Politics: क्या भाजपा को मात देने के लिये मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हिंदुत्व की राह पर चल रही है कांग्रेस

 
Politics: Is Congress following the path of Hindutva in Madhya Pradesh and Chhattisgarh to defeat BJP?
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साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि भाजपा से लगातार चुनाव हारने वाली कांग्रेस ने अब भाजपा की हिंदुत्व वाली पिच पर ही खेलकर उसे हराने का मंसूबा बना लिया है और मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में होने वाला इस साल का विधानसभा चुनाव कांग्रेस की रणनीति का एक टेस्ट केस माना जा सकता है।

Politics: अविभाजित मध्य प्रदेश को आमतौर पर भाजपा के हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता रहा है। लेकिन अब इसी मध्य प्रदेश और इससे अलग होकर बने छत्तीसगढ़ को कांग्रेस अपने सॉफ्ट हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाने का प्रयास कर रही है।

2018 में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद गांधी परिवार के आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल ने बहुत जल्द ही यह भांप लिया कि अगर छत्तीसगढ़ में निर्बाध रूप से सरकार चलानी है तो हिंदुत्व के रास्ते पर चलना होगा और उसके बाद लोगों ने देखा किस तरह से बघेल ने एक-एक कर राज्य भाजपा से हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को छीनना शुरू कर दिया। 

Politics: Is Congress following the path of Hindutva in Madhya Pradesh and Chhattisgarh to defeat BJP?

छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा और कांग्रेस में हिंदुत्ववादी राजनीति करने की होड़ लगी हुई है। इस बार दोनों पार्टियां हिंदुत्व को मुद्दा बनाकर चुनावी प्रचार कर रही है। दोनों पार्टियों में होड़ लगी है कि कौन-सी पार्टी हिंदुत्व की राजनीति में आगे निकलती है।

गोबर योजना से लेकर, राम वन गमन परिपथ, रामायण प्रतियोगिता, हनुमान चालीसा का पाठ और गोधन न्याय योजना जैसी परियोजनाओं को अपना कर, घोषणाएं करके छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार राज्य के हिंदू मतदाताओं को पुरजोर तरीके से और लगातार लुभाने का प्रयास कर रही है।

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मध्य प्रदेश में 2018 में चुनाव जीतकर गांधी परिवार के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री बनने वाले कमलनाथ को जल्द ही भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की मदद से कुर्सी से हटा कर अपने शिवराज सिंह चौहान को फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया।

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लेकिन इसके बाद पूरे प्रदेश में भ्रमण कर रहे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को जल्द ही हिंदुत्व की राजनीति की अहमियत का भी अहसास हो गया और इसके बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में भी हिंदुत्व की राजनीति पर ही चलने का फैसला कर लिया।

इसके बाद ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के फिलहाल सबसे बड़े और एकमात्र दावेदार नजर आ रहे कमलनाथ ने अपनी पूजा करती तस्वीरों को सार्वजनिक रूप से शेयर करना शुरू कर दिया, बजरंग सेना का कांग्रेस में विलय कराया।

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सबसे खास बात यह है कि किसानों, बेरोजगारों, हड़तालों और आदिवासियों सहित तमाम मुद्दों पर शिवराज सरकार को घेरने वाले कमलनाथ बहुत ही जोर-शोर से और प्रमुखता से उज्जैन के महाकाल में गिरी देव प्रतिमाओं का भी मुद्दा उठाकर हिंदू मतदाताओं को खास संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं। 

यहां तक कि राज्य में चुनावी अभियान का श्रीगणेश करने के लिए मध्य प्रदेश पहुंची प्रियंका गांधी ने भी पहले मां नर्मदा की पूजा अर्चना और आरती कर अपने इरादों को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया। प्रियंका गांधी ने भाजपा सरकार पर व्यापम घोटाले, शिक्षक भर्ती घोटाले, पुलिस भर्ती घोटाले, खनन घोटाले और ई-टेंडर सहित कई घोटाले करने का आरोप लगाते हुए यहां तक कह डाला कि भाजपा की सरकार ने तो घोटालों के मामले में मां नर्मदा और महादेव के महाकाल कॉरिडोर तक नहीं छोड़ा।

साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि भाजपा से लगातार चुनाव हारने वाली कांग्रेस ने अब भाजपा की हिंदुत्व वाली पिच पर ही खेलकर उसे हराने का मंसूबा बना लिया है और मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में होने वाला इस साल का विधानसभा चुनाव कांग्रेस की रणनीति का एक टेस्ट केस माना जा सकता है।

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अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की यह रणनीति कामयाब हो जाती है तो आने वाले दिनों में हम देखेंगे कि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस एक बार फिर से अपने सॉफ्ट हिंदुत्व के पुराने वाले दौर में लौटने की कोशिश करती नजर आएगी क्योंकि कांग्रेस में नेताओं के एक बड़े समूह का यह मानना है कि अगर हिंदू वोटों के बल पर कांग्रेस भाजपा को हराती नजर आएगी।

तो अल्पसंख्यक वोटर खासकर मुस्लिम वोटर भी कांग्रेस के पाले में वापस लौट आएगा और अगर ऐसा हुआ तो न केवल लोकसभा में कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी बल्कि विपक्षी दलों में कांग्रेस खासकर राहुल गांधी की स्वीकार्यता भी बढ़ जाएगी।

- साभार