Mukhtar Ansari: फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की मिली सजा

 
Mukhtar Ansari
Whatsapp Channel Join Now
एमपी/एमएलए कोर्ट ने पहले अवधेश राय हत्याकांड में सुनाई थी सजा। अब गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। 

Mukhtar Ansari: बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने शस्त्र लाइसेंस मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट वाराणसी के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ मुख्तार जज के सामने गिड़गिड़ाने लगा और सिर पकड़कर बैठ गया।

दुखी होने के कारण बुधवार शाम उसने कुछ खाया भी नहीं। बता दें कि मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है। सुरक्षा कारणों के चलते उसे वाराणसी नहीं भेजा गया। हालांकि वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जोड़ा गया।

जेल सूत्र बताते हैं कि दोपहर बाद जैसे ही कोर्ट ने मुख्तार को उम्रकैद व जुर्माने की सजा सुनाई गई वह सिर पकड़ कर बैठ गया। ब्लड प्रेशर की समस्या होने से अफसर घबरा गए और उसे तत्काल बैरक पर भेज दिया गया। दो बार डॉक्टर ने मुख्तार का स्वास्थ्य परीक्षण किया।

Mukhtar Ansari

हांलाकि डॉक्टरों ने ब्लड प्रेशर को सामान्य बताया। सीसीटीवी के जरिए मुख्तार पर कड़ी नजर रखी गई। बताया गया कि शाम को मुख्तार की इफ्तार की प्लेट तैयार की गई तो उसे ने पानी पीकर रोजा खोला और कुछ भी नहीं खाया। मुख्तार की इस हालत पर अन्य बंदी भी काफी दुखी दिखे। 

बताते है कि मुख्तार रोजा खोलने के पहले वह जेल अन्य मुस्लिम बंदियों को फल, खजूर आदि सामग्री वितरित करता था। उधर, जेल प्रशासन का कोई अधिकारी मुख्तार के बारे में कुछ नहीं बता रहा है। किसी ने फोन बंद कर लिए तो कोई मीडिया के फोन रिसीव नहीं कर रहा है।

Mukhtar Ansari

वाराणसी जिले की एमपी/एमएलए कोर्ट की अदालत ने नौ महीने बाद ही बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस बार गाजीपुर के 33 वर्ष तीन महीने नौ दिन पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में सजा सुनाई गई है। 2.02 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 

इस मामले में मुख्तार के खिलाफ 4 दिसंबर 1990 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इससे पहले अदालत ने अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को 5 जून 2023 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

पिछले 18 महीने में मुख्तार को आठ मामलों में सजा मिल चुकी है। उसके खिलाफ करीब 65 मुकदमे दर्ज हैं। मुख्तार 18 वर्षों से जेल में है। एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की अदालत ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में बुधवार को मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई।

Mukhtar Ansari

मुख्तार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत के समक्ष पेश किया गया। इस बीच अदालत ने तल्ख टिप्पणी की और कहा कि मुख्तार को अधिकतम दंड से असामाजिक तत्व हतोत्साहित होंगे।जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर से शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करना अभियुक्त के दुस्साहस और आपराधिक मनोवृत्ति को दर्शाता है।

समाज में ऐसे व्यक्ति, जो इस प्रकार के अपराध से मनमानी करके अपराध की दुनिया में पहचान बनाते हैं। नवयुवकों के अपरिपक्व मस्तिष्क को दुष्प्रेरित कर उनके आदर्श भी बन जाते हैं। इससे समाज पर बुरा असर पड़ता है। समय पर समुचित कार्रवाई के अभाव में ऐसे व्यक्ति बाद में स्वयं माफिया और अपराधी बन जाते हैं।

इसकी पुष्टि अभियुक्त का आपराधिक इतिहास करता है। ऐसे अपराध सामान्य अपराध के उदाहरण नहीं हैं। इसमें जिले के वरिष्ठतम सेवा के अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर हुए हैं। गलत तरीके से शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करना सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

Mukhtar Ansari

अपराध की गंभीरता है। इसे विशिष्ट श्रेणी में रखते हुए अधिक दंड दिया जाना आवश्यक है। अभियोजन की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह और अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला ने पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष के मुताबिक मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था।

बाद में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त करते हुए मुख्तार ने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सीबीसीआईडी ने गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरूद्ध 1997 में आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर की मृत्यु होने के कारण उसके विरूद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया।

अब अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना और माफिया मुख्तार अंसारी को चार अलग-अलग धाराओं में दर्ज मुकदमे सजा सुनाई गई है। जुर्माना भी लगाया गया है।