Nazul Land Bill: खत्म हो जाएगा ये विभाग, यदि प्रवर समिति ने पास किया विधेयक तो कहां जाएंगे ये कर्मचारी? जानिये इस विधेयक के बारे में विस्तार से

 
Nazul Land Bill
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योगी सरकार के नजूल संपत्ति विधेयक 2024 की घोषणा से कई लोगों की धड़कनें तेज हो गई हैं। इसमें नजूल विभाग के कर्मचारी और नजूल की भूमि पर बसे हजारों लोग शामिल हैं।

Nazul Land Bill: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ने लगा है। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नजूल भूमि को लेकर नजूल संपत्ति संशोधन विधेयक पारित कर सियासी तूफान को हवा दे दी है। हालांकि यह विधेयक अभी पास नहीं हो सका है।

विधान परिषद में विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष ने भी विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई है। भाजपा MLC और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। इसके बाद विधान परिषद में विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए वोटिंग कराई गई। इसको लेकर सदस्यों ने ध्वनि मत से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया।

यूपी विधानसभा में सहयोगी दलों के विरोध के बावजूद योगी सरकार नजूल विधेयक को पारित कराने में सफल रही। हालांकि विधान परिषद में इस विधेयक पर रोक लगने और तमाम विरोध के बीच इसे अब प्रवर समिति के पास भेजा गया है। ऐसे में अब उन लोगों की धड़कनें तेज हो गई हैं। जिनका संबंध नजूल की संपत्ति से है।

उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 पास होने के बाद शहर के हजारों लोग परेशान हो गए हैं। गुरुवार को तमाम लोग जिला प्रशासन के नजूल अनुभाग पहुंचे और अपनी जमीन के बारे में जानकारी ली।

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लोगों ने यह पूछा कि सालों पहले जमीन फ्री होल्ड कराने के लिए उन्होंने जो राशि जमा की थी, उसका क्या होगा। आम लोगों की तरह ही अब नजूल अनुभाग के अफसरों व कर्मचारियों को भी अपने काम को लेकर संशय है। जिले में लगभग 2200 लोगों ने 11 साल पहले अपनी जमीन को फ्री होल्ड कराने के लिए आवेदन दिया था।

इसके तहत उस वक्त तय की गई राशि का अंशदान भी दिया था। गुरुवार को नजूल भूमि को लेकर आए समाचार के बाद तमाम लोग जिला प्रशासन स्थित विभाग पहुंचे। कर्मचारियों ने उन्हें यही बताया कि अभी इसका आदेश आने के बाद विस्तार से कोई जानकारी की जा सकेगी।

हालांकि उन्होंने यह कहा कि सभी की जमा की गई राशि को ब्याज के साथ वापस किया जाएगा। इसके साथ ही कलक्ट्रेट में कर्मचारी अपनी स्थिति को भी लेकर बात करते दिखे। दरअसल अब तक यह माना जा रहा था कि नजूल भूमि को फ्री होल्ड कराने का नियम आएगा तो विभाग का काम बढ़ेगा।

अब जबकि नजूल भूमि को न फ्री होल्ड करने की बात है और न ही लीज बढ़ाने की तो इस अनुभाग पर भी संशय हो गया है। प्रयागराज में नजूल संपत्ति को लेकर प्रदेश सरकार के विधेयक पर गुरुवार को सर्वदलीय पूर्व पार्षद समिति ने बैठक की।

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कहा कि इस विधेयक में मध्यम वर्ग को छोड़ दिया गया, जबकि गरीब लोग फ्री होल्ड नहीं करा सकते। पार्षद शिवसेवक सिंह, आनंद घिल्डियाल ने सरकार से हर वर्ग का ध्यान देने के लिए कहा। बैठक में अशोक सिंह, कमलेश सिंह, भाष्कर पटेल, दिनेश गुप्ता, चंद्र प्रकाश आदि मौजूद रहे।

इलाहाबाद उत्तरी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि अब प्रदेश सरकार के पास लैंड बैंक की कमी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि सिविल लाइंस में सागर पेशा के 1445 लोगों को कहीं पुनर्वासित करने के बाद ही हटाने का आदेश उन्होंने वर्ष 2012 में जिला प्रशासन, नगर निगम और विकास प्राधिकरण से पास कराया था। 

तब से यह लोग वहीं रह रहे थे। वर्ष 2017 में प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद हमेशा से जमीन की उपलब्धता न होने की बात कही जा रही है। पिछले दिनों जब नजूल भूमि को लेकर प्रदेश सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट की तो उन्होंने तमाम स्तर पर लिखापढ़ी की।

सरकार ने हालिया पास विधेयक में गरीब लोगों को पुनर्वासित करने की बात स्वीकारी है। ऐसे में अब जबकि सरकार नजूल भूमि वापस लेगी तो उसके पास लैंड बैंक की कमी का बहाना नहीं रहेगा। इस नजूल विधेयक के जरिए यूपी की योगी सरकार इस प्रकार की भूमि पर सरकारी कब्जा करना चाहती है। नजूल विधेयक के मुताबिक, सरकार नजूल भूमि को सार्वजनिक उपयोग में लाना चाहती है।

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इसलिए वह लीज नवीनीकरण के पक्ष में नहीं है। हालांकि यूपी विधानसभा में चर्चा के दौरान सरकार ने स्पष्ट किया था कि वह लीज नवीनीकरण के संबंध में नियम बनाते समय इसे स्पष्ट करेगी। विधेयक में यह भी कहा गया है कि सरकार नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड नहीं करेगी।

सरकार ने यह भी आश्वासन दिया था कि जिन लोगों ने फ्रीहोल्ड का पैसा जमा कर दिया है, उन्हें बैंक दर पर ब्याज सहित राशि वापस की जाएगी। अगर वे शर्तें पूरी करते हैं, तो लीज नवीनीकरण किया जाएगा। दरअसल नजूल भूमि का मुद्दा ब्रिटिश हुकूमत के समय से ही है।

ब्रिटिश हुकूमत ने जब देश में अपने पैर पसार लिए तक ब्रिटिश सरकार ने भारत की स्थानीय रियासतों को अपने पक्ष में करने के लिए तमाम प्रयास किए। कई रियासतें ब्रिटिश सरकार की जागीर बन गईं। वहीं, कुछ मजबूत रियासतों ने ब्रिटिश सरकार की गुलामी स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

ब्रिटिश सरकार उनके खिलाफ युद्ध के मैदान में उतर गई। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें हराकर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया। उन जमीनों पर रहने वाले लोगों को इसके लिए टैक्स देना पड़ता था। अंग्रेजों ने कई जगहों पर कब्जा करके अपनी कॉलोनियां बसा लीं। 

इसके बाद देश की आजादी होने साथ ही ब्रिटिश सरकार ने उन जमीनों को खाली करा लिया, जिन पर उन्होंने कब्जा कर रखा था। जिन जमींदारों या जागीरदारों को ब्रिटिश सरकार ने इन जमीनों की देखभाल और कर वसूलने का अधिकार दिया था, उनके पास भी जमीन के दस्तावेज नहीं थे।

दस्तावेजों के अभाव वाली इन जमीनों को नजूल भूमि कहा जाता था। देश के लगभग सभी इलाकों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह हुए। युद्ध हुए और अंग्रेजों ने जमीनों पर कब्जा कर लिया। यही वजह है कि नजूल की जमीन पूरे देश में देखने को मिलती है।

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बता दें कि, नजूल की जमीन के मामले में राज्य सरकार का अधिकार होता है। इसे राज्य की संपत्ति माना जाता है। हालांकि, सरकार इन जमीनों का प्रशासन नहीं करती है। इन जमीनों को एक निश्चित अवधि के लिए पट्टे पर दिया जाता है। पट्टे की अवधि 15 से 99 साल तक होती है। लोग राजस्व विभाग में आवेदन देकर पट्टे की अवधि को बढ़ा सकते हैं।

सरकार नजूल की जमीन को वापस लेने या अपडेट करने या इसे रद्द करने का अधिकार सुरक्षित रखती है। लखनऊ में नजूल भूमि का एक बड़ा हिस्सा आमतौर पर लीज पर दी जाने वाली हाउसिंग सोसायटियों के लिए इस्तेमाल होता है।अब योगी सरकार ऐसी जमीनों पर कब्ज़ा करने की रणनीति बनाती दिख रही है।