Atiq-Ashraf Murder: अतीक-अशरफ से पहले भी इस माफिया को भून दिया गया
Atiq-Ashraf Murder: माफिया से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई। दोनों को उमेश पाल हत्याकांड के मामले में चार दिनों की पुलिस रिमांड पर कोर्ट ने भेजा था। हत्या के वक्त दोनों जिला अस्पताल से मेडिकल करवाकर निकल रहे थे।
देश के बड़े माफियाओं में शुमार रहे अतीक और अशरफ की सरेराह हत्या ने एक बार फिर सूबे में अपराध और अपराधियों की चर्चा छेड़ दी है। हालांके, इसके पहले भी कई माफियाओं की सरेराह हत्या हो चुकी है। जिनमें कुछ ऐसे भी थे, जो माफिया से राजनेता बन चुके थे।
आज हम ऐसे ही एक बड़े माफिया की कहानी बताएंगे। नाम है मुन्ना बजरंगी। जिसके नाम से एक समय पूरा यूपी कांपता था। लेकिन इस माफिया का अंत भी उसी तरह हुआ। मुन्ना को 2018 में बागपत जेल के अंदर गोलियों से भून दिया गया था।
प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे। मगर, प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। उम्र के साथ ही उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में लेते चले गए।
मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।
गजराज का साथ मिला, व्यापारी को मार डाला - वह अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का साथ मिल गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था।
1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दबदबा बनाया। पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया।
यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था।
मुख्तार को खुश करने के लिए भाजपा विधायक पर चलाई गोलियां - पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते भाजपा विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह का हाथ था।
उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था।
मुख्तार ने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी। फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने गाजीपुर के भंवरकौल थाना क्षेत्र के गंधौर में 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया।
उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर असाल्ट रायफल से 400 गोलियां बरसाई थी। हमले में विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे छह अन्य लोग भी मारे गए थे।
पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इसके बाद से वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया।
सात लाख रुपये का था इनाम - भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया।
उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया।
उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं, लेकिन 29 अक्तूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था।
तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा था। 2018 में उसे झांसी से बागपत जेल में शिफ्ट किया गया, जहां उसी साल जेल में ही गोलियों से भूनकर हत्या हो गई। इससे पहले 2005 में मुन्ना बजरंगी के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी उर्फ अन्नू त्रिपाठी की वाराणसी जिला जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
वहीं, मुन्ना के खास रहे प्रिंस अहमद की 2010 में जेल में हत्या कर दी गई थी। प्रिंस अहमद कृष्णानंद राय हत्याकांड में मुख्तार और मुन्ना बजरंगी के साथ नामजद था।