Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मिली आशीष मिश्रा को 8 हफ्ते की जमानत, यूपी जाने पर लगा बैन

Lakhimpur Kheri Violence: सुप्रीम कोर्ट ने आज उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 2021 में किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत दे दी। मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की पीठ ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि पीड़ितों के अधिकारों का संतुलन भी बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा, "हम इस मामले में कोई राय नहीं दे रहे हैं।"
मिश्रा को आठ सप्ताह के लिए अंतरिम राहत दी गई है, इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने की अनुमति तभी दी जाएगी, जब उन्हें निचली अदालत में पेश होने के लिए कहा जाएगा। मिश्रा को एक सप्ताह के भीतर यूपी छोड़ने का आदेश दिया गया है। उन्हें इस अवधि के लिए अपने निवास का पता अदालत के साथ साझा करना होगा और पासपोर्ट सरेंडर करना होगा।
मामले के अन्य सभी आरोपियों को भी जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया है। ट्रायल कोर्ट हर सुनवाई के बाद मामले की पूरी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को भेजेगा। सुप्रीम कोर्ट मामले की निगरानी करेगा और अगली सुनवाई 14 मार्च को निर्धारित की गई है।
जमानत के बावजूद दिल्ली-NCR और UP में नहीं रह सकते आशीष
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लखीमपुर हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को 8 हफ्ते की जमानत दे दी है। आशीष को कुछ शर्तों पर जमानत दी गई है। जानकारों की मानें तो मिश्रा की रिहाई में दो से तीन दिनों का समय और लग सकता है।
संभावना जताई जा रही है कि 26 जनवरी के बाद ही जेल से बाहर आ सकेंगे। ऐसे में जानते हैं कि उन्हें किन शर्तों पर जमानत दी गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आशीष पर लखीमपुर में 5 किसानों को अपनी कार से कुचलने का आरोप लगा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आशीष मिश्रा के लिए यह शर्त है कि वह जमानत के बाद दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश में नहीं रहेंगे। जमानत मिलने के एक हफ्ते के बाद उन्हें प्रदेश को छोड़ना होगा। कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि आशीष को अपनी लोकेशन के बारे में संबंधित न्यायालय को जानकारी देनी होगी।
इसके अलावा यह शर्त भी लगाई गई है कि यदि आशीष मिश्रा या उनका परिवार मामले से जुड़े किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की तो जमानत को रद्द कर दिया जाएगा।
साथ ही यह भी हिदायत दी गई है कि यदि ट्रायल में देरी कराने की कोशिश की तो उस स्थिति में भी जमानत को रद्द कर दिया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 19 जनवरी को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान आशीष की तरफ पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा था कि उनके मुवक्किल पिछले एक साल से जेल में बंद हैं और जिस तरह से सुनवाई हो रही है उसके हिसाब से इसमें 7-8 साल का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि आशीष न ही अपराधी हैं और न ही उनका कोई ऐसा इतिहास है।
गौरलतब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में 3 अक्टूबर को हिंसा हुई थी। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उनके इशारे पर प्रदर्शनकारी किसानों पर जीप चढ़ाई गई। जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी। इस हिंसक घटना में 8 लोगों की जान गई थी।