IIT Kanpur Case: मर्चरी में हृदय विदारक दृश्य देख भर आई हर आंख, मामला पीएचडी की छात्रा के आत्महत्या का
IIT Kanpur Case: उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित आईआईटी में एक महीने में तीन आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं पर आईआईटी के अनुशासित छात्र भी भड़क गए हैं। शुक्रवार को छात्रों ने संस्थान परिसर में धरना देकर आईआईटी की शिक्षण व्यवस्था में बदलाव की मांग की।
इसके साथ ही ग्रेडिंग व्यवस्था और टर्मिनेशन पर भी सवाल उठाए। शुक्रवार की देर रात छात्रों ने कैंपस में कैंडल मार्च भी निकाला। गौरतलब है कि आईआईटी कानपुर में शुक्रवार को पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने आत्महत्या कर ली थी। यह संस्थान में नौ दिन में दूसरी और महीने भर में तीसरी आत्महत्या की घटना है।
पीएचडी छात्रों ने कहा कि गाइड और छात्रों के बीच संबंधों में भारी सुधार की जरूरत है। छात्रों का कहना है कि सेमेस्टर में अगर छात्रों को एक्स यानी फेल कर दिया है तो पहले ही छात्रों को बता दिया जाए ताकि वे अपनी थीसिस को सुधार सकें।
फेल करने के बाद छात्रों को बताने का कोई मतलब नहीं है। उधर, कानपुर पहुंचे परिजनों में शुक्रवार को कोहराम मचा रहा। आईआईटी में झारखंड से पीएचडी की पढ़ाई करने आई प्रियंका जायसवाल ने गुरुवार को खुदकुशी कर ली थी।
सूचना मिली तो पूरी रात सफर कर माइनिंग इंजीनियर पिता नरेंद्र, मां ज्योत्सना और एमबीबीएस के अंतिम वर्ष की छात्रा छोटी बहन लिपि मोर्चरी पहुंची। रात भर रोने से सभी की आंखों में सूजन आ गई थी। प्रियंका का शव मोर्चरी के बाहर टीन शेड के नीचे रखा गया तो परिजन फफक कर रो पड़े। करीब एक घंटे तक परिजनों की हृदय विदारक चीत्कार से मोर्चरी गूंजती रही।
परिजनों के जेहन में प्रियंका की 29 साल की जितनी यादें थीं, सब एक-एक कर करुण क्रंदन के साथ बाहर आती गईं। रो-रोकर मां का गला रुंध गया था। शव देख पिता ने सिर पकड़ लिया। कुछ मिनट बाद बोले, मेरा बेटा सो रहा है। साइक्लिंग का समय होने पर उसे उठा दीजिएगा...
फिर कुछ देर बाद उन्हें प्रियंका के जाने का अहसास हुआ तो फफक पड़े। कमजोर पड़ती प्रियंका की मां और छोटी बेटी को देख वह कभी मफलर से चश्मा पोंछते तो कभी आंखों के आंसू पोंछ दोनों को समझाने का प्रयास करते दिखे।
पिता ने प्रियंका का चेहरा देखकर उसे उठाने की कोशिश की और बोले, लोरी ऐसी कौन सी बात थी, जो तुमने हम लोगों से छिपाकर रखी। तुम तो यहां पढ़ने के लिए आई थी। अब तुम्हारे बिना हमारा क्या होगा?
कभी परिजन प्रियंका के झारखंड से हाईस्कूल करने की बात का जिक्र करते तो कभी दिल्ली के डीपीएस इंटर करने की बातें बताते रहे। एक-एक कर परिजन यादों का पन्ने आंसुओं के साथ पलटते रहे। अंत में पुलिसकर्मी जब पोस्टमार्टम के लिए शव ले जाने लगे तो प्रियंका की मां और बहन चीख पड़ीं।
पिता नरेंद्र ने बताया कि प्रियंका के घर का नाम लोरी है। लोरी बचपन से ही पढ़ने में होशियार थी। उसने धनबाद काॅर्मल स्कूल से हाईस्कूल किया। फिर दिल्ली आरके पुरम स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की। इसके बाद कोटा गई। फिर आईआईटी रोपड़ से एमटेक किया था।
28 दिसंबर को वह प्रियंका को लेकर आईआईटी कानपुर पहुंचे थे। 29 को एडमिशन कराने के बाद वापस धनबाद चले गए थे। आईआईटी में एडमिशन होने पर वह काफी खुश थी। कल्याणपुर पुलिस ने शुक्रवार को माता पिता की मौजूदगी में प्रियंका के शव का पोस्टमार्टम कराया।
कांशीराम के डॉक्टर अतुल सचान ने वीडियोग्राफी के साथ पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फंदे से लटकने के चलते मौत की पुष्टि हुई है। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव को परिजनों के हवाले कर दिया। शव लेकर परिजन भैरव घाट पहुंचे और पिता नरेंद्र ने बेटी को मुखाग्नि दी।
पिता ने बताया कि शनिवार को बेटी की अस्थियां लेकर झारखंड के लिए रवाना होेंगे। रात में कानपुर में ही रुकेंगे। पिता ने बताया कि प्रियंका अपनी हेल्थ को लेकर बहुत सजग थी। 28 दिसंबर को एडमिशन होने के बाद 29 दिसंबर को उसने पिता को फोन करके कहा था कि पापा मुझे साइकिल खरीदनी है ताकि सेहत सही कर सकूं।
इसके बाद उसने साइकिल भी खरीदी थी। पिता ने बताया कि प्रियंका को डायबिटीज और बीपी की समस्या था। वह लगातार इन बीमारियों की दवा भी ले रही थी। साइकिल लेने के दौरान उसने कहा था कि साइकिल चलाने से वजन कम होगा तो शुगर भी कम होगी।