Covid 19: क्या वैक्सीन कंपनियों से फैलाया कोरोना? वायरस से छेड़छाड़ पर सबसे बड़ी साजिश का खुलासा

Covid 19: कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर पर बेहद ही सनसनीखेज आरोप लगे हैं। स्टिंग ऑपरेशन के जरिये दावा किया गया कि अपनी जेब भरने के लिए फाइजर कोरोना वायरस से छेड़छाड़ करने की कोशिश में है। ताकी वायरस बेहद जानलेवा हो जाए और कंपनी कोरोना का नया टीका बना सके। प्रोजेक्ट वेरिटास द्वारा जारी अंडरकवर क्लिप में वाकर एक अज्ञात रिपोर्टर से बात करते हुए नजर आए।
वीडियो में फाइजर द्वारा कोविड-19 वायरस को बदलने पर विचार करने की संभावना के बारे में बताया गया है। रिपोर्टर को को यह पूछते हुए सुना जा सकता है कि तो, फाइजर अंततः कोविड को म्यूटेंट (परिवर्तित) करने के बारे में सोच रहे हैं?
जवाब में वॉकर ने कहा कि सूचना को जनता से दूर रखा जाना चाहिए। वैसे हम लोगों से ऐसा नहीं कहते हैं। वैसे ये बात किसी से मत कहना, वादा करना होगा किसी को नहीं बताओगे। साक्षात्कारकर्ता ने कहा कि फाइजर ने कथित तौर पर उनके इलाज के लिए नए टीके विकसित करने के लिए वायरस को बदलने पर विचार किया।
हम एक्सप्लोर कर रहे हैं, जैसे, आप जानते हैं कि वायरस कैसे म्यूटेंट होता रहता है? हम जिन चीजों की खोज कर रहे हैं उनमें से एक यह है कि हम इसे खुद ही क्यों नहीं बदल लेते हैं, ताकि हम नए टीकों पर ध्यान केंद्रित कर सकें, बना सकें, पहले से ही नए टीके विकसित कर सकें।
जॉर्डन ट्रिस्टन वॉकर के साक्षात्कार के प्रोजेक्ट वेरिटास वीडियो को 15 मिलियन से अधिक बार देखा गया, 69 हजार बार रीट्वीट किया गया 132 हजार लाइक मिले है। फुटेज ने ऑनलाइन बड़ी अटकलों को भी हवा दी, कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने दावा किया कि फाइजर ने सक्रिय रूप से अपने स्वयं के अनुसंधान उद्देश्यों के लिए प्रयोग किए।
अपनी ही चाल में फंसा चीन, कोविड नीति से मिल रही चुनौती
चीन को अब उसकी अपनी ही कोविड नीति को लेकर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की त्रुटिपूर्ण और पीछे धकेलनेवाली रोकथाम नीतियों और अप्रभावी घरेलू स्तर पर उत्पादित टीकों के कारण चीन को कोविड-19 से महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। GeoPolitica.info की रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, चीन से संबंधित कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि शंघाई और बीजिंग सहित अत्यधिक आबादी वाले शहरों के अस्पताल में रोगियों की बाढ़ आ गई है। दावा किया जा रहा है कि अस्पताल रोगियों से भरा पड़ा है। मालूम हो कि चीन में पिछले साल दिसंबर में कोविड-19 का प्रकोप चरम पर था।
GeoPolitica.info की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सरकार ने बिना किसी योजना के अपनी जीरो-कोविड नीति को हटा दिया। इसके तहत शुरुआती चरणों में कड़े कदम उठाए गए थे। वहीं, कोविड से बचने के लिए चीन ने नागरिकों को जिस प्रकार से यातना दी। वह किसी से छिपा नहीं है। कोविड के प्रसार को रोकने के लिए, चीन ने कड़े प्रतिबंध लागू किए थे।
हालांकि, सीसीपी द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी गई है। माना जा रहा है कि चीनी सरकार द्वारा घोषित उपायों से मौतों को रोका जा सकता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। चीन ने अपनी आबादी का एक बड़ा हिस्सा COVID-19 से प्राकृतिक प्रतिरक्षा के बिना छोड़ दिया। इस कारण से लोगों की और अधिक मौत हुई।
बता दें कि चीन ने कोविड की शुरुआती चरणों में मॉडर्ना और फाइजर सहित अन्य विकसित टीकों को खारिज कर दिया था। ये फैसले चीन के राजनीतिक नेतृत्व को परेशान करने वाले और आम जनता के लिए घातक साबित हुए हैं, क्योंकि देश के स्थानीय स्तर पर निर्मित टीके जैसे सिनोवैक और सिनोफार्म अप्रभावी साबित हुए हैं।
GeoPolitica.info की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य देशों द्वारा निर्मित mRNA टीकों की तुलना में सिनोवैक की प्रभावशीलता अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बहुत कम साबित हुई, जब यह पता चला कि यह केवल 50% सुरक्षा प्रदान करती है।