Nithari Case: निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली और पंढेर को मिली थी फांसी की सजा, हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त

 
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नोएडा के चर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। 

Nithari Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया है। कई दिनों तक चली बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोठी D 5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है।

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 न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर व सुरिंदर कोली को फांसी की सजा के खिलाफ अपीलों पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। 

फांसी की सजा के खिलाफ दोनों हाईकोर्ट में अपील दायर की है। विभिन्न खंडपीठों ने 134 दिन की लंबी सुनवाई की। कोली पर आरोप है कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब हो गई।

वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था। नोएडा के चर्चित निठारी कांड में निचली अदालत से कोली को एक दर्जन से अधिक मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। यह प्रकरण वर्ष 2005-06 के बीच का है।

मामले का पर्दाफाश तब शुरू हुआ, जब नौकरी की तलाश में घर से निकली एक युवती के पिता ने बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट नोएडा के सेक्टर-20 थाने में दर्ज कराई। पुलिस की जांच में दिल दहला देने वाला मामला प्रकाश में आया था।

पुलिस ने निठारी में रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के दर्जनों कंकाल बरामद किए गए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था।

पुलिस की विवेचना के बीच ही मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के कुल 16 मामले दर्ज किए थे। गाजियाबाद स्थित सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को एक दर्जन से अधिक मामले में फांसी की सजा सुनाई है।

हालांकि, फांसी की सजा के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। फांसी की सजा के सभी आदेशों को कोली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। लंबित अपील पर कई बार बहस भी हो चुकी है, लेकिन विभिन्न कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो पाई।

मुंबई से आए कोली के वकील ने सुनवाई के पहले ही दिन अभियोजन की कहानी को सच्चाई से परे करार दिया था। कोली के वकील का तर्क था कि पुलिस की यातना के चलते कोली ने जुर्म स्वीकार किया था।

निठारी कांड में कब क्या हुआ - 29 दिसंबर 2006 को नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार, 8 फरवरी 2007 को कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया,

मई 2007 को सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे मामले में सहअभियुक्त बनाया, 13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई।

ये पहला फैसला था, 3 सितंबर 2014 को कोली के खिलाफ  कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया, 4 सितंबर 2014 को  कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया, 12 सितंबर 2014 से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी।

वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा, 12 सितंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई, 28 अक्तूबर 2014 को सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया।

2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी, 28 जनवरी 2015 को हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया।

सुनवाई के दौरान पेश हुए 38 गवाह - निठारी कांड के अन्य मामलों का खुलासा होने पर इस मामले को भी सीबीआई ने 11 जनवरी को अपने हाथ में ले लिया था। सीबीआई ने 26 जुलाई 2007 को अदालत में चार्जशीट पेश की थी। मामले में सीबीआई कोर्ट में 305 दिन सुनवाई हुई। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल 38 गवाह पेश किए।

कब-कब सुनाई फांसी की सजा - 13 फरवरी 2009 : सुरेंद्र कोली एवं मोनिंदर सिंह पंढेर फांसी की सजा। हाईकोर्ट से पंढेर बरी।  12 मई 2010 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा।  28 अक्तूबर 2010 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा।  22 दिसंबर 2010 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा।  

24 दिसंबर 2012 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा।  7 अक्तूबर 2016 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा।  16 दिसंबर 2016 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा।  24 जुलाई 2017 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा, पंढेर बरी।  08 दिसंबर 2017 : सुरेंद्र कोली एवं मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा। 

02 मार्च 2019 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा। पंढेर बरी। 06 अप्रैल 2019 : सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा। पंढेर बरी। 15 जनवरी 2021 : सुरेंद्र कोली दोषी करार। मोनिंदर पंढेर बरी।

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