बिल्किस बानु केस के 11 कैदियों को छोड़ने का विरोध

बिल्किस बानु सामूहिक दुष्कर्म मामले में 7 लोगों की हत्या के 11 आरोपियों को मुक्त किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सदस्य डा अमीबेन याज्निक सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता वकील कलाकार व बुद्धिजीवियों ने अदालत से तत्काल रिहाई खत्म करने की मांग की है।
अहमदाबाद। Bilkis Bano case: बिल्किस बानु सामूहिक दुष्कर्म व 7 लोगों की हत्या के 11 आरोपियों को मुक्त किये जाने को महिला सम्मान व सशक्तिकरण विरोधी बताते हुए कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सदस्य डा अमीबेन याज्निक सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, कलाकार व बुद्धिजीवियों ने अदालत से तत्काल रिहाई खत्म करने की मांग की है।
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का हवाला देते हुए डा याज्निक ने गुजरात सरकार से पूछा है कि क्या यही महिला सशक्तिकरण की नीति है।
दोषियों की रिहाई के खिलाफ प्रदेश के सामाजिक संगठनों ने शुक्रवार को अहमदाबाद में धरना भी दिया।
उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता एवं कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट डा याज्निक एवं गुजरात महिला कांग्रेस अध्यक्ष जेनीबेन ठुमर ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि सामूहिक दुष्कर्म के कैदियों को रिहा करने से गुजरात सरकार की महिला सम्मान व सशक्तिकरण की नीति उजागर हो गई है।
प्रदेश में बीते दो साल में दुष्कर्म की 3796 घटनाएं बनी हैं जिनमें से 61 महिलाएं सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई हैं। राज्य में महिला उत्पीडन के 8 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं।
बिल्किस बानु के केस का हवाला देते हुए डा याज्निक ने कहा है कि राज्य सरकार को महिलाओं की गरिमा व सम्मान को प्रधानता देनी चाहिए।
देश में भाजपा गुजरात के विकास की बातें कर रही है लेकिन महिला सुरक्षा के बजाए सामूहिक दुष्कर्म के 11 कैदियों को स्वतंत्रता दिवस पर मुक्त करने का फैसला कर एक अलग ही संदेश दिया है।
गुजरात उच्च न्यायालय की वकील सुश्री रत्ना वोरा का कहना है कि कानून में खामी का फायदा उठाकर सामूहिक दुष्कर्म व हत्या जैसे मामले के दोषियों को छोड़ा जाना दुखद व स्तब्ध करने वाला है।
इस तरह अन्य अपराधियों को भी सरकार, पुलिस व कानून की मिलीभगत से गंभीर अपराध कर बच निकलने का रास्ता मिल जाएगा।
बिल्किस ने संघर्ष करते हुए लंबी लड़ाई लड़ी अब उसके दोषियों को छोड़ दिया जाना देश की महिलाओं का अपमान व उनके सम्मान व गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ईशुदान गढ़वी ने भाजपा पर दुष्कर्म के दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है, गढ़वी ने कहा है कि दिल्ली में आप की सरकार अच्छा कार्य कर रही है इसलिए उसे परेशान करना चाहती है।
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन से जुड़ी नूरजहां बताती हैं कि प्रदेश के विविध सामाजिक संगठनों की ओर से दोषियों की रिहाई के खिलाफ नवरंगपुरा पुलिस थाने के सामने धरना दिया गया।
नूरजहां का कहना है कि देश जहां आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं गुजरात सरकार ने गेंगरेप व 7 जनों की हत्या के दोषियों को मुक्त कर दिया।
सरकार देश को किस ओर ले जाना चाहती है, इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध बढेंगे। हत्या व दुष्कर्म जैसे मामलों के दोषियों को छोड़ना अपराधियों को शह देने जैसा है।
प्रदर्शन में कांग्रेस विधायक ग्यासुद्दीन शेख, इमरान खेडावाला, युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पार्थिवराज कठवाडिया आदि भी शामिल थे।
मुंबई की विशेष सीबीआइ अदालत ने जनवरी 2008 में 11 जनों को बिल्किस से सामूहकि दुष्कर्म व 7 परिजन की हत्या मामले में आजीवन कैद की सजा सुनाई थी।
15 साल की सजा पूरी होने के बाद गत दिनों कैदी राधेश्याम शाह ने उच्चतम न्यायालय में जेल से मुक्ति की गुहार लगाई थी।
अदालत ने इस संबंध में फैसला करने के लिए राज्य सरकार को मामला सौंप दिया था। सरकार ने जेल सलाहकार समिति इस पर विचार करने को भेजा था जिसने गत दिनों सभी 11 कैदियों को रिहा करने का निर्णय किया था।
गोधरा से भाजपा विधायक सी के राउलजी समेत पंचमहाल कलक्टर सुजल मयात्रा, जिला सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जेल उपाधीक्षक इस समिति में सदस्य हैं।
विधायक राउलजी ने कैदियों की रिहाई पर कहा कि इन्होंने करीब 15 साल की सजा पूरी कर ली है। इनमें कुछ दोषी ब्राह्मण हैं, जिनके संस्कार अच्छे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर काम किया है,
हमने जेल अधिकारियों से इनके आचरण के बारे में पता किया। सजा के दौरान आचरण ठीक होने व कुछ कैदी ब्राम्हण व अच्छे संस्कार वाले होने के कारण उन्हें मुक्त करने का फैसला किया।
उनका यह भी कहना है कि दंगों में कई बार ऐसा होता है कि जो निर्दोष होता है वह फंस जाता है, ऐसा हो सकता है कि उनके साथ दुश्मनी के चलते उनहें फंसाया गया हो।