Deoria Mass Murder: नरसंहार पर बोली बेटी, पिता से कही थी सरप्राइज देने की बात, पहले से थी कत्ल की साजिश

Deoria Mass Murder: दो अक्तूबर 2023 से पहले ही मेरे परिवार को खत्म कर देने का आरोपियों ने प्लान बनाया था। 28 सितंबर को आरोपियों में से किसी ने मेरे पापा को सरप्राइज देने की बात कही थी, लेकिन उस दिन कामयाब नहीं हो सके। 29 सितंबर को पिता को घर के रास्ते पर दो कारतूस मिले थे।
इसकी सूचना पर मैं गांव आ गई थी। कुछ इतना दर्दनाक होने का अहसास भी नहीं था, लेकिन दो अक्तूबर को हमारी जिंदगी में वह काला दिन आ गया और हमारा लगभग पूरा परिवार खत्म हो गया। यह कहना है फतेहपुर कांड में जान गंवाने वाले सत्यप्रकाश दुबे की बेटी शोभिता का।
फतेहगंज कांड में 30 अक्तूबर से कोर्ट में ट्रायल शुरू होगा। शोभिता ने कहा कि हत्यारोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए पूरा प्रयास करूंगी। मेरे निर्दोष परिजनों को इन आरोपियों ने बेरहमी से मार डाला है। उनको सजा दिलाने के लिए आखिरी दम तक लडूंगी।
शोभिता ने बताया कि भूमि विवाद के केस के सिलसिले में मेरे पिता न्यायालय गए थे। तब इन आरोपियों में शामिल कुछ लोगों ने न्यायालय में मेरे पिता को सरप्राइज देने की बात कही थी। घटना के दिन मैं गांव में ही थी। दो अक्तूबर की सुबह में मेरी तबीयत ठीक नहीं लगी तो मैं टहलने के लिए निकली थी।
इसी बीच सुनियोजित साजिश के तहत घटना को अंजाम दिया गया। आरोपी मेरे पूरे परिवार को मार डालने की योजना बनाए थे, लेकिन मैं और मेरे दो भाई ऊपर वाले की कृपा से बच गए। दो अक्तूबर की घटना के बाद घायल छोटे भाई अनमोल का पुलिस अभिरक्षा में इलाज चल रहा था।
वहीं बलिया एक कार्यक्रम में शामिल होने गए भाई देवेश को मैं चुपके से लेकर जिला मुख्यालय पहुंची। उसे सुरक्षित जगह रखवा दी। इसी बीच मेरी तबीयत बिगड़ गई। मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। मैंने बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद फिर से दोनों भाइयों की सुरक्षा में लग गई। मैंने दोनों भाइयों को सुरक्षित जगह रख दिया था।
इधर आरोपी व उनके परिजन मेरे भाइयों की खोज में दिनरात लगे हुए थे। मैं खुद या अपने किसी भी रिश्तेदार से अपने भाइयों को मिलने नहीं देती थी। कुछ दिन तक इधर-उधर रखने के बाद मन उनकी सुरक्षा को लेकर बेचैन रहने लगा तो दोनों को साथ में रखने लगी। शोभिता ने जिला प्रशासन से ट्रायल शुरू होने पर सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगाई है।
शोभिता ने बताया कि 28 सितंबर को हत्या कर पाने में विफल आरोपियों ने दो अक्तूबर का दिन चुना। उनको याद था कि दो अक्तूबर को उसके भाई का जन्मदिन था। उस दिन पिता ने खुशी में सभी घरों में मिठाइयां बांटी थी। इसके बाद आरोपियों ने अपनी बनाई योजना के तहत घटना को अंजाम दिया।
जिस समय घटना हुई उस समय मैं नौ माह की गर्भवती थी। तबीयत ठीक नहीं लगने पर मैं सुबह टहलने के लिए गांव के बाहर की तरफ निकल गई। इसी बीच आरोपी घर पहुंचे और प्रेमचंद की हत्या के प्रतिशोध में मेरे पिता एवं मेरी मां को मार डाला। इसके बाद आरोपियों ने मेरे छोटे भाई और बहनों को भी नहीं छोड़ा।
वीडियो बनाने की बात कहते हुए भीड़ में शामिल इन आरोपियों ने मेरी दोनों बहनों और भाइयों पर भी हमला कर दिया। संयोग था कि मेरे छोटे भाई अनमोल की सांसें चल रही थीं। यह देख एक पुलिस कर्मी ने तत्काल अस्पताल इलाज के लिए भिजवाया। गोलियां चलने की आवाज सुनने के बाद मैं वापस घर के पास पहुंची तो देखी कि भीड़ एकत्रित है।
भीड़ में कुछ आरोपी भी मौजूद थे, जिनकी निगाहें मुझे खोज रही थीं। मैंने चेहरे को दुपट्टे से बांधा और भीड़ में एक जगह पहुंची तो देखा कि मेरे परिवार के सदस्य मृत पड़े हुए हैं। इसके बाद मैं एकदम से असहज हो गई। खुद को संभाला और उसी समय प्रण कर लिया कि इन आरोपियों को अंतिम सांस तक सजा दिलाकर ही दम लूंगी।
शोभिता ने कहा कि दो अक्तूबर के दिन मेरे छोटे भाई का जन्म होने के चलते हमलोग उसे छोटा गांधी कहकर पुकारते थे। उसके जन्मदिन के दिन ही मैं अपने पहले बच्चे का जन्म देना चाहती थी। इसलिए मायके में ही थी। पापा व मम्मी मुझे डॉक्टर के पास ले जाने का प्रोग्राम बना चुके थे। मैं टहलने के लिए गांव के बाहर नहीं गई होती तो अपराधी मुझे भी मार डाले होते।