Kushinagar Bulldozer Action: हाईकोर्ट का स्टे खत्म होते ही प्रशासन का एक्शन, मस्जिद गिराने में 6 जेसीबी मशीनें लगी

 
Kushinagar Bulldozer Action
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कुशीनगर में हाई कोर्ट का स्टे खत्म होते ही जिला प्रशासन ने बड़ा एक्शन लिया है। कुशीनगर की 26 साल पुरानी मस्जिद को ढ़हाया जा रहा है। 

Kushinagar Madni Masjid Demolition: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के हाटा नगर के वार्ड नंबर 21 गांधी नगर के करमहा चौराहे पर स्थित मदनी मस्जिद को ढहाया जा रहा है। हाई कोर्ट ने 8 फरवरी तक इस मस्जिद पर किसी भी एक्शन के लिए स्टे लगाया था।

9 फरवरी 2025 को स्टे खत्म होते ही प्रशासन ने ये बड़ा एक्शन लिया है।  तीन मंजिला मस्जिद को ढहाने के लिए 6 बुलडोज़र लगाए गए हैं। रविवार सुबह 7 बजे, CO कसया कुंदन सिंह, SDM योगेश्वर सिंह, तहसीलदार नरेंद्र राम और पीएससी की एक बटालियन के साथ दस थानों की पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंची।

मस्जिद तोड़ने की कार्रवाई सुबह 10 बजे से शुरू की गई। पूरे हाटा नगर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है और आसपास के 200 मीटर क्षेत्र को सील कर दिया गया है। चूंकि कार्रवाई रात तक चलने वाली है, इसलिए लाइटिंग की व्यवस्था भी की जा रही है। 

1999 में मदनी मस्जिद के निर्माण की शुरुआत हुई थी, तब केवल दो मंजिला भवन के नक्शे को स्वीकृति दी गई थी। लेकिन बाद में भूतल सहित तीन मंजिला निर्माण कर लिया गया, जो विवाद का कारण बन गया। उसी वर्ष हिंदूवादी नेता राम बच्चन सिंह ने इस अवैध निर्माण की कई बार शिकायत की थी, लेकिन उस समय कोई सुनवाई नहीं हुई।

24 साल बाद, 18 दिसंबर 2023 को मस्जिद निर्माण की जांच शुरू हुई। जांच पूरी होने के बाद 23 दिसंबर को नगरपालिका प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को तीन बार नोटिस जारी किया, लेकिन कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके बाद नगरपालिका एक्ट के तहत इसे अवैध निर्माण घोषित कर कार्रवाई शुरू की गई।

मजिस्द का मामला हाई कोर्ट में चल रहा था। कोर्ट ने 8 फरवरी तक मस्जिद पर कसी भी तरह की कार्रवाई के लिए रोक लगाई थी। हाई कोर्ट का स्टे खत्म होते ही 9 फरवरी को प्रशासन ने ये बड़ा एक्शन लिया और मस्जिद को गिराने में लग गया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मजिस्द के पक्षकार वकील सफीउल्लाह खान ने कहा कि बिना किसी लीगल नोटिस के मस्जिद पर बुलडोजर चलाना पूरी तरह गलत है। मैं मौके पर मौजूद हूं। एसडीएम और नगर पालिका ईओ से नोटिस मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। नोटिस का जवाब पहले ही दिया जा चुका है। इस तरह कानूनी अधिकार छीनना सरासर अन्याय है।

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