Umesh Pal: अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की जमानत अर्जी खारिज, उमेश हत्याकांड में है आरोपी
![Umesh Pal: Atiq's wife Shaista Parveen's bail application rejected, Umesh is an accused in the murder case](https://www.bmbreakingnews.com/static/c1e/client/99149/uploaded/a293e969ac07a0cb44d3778b69c903c0.jpg?width=963&height=520&resizemode=4)
Umesh Pal: उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन की जमानत अर्जी गुरुवार को जिला न्यायालय ने खारिज कर दी। शाइस्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि उसका इस घटना से न कोई लेना देना है और न ही कोई मतलब। उसे सियासी रंजिश में फंसाया गया है।
शाइस्ता पर है 25 हजार का इनाम
उमेश पाल हत्याकांड मामले में शाइस्ता फरार होने की वजह से 25 हजार रुपये की इनामी हो चुकी है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। गिरफ्तारी से बचने के लिए शाइस्ता ने जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी।
शाइस्ता की तलाश में कई जगह दबिश, बढ़ सकता है इनाम
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की तलाश में कई जगह दबिश दी जा रही है। लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पा रहा है। हत्याकांड की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, शाइस्ता की भी भूमिका सामने आ रही है। ऐसे में पुलिस उन पर भी इनाम बढ़ा सकती है। शाइस्ता पर इस समय 25 हजार का इनाम है। उन पर पहले 50 फिर ढाई लाख का इनाम घोषित किया जा सकता है।
सीसीटीवी फुटेज वायरस होने के बाद तलाश हुई तेज
उमेश पाल हत्याकांड में एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही शाइस्ता परवीन लापता हैं। उन्होंने अपने वकीलों के माध्यम से कई हाईकोर्ट और जिला न्यायालय में कई याचिकाएं दाखिल कीं। पुलिस उन्हें लगातार ढूंढ रही है। साबिर के साथ सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद शाइस्ता की तलाश तेज कर दी गई।
माफिया अतीक के शूटर कवि ने साबित कर दिया कि डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है
बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड में फरार चल रहे एक लाख के इनामिया शूटर अब्दुल कवि का लखनऊ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करना, पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है। पुलिस का दावा है कि कचहरी में सख्त पहरेदारी के कारण शूटर ने लखनऊ पहुंच कर आत्मसमर्पण किया। माफिया अतीक अहमद के शूटर कवि ने पुलिस को धता बताकर साबित कर दिया कि डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है।
इस घटनाक्रम के बाद सवाल यह है कि जब कोई अपराधी अदालत में सरेंडर करता है तो जिस थाने में उसके खिलाफ अभियोग दर्ज होता है वहां से आख्या मांगी जाती है। अगर अपराधी के खिलाफ आरोप पत्र भी लगा है तो सरकारी वकील को आख्या मंगाने की अनुमति मिलनी चाहिए, लेकिन शूटर अब्दुल कवि के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
18 साल से चल रहा था फरार
एसटीएफ व प्रदेश भर की पुलिस कवि खोजने का ढिंढोरा पीटती रही। उधर वह मजे से बुधवार को अदालत में हाजिर हो गया। सरायअकिल कोतवाली के भखंदा गांव निवासी शूटर अब्दुल कवि 25 जनवरी 2005 में हुए बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड में फरार चल रहा था।
18 वर्ष से पुलिस व सीबीआई को चकमा देकर फरार अपराधी का नाम तब सुर्खियों में आया जब 24 फरवरी को राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल व उनके दो सरकारी गनर की गोली व बम मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद पुलिस माफिया अतीक के शूटर अब्दुल कवि की गिरफ्तारी को लेकर संजीदा हुई। हालांकि उमेश पाल हत्याकांड से पहले 14 फरवरी को सीबीआई ने उसके घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा कराया था।
आईजी ने घोषित किया है एक लाख का इनाम
आईजी चंद्रप्रकाश ने अब्दुल कवि की गिरफ्तारी के लिए एक लाख का इनाम भी घोषित कर दिया। पुलिस ने कवि की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने को तीन मार्च को बुलडोजर से उसके घर को जमींदोज कराकर नाजायज असलहे व बम बरामद किए। अब्दुल कवि समेत परिवार के 11 सदस्यों के खिलाफ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। अब्दुल कवि के ससुर, बहन, बहनोई आदि को भी गिरफ्तार किया गया।
उमेश हत्याकांड के बाद कुल 19 मददगारों के पास से 44 नाजायज असलहे बरामद किए गए। पुलिस ने शूटर का फोटो सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कराया। इसके बाद भी पुलिस व एसटीएफ उसे गिरफ्तार करने में नाकामयाब रही। बुधवार को सीबीआई कोर्ट में बिना किसी तामझाम के साथ पहुंचे शूटर कवि ने आत्म समर्पण किया तो कई सवाल उठे।
बड़ा सवाल यह है कि जिस व्यक्ति को पुलिस 18 साल से गिरफ्तार नहीं कर सकी वह आम मुजरिम की तरफ कोर्ट तक पहुंचा कैसे? इस बाबत पुलिस के अफसर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। उनका रटा-रटाया जा जवाब है कि पुलिस की सख्ती का असर रहा कि कवि को मजबूरन अदालत में हाजिर होना पड़ा।
पुलिस की सबसे बड़ी चूक व किरकिरी बना कवि का सरेंडर
राजूपाल हत्याकांड में शूटर अब्दुल कवि के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर रखी थी। इसके बाद भी पुलिस जिला अदालतों में उसके सरेंडर होने का इंतजार करती रहती। सीबीआई कोर्ट की तरफ न तो पुलिस का ध्यान था और न ही एसटीएफ का। जिसका नतीजा रहा कि 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस की गतिविधि पर नजर रखने के बाद एक महीने छह दिन बाद यानि पांच अप्रैल को माफिया अतीक के शूटर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया।