्तान में जन्मे थे। छोटी सी उम्र से ही उन्होंने कविता लिखनी शुरू कर दी थी। आजादी की लड़ाई के दौरान वह कांग्रेस के सदस्य थे। स्कूल में पढ़ाई के दिनों वह अंग्रेजों के खिलाफ कांग्रेस के जलसों और सभाओं में देशगीत गाते थे। इस दौरान उन्हें जेल भी हुई लेकिन उम्र कम होने की वजह से रिहा कर दिए गए।
विभाजन के दंगों में गोली लगी - 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो मलिक को असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा। दंगों के दौरान वह जख्मी भी हुए और परिवार के साथ जान बचाकर किसी तरह दिल्ली पहुंचे। जब यहां जिंदगी पटरी पर आई तो उन्होंने कलम को ही रोजगार बनाया।
हिन्दी से पहले पंजाबी में हुए हिट - बरकत राय उर्फ वर्मा मलिक बचपन में गुरुद्वारे में कविता-पाठ करते थे। जब वह दिल्ली से मुंबई पहुंचे तो उन्हें हंसराज बहल ने मौका दिया। बहल ने मलिक को पंजाबी फिल्म ’लच्छी’ में गीत लिखने का मौका दिया। फिल्म के साथ ही इसके सारे गाने हिट हुए और वे पंजाबी फिल्मों के तब सबसे हिट गीतकार बन गए।
‘यादगार’ फिल्म से बॉलीवुड में छा गए - 1950 से 1970 के बीच वर्मा मलिक को अपनी हुनर के मुताबिक काम नहीं मिला। इस दौरान उन्होंने चार-पांच हिन्दी फिल्मों में जरूर गाने लिखे लेकिन किस्मत उन पर मेहरबान नहीं थी। 1967 में फिल्म ‘दिल और मोहब्बत’ में उन्होंने ‘आंखों की तलाशी दे दे मेरे दिल की हो गयी चोरी’ गाना लिखा।
संगीतकार ओपी नैयर की धुनों से सजी यह गीत काफी हिट साबित हुई। उन्हें बॉलीवुड में बड़ा मौका मनोज कुमार ने दिया। मनोज कुमार ने फिल्म उपकार के लिए मलिक से गाना लिखवाया। हालांकि, दुर्भाग्य से फिल्म में यह गीत नहीं आ सका।
लेकिन मनोज कुमार वर्मा मलिक को नहीं भूले। मनोज कुमार ने अपनी फिल्म ‘यादगार’ में मलिक को मौका दिया। इस फिल्म में ‘इकतारा बोले तुन तुन’ काफी हिट साबित हुआ। इसके बाद वर्मा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
रेखा की फिल्म ‘सावन-भादो’ में ‘कान में झुमका चाल में ठुमका’ भी सुपरहिट साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने ‘पहचान’, ‘बेईमान’, ‘अनहोनी’, ‘धर्मा’, ‘कसौटी’, ‘विक्टोरिया न. 203’, ‘नागिन’, ‘चोरी मेरा काम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘संतान’, ‘एक से बढ़कर एक’, जैसी फिल्मों में कई दिलकश गीत लिखे।
इन 2 गानों के लिए मिला फिल्मफेयर अवॉर्ड - वर्मा मलिक को पहला फिल्मफेयर ‘पहचान’ फ़िल्म के गीत ‘सबसे बड़ा नादान वही है’ और दूसरी बार अवॉर्ड फिल्म ‘बेइमान’ के गीत ‘जय बोलो बेइमान की’ के लिए मिला।
उनकी गीतों में अक्सर समाज में चल रही उथल-पुथल के बोल मिलते थे। वर्मा मलिक आम आदमी के प्यार और परेशानियों को उन्हीं की ज़ुबान में लिखते थे। साल 2009 में 84 साल की आयु में उनका निधन हुआ।