Bihar News: जानिए कौन है आनंद मोहन सिंह, क्या है डीएम हत्याकांड की पूरी कहानी

 
Bihar News: Know who is Anand Mohan Singh, what is the whole story of DM murder case
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डीएम हत्याकांड में पहले फांसी की सजा पा चुका और फिर उम्र कैद में सजा बदलने के बावजूद आनंद मोहन सिंह को जेल से रिहा कर दिया गया है। जानिए कौन है आनंद मोहन सिंह, क्या है DM हत्याकांड की पूरी कहानी।

Bihar News: गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह बिहार की सहरसा जेल से रिहा हो गया है। आज यानी गुरुवार 27 अप्रैल 2023 को उसे सुबह साढ़े चार बजे रिहा कर दिया। आनंद मोहन सिंह की रिहाई को लेकर कहीं जश्न मनाया जा रहा है तो कहीं सरकार की मंशा सवाल उठाए जा रहे हैं।

सरकार की मंशा पर प्रश्न इसलिए उठ रहे हैं कि हाल ही में आनंद मोहन सिंह सहित 27 दोषियों को रिहा करने के लिए जेल के नियमों में संशोधन किया। राज्य की नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ विपक्ष तमाम आरोप लगा रहा है। लेकिन तमाम राजनीतिक गलियारों में इस विषय पर बात हो रही है कि आनंद मोहन की रिहाई क्यों जरूरी है।

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बिहार सरकार ने बदला जेल मैनुअल - बिहार सरकार ने हाल ही में जेल मैनुअल में संशोधन किए हैं। अधिसूचना में कहा गया कि 14 या 20 साल की सजा काट चुके 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया है। गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह अपने बेटे की सगाई समारोह में भाग लेने के लिए 15 दिन की पेरोल पर बाहर आया था।

पेरोल की अवधि पूरी होने के बाद वह 26 अप्रैल को ही सहरसा जेल वापस लौटा था। बिहार सरकार के जेल मैनुअल में संशोधन के बाद बुधवार 26 अप्रैल 2023 को ही 14 दोषियों को रिहा कर दिया गया था। आनंद मोहन सिंह सहित आठ लोगों को 26 अप्रैल को रिहा नहीं किया गया। आनंद मोहन सिंह को आज जेल से रिहा कर दिया गया।

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क्यों जेल में बद था आनंद मोहन सिंह - आनंद मोहन सिंह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी यानी डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास यानी उम्र कैद की सजा काट रहा था। 5 दिसंबर 1994 को युवा आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब मुजफ्फरपुर के गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा हो रही थी।

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उस समय छोटन शुक्ला के समर्थक जुलूस निकालकर शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे। इस बात से बेखबर गोपालगंज के डीएम कृष्णैया नेशनल हाईवे से गोपालगंज लौट रहे थे। वह हाजीपुर में चुनाव से जुड़ी एक मीटिंग से लौट रहे थे। डीएम का काफिला छोटन शुक्ला के अंतिम यात्रा के जुलूस में फंस गया।

आनंद मोहन सिंह के ही भड़काने पर जनता ने कृष्णैया की हत्या कर दी थी। जनता ने कृष्णैया को उनकी कार से निकालकर पीट-पीटकर (Lynched) मार दिया था। बता दें कि कृष्णैया आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के महबूबनगर के रहने वाले थे और 1985 बैच के IAS अफसर थे।

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ट्रायल और मौत की सजा - 1994 में हुई हत्या के मामले में साल 2007 में ट्रायल कोर्ट ने आनंद मोहन सिंह को मौत की सजा सुनाई। हालांकि, इसके एक साल बाद ही यानी साल 2008 में पटना हाईकोर्ट ने आनंद मोहन सिंह की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया।

इसके बाद आनंद मोहन सिंह ने उम्र कैद की सजा को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उसे कोई राहत नहीं मिली और उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा गया। वह तभी से सहरसा जेल में बंद था। आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद भी लोकसभा सांसद थी। उनका बेटा चेतन आनंद सिंह बिहार के शेओहर से RJD विधायक हैं।

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1990 में जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सोशल जस्टिस अभियान की शुरुआत की थी। लालू के इस अभियान को सवर्ण नेताओं ने अपने खिलाफ माना और उनका कहना था कि इस कथित अभियान से यादव जाति के लोग सवर्णों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।

आनंद मोहन सिंह उस समय जनता दल में ही था, और उसकने लालू यादव के उस अभियान के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने भी उस समय आनंद मोहन सिंह का समर्थन किया और 1993 में आनंद मोहन ने जनता दल छोड़कर अपनी पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) बना ली।

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लालू के 5 साल के राज में 1000 राजनीतिक हत्याएं - 1990 के दशक में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी थी. उस समय पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने एक बयान देकर सियासी भूचाल ला दिया था। उन्होंने बयान दिया कि लालू यादव के पांच साल के कार्यकाल में 1000 राजनीतिक हत्याएं हुई थीं।

उन्होंने उस समय बताया कि ये सभी हत्याएं जातीय संघर्ष में हुई हैं और ज्यादातर सवर्णों की ही हत्या हुई। उस दौरान विधायक त्रिलोकी हरिजन, सांसद नगीना राय, सांसद ईश्वर चौधरी, विधायक हेमंत शाही, कांग्रेस नेता ठाकुर केएन सिंह और सरफराज अहमद की जैसे नेताओं की भी हत्या हुई थी।

जगन्नाथ मिश्रा के इस बयान से सियासी बवाल खड़ा हो गया और उत्तर बिहार में सवर्ण एकजुट होने लगे। इसी दौरान आनंद मोहन ने ऐलान कर दिया कि अगर सवर्णों को कुछ हुआ तो अधिकारी और पुलिसकर्मियों को छोड़ेंगे नहीं। उसकी बंदूक उठाए तस्वीर भी अखबारों में छपी।

आनंद मोहन ने अगड़ों को जोड़ना शुरू किया. इस बीच वैशाली लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई। आनंद मोहन ने अपनी पत्नी लवली आनंद को वैशाली से अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया। आनंद के इस काम में अंडरवर्ल्ड माफिया छोटन शुक्ला ने उसकी मदद की। लालू यादव ने भी यहां से सत्येंद्र नारायण सिन्हा की पत्नी किशोरी सिन्हा को टिकट दी, लेकिन आनंन मोहन की 30 वर्षीय पत्नी चुनाव जीतकर सांसद बन गई।

पुलिस की वर्दी में आए और छोटन शुक्ला की हत्या कर दी - वैशाली उपचुनाव में जीत के बाद छोटन शुक्ला, आनंद मोहन का राइट हैंड बन गया। छोटन शुक्ला भी अब माफियागिरी को किनारे रखकर राजनीति में आना चाहता था। उसने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी। आनंद मोहन ने उसे चंपारण की केसरिया सीट से चुनाव लड़ने को भेजा।

उस समय इस सीट से सीपीआई के यमुना यादव विधायक थे। चुनाव प्रचार करके छोटन शुक्ला अपने कुछ साथियों के साथ 4 दिसंबर 1994 को वापस मुजफ्फरपुर लौट रहा था। रात को करीब 8-9 बजे कुछ लोगों ने पुलिस की वर्दी में उसकी एम्बेसडर कार को रुकवाया और गाड़ी के रुकते ही फायरिंग शुरू हो गई। छोटन शुक्ला को मारने के लिए उस समय वहां एके-47 से 100 राउंड फायरिंग हुई थी।

इस फायरिंग में छोटन शुक्ला और उसके पांचों साथी भी मारे गए। इस हत्याकांड में लालू यादव के करीबी बृज बिहारी प्रसाद का नाम आया और वह उस समय बिहार सरकार में मंत्री भी थे। इस हत्याकांड के बाद बिहार में कर्फ्यू लगा और तब छोटन के भाई भुटकुन ने बदला लेने की कसम खाई थी।

छोटन शुक्ला की हत्या के बाद आनंद मोहन का भाषण - आनंद मोहन ने छोटन शुक्ला की मौत का बदला लेने के लिए ही डीएम जी. कृष्णैया की हत्या करवाई। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में लिखा कि छोटन की हत्या के बाद मुजफ्फरपुर के भगवानपुर चौराहे पर आनंद मोहन ने भाषण दिया।

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इसमें उसने कहा कि मुजफ्फरपुर और चंपारण के एसपी ने लालू यादव के साथ मिलकर छोटन की हत्या की साजिश रची। चुनाव के बाद लालू यादव तो भाग जाएगा, लेकिन अधिकारी यहीं कूटे जाएंगे। आनंद मोहन ने कहा कि एक-एक अधिकारी से बदला लिया जाएगा। इस भाषण के बाद भीड़ में बदला-बदला का नारा गूंजने लगा।

छोटन शुक्ला की हत्या का बदला डीएम के मर्डर से - बात पांच दिसंबर 1994 की है. जी. कृष्णैया, उस समय लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज के डीएम थे। वह हाजीपुर से मतदाता पर्ची लेकर गोपालगंज लौट रहे थे। उस समय उनका सिक्योरिटी गार्ड भी उनके साथ था।

रिपोर्ट के मुताबिक डीएम कृष्णैया के ड्राइवर ने आनंद मोहन के कहने पर ही गाड़ी रोकी थी। डीएम की गाड़ी रुकते ही पीपुल्स पार्टी के समर्थकों ने उनके सिक्योरिटी गार्ड पर हमला कर दिया। डीएम कृष्णैया ने गाड़ी से बाहर निकलने की कोशिश भी की, लेकिन भीड़ ने उन पर भी हमला बोल दिया।

डीएम कृष्णैया की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी गई। डीएम की मौत सुनिश्चित करने के लिए छोटन के भाई भुटकुन ने डीएम के शव पर गोली भी चलाई। घटनास्थल से करीब 50 किमी दूर आनंद मोहन और उसकी पत्नी लवली आनंद को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस चार्जशीट में आनंद, उसकी पत्नी लवली, छोटन का भाई भुटकुन और मुन्ना शुक्ला को आरोपी बनाया गया था।