Chhath Puja 2023: कूड़े और काले पानी से भरे कुण्ड में कैसे होगी छठ की पूजा ? 17 नवंबर से शुरू होने वाला है डाला छठ का महापर्व

Chhath Puja 2023: आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू हो रहा है। लेकिन, शहर के घाटों पर अब तक जब साफ-सफाई का काम पूरा नहीं हो सका है। तालाबों और कुंडों का हाल भी यही है। कहीं सिल्ट जमी है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
अधिकतर तालाबों और कुंडों में जलकुंभियां लगी हैं। नगर निगम की ओर से इसकी सफाई अब तक नहीं कराई गई है। छठ पर्व को लेकर नगर निगम की तैयारियां नाकाफी हैं। गंगा घाट हों या तालाब सभी गंदगी से भरे हैं।
छठ पर व्रती महिलाओं के साथ ही लाखों की भीड़ घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जुटती है। लेकिन, अब तक न घाटों की सफाई मुकम्मल हो सकी है और ना ही तालाबों-कुंडों की। कुछ तालाबों में जलकुंभियाें का अंबार है।
मंगलवार को की गई पड़ताल में तालाबों की स्थिति बदतर मिली। सामनेघाट पर सिल्ट नहीं हट पाई है। रविदास घाट, अस्सी घाट से लेकर केदार घाट, गायघाट, आदिकेशव घाट, ललिता घाट, मानमहल घाट, क्षेमेश्वर घाट, बाबुआ पांडेय पर गंदगी है। कई घाटों से अब तक बाढ़ की मिट्टी भी नहीं हटाई जा सकी है।
शंकुलधारा पोखरा - खोजवां स्थित शंकुलधारा पोखरा गंदगी से भरा पड़ा है। पानी का रंग गंदगी और काई की वजह से हरा हो गया है। सीढि़यों पर सिल्ट जमी हुई है। तालाब के सुंदरीकरण के बाद इसमें फव्वारे और लाइट लगाई गई थीं। जो खराब हो चुकी हैं। इस तालाब में हजारों व्रती महिलाएं छठ पूजा के लिए पहुंचती हैं।
लक्ष्मीकुंड पोखरा - लक्सा स्थित लक्ष्मीकुंड तालाब भी शहर के बीचोंबीच स्थित है। इस तालाब में छठ पूजन के साथ ही लक्ष्मीपूजन और मूर्ति विसर्जन होता है। यहां का पानी गंदगी की वजह से काला हो चुका है। पानी में प्लास्टिक के थैले और गंदगी तैरती दिख रही है।
सीढि़यों पर काई जमी है और आसपास गंदगी बिखरी है। शहर के बीच स्थित इस तालाब के हालात नगर निगम के सफाई के दावे की पोल खोल रहे हैं। इसके अलावा ईश्वरगंगी, कंदवा, रामकटोरा, भिखारीपुर, रामकुंड तालाब, मंदाकिनी तालाब का भी कमोबेश यही हाल है।
19 तालाबों में होता है छठ पूजन - नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार शहर के 19 तालाबों में महिलाएं छठ पूजन करती हैं। इन सभी तालाबों की सफाई व आसपास सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे पहले नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने जोनवार सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों की तैनाती की है। इनके अलावा सबजोन के कर्मचारियों को भी निगरानी के लिए लगाया गया है।
बजट नहीं, बस कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई - छठ पर साफ-सफाई के लिए नगर निगम के पास अतिरिक्त कोई बजट नहीं होता। हां, इतना जरूर है कि गंगा घाटों की साफ-सफाई के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी गई है।
घाटों, तालाबों की सफाई के लिए 400 सफाई कर्मचारी लगाए गए हैं। इन्हें तीन दिन के अंदर सफाई का काम पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। वहीं, तालाबों की सफाई की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के सफाई कर्मचारियों को दी गई है।
घाटों पर लगे चेंजिंग रूम क्षतिग्रस्त - गंगा स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिए घाटों पर बनाए गए चेंजिंग रूम भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। चेजिंग रूम की दीवारों में कई जगहों पर छेद हो गया है। कई की तो दीवार ही नहीं है। छठ पूजन के अलावा आम दिनों में भी गंगा स्नान करने वाली महिलाओं को दिक्कत होती है। घाटों पर बैठने के लिए लगाई गई सीमेंटेड सीट कहीं क्षतिग्रस्त हैं तो कहीं गंदगी से भरी पड़ी हैं।
घाटों और कुंडों की सफाई के लिए अतिरिक्त सफाईकर्मी लगाए गए हैं। इसके अलावा काम की निगरानी की जिम्मेदारी भी सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों को दी गई है। छठ के पहले सफाई करा दी जाएगी। - डॉ. एनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी