Opposition Alliance: ममता और नीतीश भी छोड़ सकते है आप का साथ!
Opposition Alliance: पटना में हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद अब अगली बैठक शिमला में होनी है। उससे पहले कांग्रेस अपनी पूरी मजबूती के साथ तैयारियों को अमली जामा पहनाने में लग गई है। दरअसल, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पूरी शिद्दत के साथ इस गठबंधन को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। यही वजह है की उनके इसी इशारे पर कांग्रेस पार्टी आगे की योजनाओं को बनाने में लग गई है। इस संबंध में कांग्रेस ने सोमवार को एक बैठक भी की।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की मजबूत पैरवी के चलते गठबंधन तो आगे बढ़ेगा, लेकिन इसमें आम आदमी पार्टी को शामिल किया जाएगा, इसकी संभावनाएं रणनीतिक तौर पर फिलहाल नजर नहीं आ रही हैं।
शुरुआती दौर की बातचीत और सियासी संभावनाओं को देखते हुए राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिर्फ कांग्रेसी ही नहीं बल्कि और भी कई बड़े राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी का इस बनने वाले बड़े गठबंधन में साथ छोड़ सकते हैं।
राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि पटना में राजनैतिक पार्टियों के गठबंधन को राहुल हर हाल में आगे ले जाना चाहते हैं। इसकी वजह बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार रजनीश सहाय कहते हैं कि राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनावों में अपने पुराने सहयोगियों के साथ मिलकर नतीजे देख लिए। इसलिए राहुल अब इस चुनाव में नए सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव में जाने की मजबूत योजना बना रहे हैं।
यही वजह है कि राहुल गांधी इस गठबंधन के लिए चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस की सीटों को नई साझेदारी के तहत रखने की रणनीति बना रहे हैं। जिसमें कहा जा रहा है कि पार्टी दूसरे राजनीतिक दलों के साथ साझेदारी में कम सीटों पर भी लड़ सकती है।
सोमवार को कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में शामिल पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पटना में हुई बैठक के बाद आगे की पूरी रणनीति को बनाने के लिए चर्चाए की गई। इस बैठक के दौरान पार्टी के जिम्मेदार नेताओं ने यूपी का नाम बदलकर पीडीए किए जाने पर भी चर्चा की।
दरअसल, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यूपीए का नाम नहीं बदला जाना चाहिए। इसके पीछे उनका तर्क है कि कांग्रेस की पुरानी सरकारें अपने सियासी गठबंधन में यूपीए के नाम से ही पहचानी गई है और उसकी चेयरपर्सन सोनिया गांधी हैं।
ऐसे में अगर यूपीए का नाम बदला जाता है तो पीडीए का पूरा सिस्टम नए सिरे से गठित होगा। पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कई लोग यह नहीं चाहते हैं कि इसका नाम बदला जाए। हालांकि सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी इस बनने वाले नए गठबंधन में किसी भी तरीके की कोई बड़ी शर्त लगाना नहीं चाहते हैं।
नए गठबंधन की मजबूत गांठ लगने से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तकरार शुरू हो गई है। दरसल आम आदमी पार्टी की ओर से जब अध्यादेश के लिए सभी दलों को अपने पक्ष में खड़े रहने की बात शुरू की गई तो कांग्रेस में इस पर बैठक में भी आम आदमी पार्टी का खुलकर साथ नहीं दिया। इस पूरे मामले में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से खुलकर बैठक के बाद से आपस में विरोध होना शुरू हो गया।
आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने जहां कांग्रेस के नेताओं को निशाने पर लेना शुरू किया वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय माकन ने आम आदमी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी का एजेंट तक कह दिया। ऐसी सियासी तकरार में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि फिलहाल तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में कोई भी समझौता होता हुआ नहीं दिख रहा है।
राजनैतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आम आदमी पार्टी की शुरुआत से पैरवी करने वाली तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे मामले में समझौता करा पाएंगे या वह भी असफल होंगे।
सियासी गलियारों में सबसे बड़ा सवाल इसी को लेकर के उठ रहा है कि ममता बनर्जी और नीतीश कुमार आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस गठबंधन में आखिर कैसे शामिल कराएंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार और ममता बनर्जी शुरुआत से अरविंद केजरीवाल के साथ में गठबंधन को लेकर न सिर्फ चर्चा कर रहे थे, बल्कि उनको अपने साथ जोड़कर चल रहे हैं।
सियासी जानकार जीडी शुक्ला कहते हैं कि लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की चल रही तकरार में ममता बनर्जी और नीतीश कुमार के लिए धर्म संकट जैसी स्थिति बन रही है। हालांकि, उनका कहना हैं कि राजनीति में धर्म संकट जैसी स्थितियां सिर्फ कहने के लिए होती हैं हकीकत में सिर्फ सियासी फायदा ही देखा जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शुरुआती दिनों में तो यही लग रहा है कि नीतीश कुमार और ममता बनर्जी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच में बढ़ रही खाई को दूर कराने की कोशिश जरूर करेंगे।
सियासी तजुर्बेकार मोहम्मद जावेद सिद्दीकी कहते हैं कि सियासी नफा नुकसान को समझते हुए ममता बनर्जी और नीतीश कुमार समेत कई और बड़े नेता दो कदम आगे बढ़ते हुए कांग्रेस के साथ गठबंधन में जा सकते हैं। इसमें अगर आम आदमी पार्टी शामिल नहीं होती है फिर भी यह गठबंधन आगे बढ़ सकता है।
सियासी जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चल रही तकरार में कांग्रेस आम आदमी पार्टी को पूरी तरीके से अकेले छोड़ देने की रणनीति पर काम कर रही है। सियासी जानकार बीबी शंखधर कहते हैं कि कांग्रेस की इस रणनीति में उसको अपना सियासी फायदा भी नजर आ रहा है।
वह कहते हैं कि जिन राज्यों में आम आदमी पार्टी अपने सियासी कद को बड़ा करना चाहती है, उसमें वह कांग्रेस के बड़े वोट बैंक पर सीधे तौर पर नजर रख रही है। ऐसे में कांग्रेस अब सीधे तौर पर अपने वोट बैंक में होने वाली सेंधमारी तो नहीं होने देना चाहती है।
हालांकि, शंखधर का कहना है कि उत्तर भारत के जिन राज्यों में स्थानीय दल बन कर बड़े हुए वह कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ कर के ही आगे बढ़े। चूंकि आम आदमी पार्टी पूरे देश में अपना विस्तार करना चाहती है ऐसे में कांग्रेस पार्टी इसको लेकर बहुत ज्यादा सजग हो चुकी है।
उनका कहना है कि पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता है कि अब वह उस तरीके के हालात खुद जानबूझकर पैदा करें जिससे उनके लिए आने वाले दिनों में उत्तर भारत के राज्यों में सियासी चुनौती का सामना करना पड़े। यही वजह है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी को लेकर लगातार सख्त रवैया अपनाए हुए हैं।
सोमवार को भी कांग्रेस की बैठक में उन सभी मुद्दों को प्रमुखता से रखा गया, जिनके आधार पर शिमला में अगली गठबंधन में शामिल होने वाले बड़े नेताओं की बैठक होनी है। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सोमवार को हुई बैठक में शिमला में होने वाले गठबंधन के अलावा और भी बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा की गई है।
इसमें तेलंगाना समेत अन्य राज्यों में चुनाव की रणनीति तय की गई। इस दौरान तेलंगाना के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक जेपीके राव, पूर्व सांसद पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी समेत राज्य के तीन दर्जन बड़े प्रमुख नेता कांग्रेस में शामिल हुए।