contemporary: सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी
contemporary : कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह हक है कि वह भारत सरकार से सवाल पूछें, रोज सवाल पूछें और तमाम सवाल पूछें लेकिन यदि वह भारतीय सेना का मनोबल गिराने वाली बात करेंगे तो यह उनको शोभा नहीं देता। भारतीय सेना अपने शौर्य, साहस और कड़े अनुशासन के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है।
देश में सीमाओं की सुरक्षा की बात हो या आपदाओं के समय राहत कार्यों में सहयोग की बात हो, भारतीय सेना ने हमेशा देश का सर गर्व से ऊँचा किया है। इसलिए यह कहना कि हमारी सेना पिट रही है, निंदनीय और शर्मनाक बयान है।
भारतीय सेना पर हर देशवासी को गर्व है। विषम प्राकृतिक चुनौतियों को झेलते हुए भी हमारे सुरक्षा बल जिस तरह दिन-रात भारत की पावन भूमि की रक्षा में तैनात रहते हैं यह उसी का प्रतिफल है कि आप और हम निडर भाव से अपना जीवन आजादी से बिता पाते हैं और अपने परिवारों संग खुशियां मना पाते हैं।
सेना के जवान भले होली और दिवाली पर अपने घर वालों से दूर सरहद की सुरक्षा में तैनात हों लेकिन वह यह जरूर सुनिश्चित करते हैं कि आप अपने परिजनों के साथ होली-दीवाली ही नहीं जीवन का हर दिन खुशहाली के साथ बिता सकें।
सेना है तो सुरक्षा है, सेना है तो विश्वास है, सेना है तो आत्मविश्वास है। यह कोई स्लोगन नहीं बल्कि हकीकत है। आज भी इस देश में यदि प्रेरणा का कोई सबसे बड़ा पुंज है तो वह सेना है।
विभिन्न सर्वेक्षणों में सामने आया है कि अधिकतर बच्चे बड़े होकर सेना में जाना चाहते हैं। उनका यह उनकी देशभक्ति और सेना के प्रति सम्मान के भाव को स्पष्टतः प्रकट करता है।
जहां तक चीन के साथ सीमा विवाद से निपटने में सरकार की मंशा पर राहुल के ‘‘संदेह’’ करने की बात है तो वह गलत है। चाहे वह गलवान हो या तवांग, हमारे सशस्त्र बलों ने जिस तरह से बहादुरी और वीरता का प्रदर्शन किया, उसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है।