Lok Sabha Elections: क्या एक नहीं दो सीटों से ताल ठोंक सकते हैं अखिलेश यादव ?

 
Lok Sabha Elections
Whatsapp Channel Join Now
अखिलेश यादव आने वाले लोकसभा चुनावों में एक नहीं दो सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी एक साथ इनकी गुपचुप तैयारियों में लगी हुई है। अखिलेश अभी विधानसभा के सदस्य हैं। 

Lok Sabha Elections: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी लोकसभा चुनाव दो सीटों से लड़ सकते हैं। उनके लिए कन्नौज और आजमगढ़ दोनों में तैयारियां चल रही हैं। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों से अखिलेश यादव पहले भी सांसद रह चुके हैं।

सपा ने पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को कन्नौज और आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया है। ये दोनों ही सीटें मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी होने के कारण सपा का गढ़ मानी जाती हैं। कन्नौज से अखिलेश यादव लगातार 2000, 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव जीते थे।

Lok Sabha Elections

उसके बाद 2014 में उनकी पत्नी डिंपल यादव यहां से जीतीं। जीत का यह सिलसिला वर्ष 2019 में थमा, जब डिंपल यादव भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक से हार गईं। इसी तरह से आजमगढ़ से वर्ष 2014 का चुनाव मुलायम सिंह यादव जीते और 2019 में अखिलेश यादव वहां से सांसद चुने गए।

लेकिन, अखिलेश यादव के विधानसभा सदस्य चुने जाने के बाद जब इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तो सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव यहां से हार गए। दिलचस्प मुकाबले में आजमगढ़ से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ जीते।

Lok Sabha Elections

इन दोनों ही सीटों को पुनः हासिल करने के लिए सपा कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि आजमगढ़ के प्रभावशाली नेताओं को विधान परिषद में भेजने की तैयारी है। पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को भी बसपा से तोड़कर सपा में लाया जा चुका है।

सपा ने अपने रणनीतिकारों को क्षेत्र में बने रहने के लिए कहा है, ताकि पार्टी के भीतर कहीं कोई असंतोष होने पर उसे थामा जा सके। सपा सूत्रों का कहना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं।

Lok Sabha Elections

अखिलेश यादव के उतरने से स्थानीय स्तर पर पार्टी के भीतर मतभेदों की गुंजाइश नहीं बचेगी, इसके मद्देनजर भी यह फैसला किया गया है। उधर, संभल से अखिलेश परिवार के किसी नेता को चुनाव लड़ाने की अटकलों पर विराम लग गया है।

सपा सूत्रों का कहना है कि बदायूं से शिवपाल यादव चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए पड़ोस की संभल सीट से किसी यादव को उतारने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

Lok Sabha Elections