यूपी की सभी लोकसभा सीटें जीतने का दावा कैसे कर रही BJP, सपा का क्या होगा?

 
What will happen to the BJP, SP claiming to win all the Lok Sabha seats in UP?
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भाजपा को क्यों लग रहा कि वो सभी 80 सीटें जीत जाएगी? इसके लिए पार्टी ने क्या प्लानिंग की है? समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें क्यों खड़ी हो सकती हैं? आइए जानते हैं सबकुछ...

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का दावा कर रही है। लंबे समय से भाजपा के दिग्गज नेता इसको लेकर दावे भी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, सभी 80 सीटें जीतने का दावा कर चुके हैं। 

भाजपा को क्यों लग रहा कि वो सभी 80 सीटें जीत जाएगी? 

What will happen to the BJP, SP claiming to win all the Lok Sabha seats in UP?


भाजपा अपने पुराने नतीजों के आधार पर इस तरह का दावा कर रही है। पिछले चुनावों में भाजपा ने जिस तरह से आजमगढ़, रामपुर और अमेठी जैसी सीटों पर जीत हासिल की है, उसे देखकर उन्हें लगता है कि वह समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मजबूत सीटों को भी जीत सकती है।

राहुल गांधी की संसदीय सीट अमेठी में जहां भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली। वहीं, रामपुर और आजमगढ़ की सीट मई में हुए उप-चुनाव भाजपा ने सपा से छीनीं। अब पार्टी ने मैनपुरी, रायबरेली जैसी सीटों पर भी जीतने का लक्ष्य बनाया है।'

यूपी भाजपा के एक दिग्गज नेता का कहना है कि, 'हम लोग हमेशा जनता के बीच रहते हैं। इसलिए हमें अलग से चुनाव की तैयारी नहीं करनी पड़ती है।

2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए हम तीन प्रमुख बिंदुओं पर काम कर रहे हैं।'  

1. हारी हुई सीटों पर फोकस: 2014 और 2019 में भाजपा को जिन-जिन सीटों पर हार मिली थी, उन सीटों की समीक्षा की गई है। इन सीटों पर विपक्ष की जीत की वजह जातीय और धार्मिक फैक्टर के साथ विपक्ष का चेहरा भी वजह रहा था।

इस बार अभी से उन सभी सीटों पर भाजपा फोकस कर रही है। आने वाले समय में जातीय, धार्मिक समीकरण भी साधे जाएंगे।

इन सीटों पर केंद्रीय मंत्री, राज्य सरकार के मंत्रियों का दौरा ज्यादा से ज्यादा होगा। स्थानीय लोगों की हर समस्याओं का निस्तारण होगा और उन्हें सरकार के कामकाज की जानकारी दी जाएगी।     

2. बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने का काम: विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने बूथ स्तर पर परिणामों की समीक्षा की है। इसमें मालूम चला कि यूपी के करीब पौने दो लाख बूथों में से एक लाख बूथ ऐसे हैं, जिनपर भाजपा की अच्छी पकड़ है।

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मतलब ये बूथ अब भाजपा के मजबूत स्तंभ की तरह हो गए हैं। इसके अलावा 75 हजार बूथ ऐसे हैं, जहां स्थिति थोड़ी खराब है। इनमें भी 40 हजार बूथ अल्पसंख्यक बहुल हैं। इसके अलावा 35 हजार बूथ ऐसे हैं, जहां अन्य पार्टियों के साथ भाजपा की टक्कर बराबरी की है।

भाजपा ने पहले इन 35 हजार बूथों को पूरी तरह से अपने पाले में करने की योजना बनाई है। जिन 40 हजार बूथों से उन्हें वोट कम ही मिलते हैं, वहां सेंधमारी बढ़ाने की राजनीति तैयार की है। 

3. इन वोटर्स पर ज्यादा फोकस: पार्टी ने 2019 और फिर 2022 चुनाव के नतीजों के बाद जो समीक्षा की गई है, उसके अनुसार भाजपा को यादव, जाटव, मुस्लिम वोटर्स के बीच पकड़ बनाने की जरूरत है। इसके लिए भाजपा ने अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।

यादव वोटर्स को जोड़ने के लिए समाजवादी पार्टी के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव के नाम का भी सहारा लिया जाएगा। मुलायम सिंह यादव ने 2019 लोकसभा के सत्र के आखिरी दिन संसद में एक बड़ा बयान दिया था।

जिसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से कहा था कि मैं चाहता हूं कि आप फिर से प्रधानमंत्री बनें। मुलायम सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बयान का जिक्र भी किया था।

तब वह गुजरात में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसके अलावा भाजपा अपर्णा यादव के जरिए भी यादव वोटर अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। 

वहीं, जाटव वोटर्स को साधने के लिए भाजपा ने बेबी रानी मौर्या को आगे किया है। बेबी रानी मौर्या जाटव समाज से आती हैं।

यही कारण है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल पद से हटाकर वापस बुला लिया गया था। अब वह यूपी सरकार में मंत्री भी हैं। 



मुस्लिम वोटर्स की बात करें तो भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस पिछड़े मुस्लिमों पर है। इनमें पसमांदा मुस्लिम शामिल हैं। इनकी संख्या यूपी में सबसे अधिक है।

भाजपा का दावा है कि सरकारी की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ भी इन्हीं पसमांदा मुसलमानों को मिला है। ऐसे में पार्टी ने इन वोटर्स को अपनी ओर करने की जिम्मेदारी दानिश आजाद अंसारी को सौंपी है। दानिश पसमांदा मुसलमान हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। 

सभी 80 सीटों पर सर्वे भी करा रही पार्टी


यूपी में मिशन 2024 के तहत भाजपा ने काम करना शुरू कर दिया है। सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पार्टी ने सर्वे कराना शुरू किया है। इस सर्वे के जरिए पार्टी इन क्षेत्रों के भाजपा नेताओं की जानकारी जुटा रही है।

इसके साथ-साथ क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं, मुद्दों को लेकर भी लोगों से जानकारी हासिल कर रही है। इसमें भाजपा सांसदों की रिपोर्ट कार्ड भी तैयार हो रहा है। इसी आधार पर 2024 लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण का काम भी होगा।

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समाजवादी पार्टी का क्या? 


मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलों का दौर शुरू हो सकता है। 2019 चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव का दिया गया बयान अब भाजपा पूरे जोरशोर से प्रचारित करेगी।

उस दौरान भी भाजपा ने किया था, लेकिन अब उनके निधन के बाद सबको बताने की कोशिश होगी कि मुलायम सिंह चाहते थे कि नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री बने रहें।

मुलायम पीएम मोदी को काफी पसंद करते थे और उनके कामकाज की भी सराहना करते थे।' जब भाजपा मुलायम सिंह यादव के इस बयान को प्रचारित करेगी तो वो दौर समाजवादी पार्टी के लिए काफी मुश्किल भरा होगा।'