International: ‘सिर पर बंदूक रखकर’ राजनीतिक वार्ता नामुमकिन : बिलावल

International: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव कराने को लेकर देश के राजनीतिक नेतृत्व के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर कोई भी वार्ता ‘धमकी देकर’ यानि बंदूक के बल पर की जाती है तो वह व्यर्थ होगी।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष की यह टिप्पणी देश के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के उस अनुरोध के बाद आई है जिसमें उन्होंने विभिन्न नेताओं को मिल-बैठकर चुनाव के मसले पर बातचीत करने को कहा था।
प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी पूर्वाह्न में उस वक्त की थी जब न्यायालय ने आम चुनाव और प्रांतीय विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू की थी। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने बताया कि न्यायमूर्ति बंदियाल ने कहा कि बातचीत में कोई हठ नहीं हो सकता है और द्विपक्षीय वार्ता के जरिये आम सहमति बनाई जा सकती है।
उन्होंने राजनीतिक नेताओं से ईद के बाद के बजाय बृहस्पतिवार को ही बैठक करने को कहा। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि जुलाई में चुनाव हो सकते हैं। न्यायमूर्ति बंदियाल के अनुरोध के बावजूद, अत्यधिक ध्रुवीकृत राजनीतिक दलों के बीच कोई संवाद नहीं हो सका।
बाद में, पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर अवान और PPP के वकील फारूक एच. नाइक ने न्यायमूर्ति बंदियाल से उनके कक्ष में मुलाकात की और विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के साथ बातचीत करने के लिए और समय मांगा, जिसके बाद सुनवाई 27 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
बिलावल ने कहा, ‘‘हमने अतीत में (चुनावों पर) राजनीतिक नेतृत्व को एकजुट करने के प्रयास किए थे और फिर से ऐसा करने को तैयार हैं, लेकिन आपके दबाव से बातचीत नहीं हो सकती है क्योंकि तब कोई भी सहमत नहीं होगा।" उन्होंने कहा कि पीपीपी एक ही दिन चुनाव कराने का समर्थन करती है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी से भी बात करने को तैयार है।
उन्होंने कहा, "हमारे प्रयासों का उद्देश्य लोकतंत्र को बचाना है, जो इस समय खतरे में है।" बिलावल ने आशा व्यक्त की कि न्यायमूर्ति बंदियाल अपना पद छोड़ने से पहले शीर्ष अदालत के भीतर आम सहमति स्थापित करेंगे।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार का दावा है कि उसके पास चुनावों में देरी करने और अगस्त के बाद उन्हें आयोजित करने की शक्ति है। हालांकि, खान की पार्टी समय से पहले चुनाव कराने पर जोर दे रही थी और मांग कर रही थी कि पंजाब चुनाव में देरी करने के बजाय, नेशनल असेंबली को भंग कर दिया जाना चाहिए और देश में आम चुनाव कराये जाने चाहिए।