' रेरा ' अधिनियम की अनदेखी करना कहीं बिल्डरों पर पड़ न जाये भारी
‘रेरा’ अधिनियम की अनदेखी करते हुये भी शहर में हो रहे कई अवैध निर्माण
‘रेरा’ अधिनियम को ताक पर रखकर व वीडीए की अनदेखी का भी लाभ उठा रहे है शहर के बिल्डर व भवन स्वामी, वीडीए व बिल्डरों की मिलीभगत से अवैध निर्माण जोरों पर, जनपद के कई ईलाको में जमकर चल रहा है अवैध निर्माण का कार्य, प्रधानमंत्री मोदी के स्मार्ट सिटी को बर्बाद करते भवन स्वामी व वाराणसी विकास प्राधिकरण
Varanasi News : पिछले अंक में हमने आपको बताया था कि जब से देश के प्रधानमंत्री व वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी व सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने का बीड़ा उठाया है, तब से मानो जनपद में अवैध निर्माण कार्यों में बाढ़ सी आ गयी है। देखा जाये तो जनपद के चौक, कच्ची सराय, दालमण्डी, रेशम कटरा, ठठेरी बाजार, सराय हड़हा, भेलूपुर, रविन्द्रपुरी कालोनी, चेतगंज, नईसड़क, सिगरा, आदमपुर, कोतवाली जैसे तमाम क्षेत्रों में अवैध निर्माण का कार्य ठेकेदारों, बिल्ड़रों व भवन स्वामियों के द्वारा जोर शोर से कराया जा रहा है।
वहीं इन निर्माण कार्यां के लिये न तो वाराणसी विकास प्राधिकरण से कोई परमिशन लिया गया है और ना तो नक्शा ही पास कराया गया है। जिसका प्रमुख कारण है वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों, कर्मचारियों व बिल्डरों के मिलीभगत से चल रहा बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का खेल।
आपको बताते चले कि वाराणसी शहर के 95 प्रतिशत बिल्डर, ठेकेदार व भवन स्वामियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर भारत सरकार के द्वारा लागू किये गये रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट ‘रेरा’ की भी खूब जमकर धज्जियां उड़ायी जा रही है, जिसमें ‘रेरा’ अधिनियम को ताक पर रखकर व वीडीए की अनदेखी का भी लाभ उठा कर शहर के बिल्डर व भवन स्वामी लाखों लगाकर करोड़ों की काली कमाई कर रहे है और सरकार को राजस्व का भी चूना लगाने से बाज नहीं आ रहे है।
मात्र 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर बिल्डर एग्रीमेंट कराकर करोड़ों रूपये का खेल खेला जा रहा है, जिससे विभाग सहित प्रदेश सरकार को भी राजस्व की भारी क्षति पहुंचाने का कार्य बदस्तूर जारी है। आइये बताते है कि क्या है एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट ‘रेरा’, और क्या है इसकी पाबंदियां।
रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट ‘रेरा’ क्या है :-
रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम, 2016, जिसे आरईआरए के रूप में संक्षिप्त किया गया है, एक ऐसा अधिनियम है जो भारत के अचल संपत्ति बाजार को नियंत्रित करता है। अधिनियम 2016 में संसद में पारित किया गया था और 1 मई 2016 को लागू हुआ था।
हालाँकि, रेरा अधिनियम 2016 में प्रत्येक राज्य के रेरा प्राधिकरण के सबसेट हैं। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में एक रियल एस्टेट नियामक संस्था है जिसे यूपी रेरा के नाम से जाना जाता है। निकाय, रेरा यूपी, 27 अक्टूबर 2016 को अस्तित्व में आया, और इसका उद्देश्य घर खरीदारों के हितों की रक्षा करना और उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट निवेश को बढ़ावा देना है।
यदि खरीदार के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है या अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो किसी भी खरीदार द्वारा बिल्डर, डेवलपर या एजेंट के खिलाफ रेरा के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है।
इस अधिनियम को बिल्डर्स, प्रमोटर्स और रियल एस्टेट एजेंटों के विरुद्ध शिकायतों में वृद्धि को देखते हुए बनाया गया है। इन शिकायतों में मुख्य रूप से खरीदार के लिए घर कब्जे में देरी, समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी प्रमोटरों का गैर जिम्मेदारी व्यवहार और अनेक प्रकार की समस्याए है । इसके अंतर्गत एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा । इसका उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा के साथ ही प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के लिए एक पथ निर्धारित करना है ।
रजिस्ट्रेशन के लिये आवश्यक दस्तावेज :-
इसमें होने वाले निर्माण के रजिस्ट्रेशन हेतु आनलाइन आवेदन करना होता है । आवेदन के साथ प्रोजेक्ट की वैधता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज, कंपनी का रजिस्ट्रेशन, पेन कार्ड, फोटो, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, फीस चार्ट, इंजीनियर का प्रमाण-पत्र, प्रमोटर्स का आधार कार्ड, टीएंडसीपी व प्रशासन की अनुमतियों सहित 18 दस्तावेज सम्मिलित करनें होते है । यूपी रेरा की मुख्य विशेषताएं - यूपी रेरा घर खरीदारों, रियल एस्टेट एजेंटों और प्रमोटरों को लाभान्वित करता है।
यूपी रेरा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं : -
1 - अधिनियम का उद्देश्य रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण को विनियमित करना और रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
2 -यह रियल एस्टेट परियोजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
3 - घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए एक त्वरित विवाद समाधान तंत्र स्थापित किया गया है।
4 - एक खरीदार किसी बिल्डर या प्रमोटर के बारे में सभी जानकारी की जांच कर सकता है।
5 - विसंगतियों के मामले में राज्य रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण से संपर्क किया जाना चाहिए।
6 - प्राधिकरण आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति लेनदेन दोनों को नियंत्रित करता है।
7 - सभी डेवलपर्स और रियल एस्टेट एजेंटों को रेरा यूपी के साथ पंजीकृत होना चाहिए। उन्हें परियोजना योजना, लेआउट, सरकारी अनुमोदन, भूमि शीर्षक स्थिति, उप-ठेकेदार आदि जैसी जानकारी प्रदान करनी होगी।
8 - नियम के उल्लंघन के मामले में, अपीलीय न्यायाधिकरण तीन साल तक की जेल या दोनों की सजा का प्रावधान करता है।
9 - परियोजना में देरी होने पर एक घर खरीदार को नुकसान नहीं होगा; इस मामले में, डेवलपर उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई समान ईएमआई का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
10 - 500 वर्ग मीटर या आठ अपार्टमेंट से अधिक की प्रत्येक परियोजना के लिए यूपी रेरा के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य है।
वहीं एक ओर जहां सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश का दावा कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर वाराणसी का विकास प्राधिकरण योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावों की हवा निकालता नजर आ रहा है।
अब देखना यह है कि क्या वाराणसी विकास प्राधिकरण इन अवैध निर्माणों के विरूद्ध कार्यवाही करती है या फिर बिल्डर व भवन स्वामियों से सम्बन्ध निभाते हुये अपने निजी लाभ के लिये इन अवैध निर्माणों को गति प्रदान करती है, ये तो आने वाला समय ही बतायेगा। फिलहाल तफ्तीश जारी है।