Umesh Pal Murder Case: उमेश हत्याकांड एक महीने में पुलिस वहीं की वहीं, शूटर न जाने कहां
Umesh Pal Murder Case: माह-फरवरी। तारीख 24 फरवरी। शाम शुरू ही हो रही थी कि धूमनगंज का जयंतीपुर इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। गोलियां की आवाज जब शांत हुई तो उमेश पाल और उनके एक गनर संदीप निषाद का शरीर निर्जीव हो चुका था। बाद में उनके गनर राघवेंद्र सिंह की भी मौत हो गई।
पुलिस को कुछ ही घंटों में पता चल गया था कि अतीक के बेटे और उसके गुर्गों ने घटना को अंजाम दिया। मतलब 24 फरवरी को ही पुलिस शूटरों के बारे में जान गई थी लेकिन एक महीना बीतने के बाद भी पुलिस वहीं की वहीं खड़ी है। शूटर न जाने कहां हैं।
उमेश पाल और अतीक अहमद की दुश्मनी 18 साल पुरानी थी। उमेश अपने रिश्तेदार और दोस्त राजू पाल की हत्या पर मुख्य गवाह बने थे। इसी कारण 2006 में उनका अपहरण कर लिया गया था। उन्हें मारा पीटा धमकाया गया। अतीक का ही खौफ था कि उमेश को अपना बयान बदलना पड़ा था। हालांकि उन्होंने खुद के अपहरण का जो मुकदमा दर्ज कराया था, उसकी वे लगातार पैरवी कर रहे थे।
उन्हें हर तरह से धमकाया गया। उन पर हत्या का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया। भरी कचहरी में उन पर हमला किया गया लेकिन, उमेश डिगे नहीं। जब अतीक को लगा कि इस केस में सजा हो जाएगी तो उसने जेल से ही उमेश के लिए मौत की सजा मुकर्रर कर दी। 24 फरवरी को अतीक के बेटे असद, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, साबिर, अरमान और विजय चौधरी उर्फ उस्मान ने उमेश को गोलियों से छलनी कर दिया।
चार दिन बाद एनकाउंटर में अरबाज को मार गिराया
अगले दिन उमेश की पत्नी ने अतीक, अशरफ, शाइस्ता, अतीक के बेटे, गुड्डू मुस्लिम, उस्मान समेत अतीक के कई अज्ञात गुर्गों और सहयोगियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। पुलिस ने घटना के चार दिन बाद एनकाउंटर में अरबाज को मार गिराया। अरबाज पर आरोप था कि घटना में प्रयुक्त क्रेटा कार वही चला रहा था।
गोरखपुर से सदाकत गिरफ्तार
इसके बाद गोरखपुर से सदाकत को गिरफ्तार किया गया। हफ्ते भर बाद पुलिस ने कौंधियारा में एनकाउंटर में विजय चौधरी उर्फ उस्मान को ढेर कर दिया। फिर 21 मार्च को पुलिस ने अतीक के कार्यालय से साढ़े 74 लाख रुपये, दस असलहे और 112 कारतूस बरामद करते हुए पांच को गिरफ्तार किया।
शाइस्ता को भी नहीं पकड़ पाई पुलिस
इन सारी बातों के बीच सबसे बड़ा यही सवाल है कि जो पांच लोग उमेश को गोली मारते दिख रहे हैं, वे कहां हैं? पुलिस उन्हें सात राज्यों से लेकर नेपाल तक ढूंढ रही है लेकिन, उनका कुछ पता नहीं चला है। एसटीएफ लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर की टीमें लगी हुई हैं।
प्रयागराज में रहे तमाम तेज तर्रार दरोगाओं और इंस्पेक्टरों को स्पेशल ड्यूटी में बुलाया गया लेकिन किसी के पास शूटरों से संबंधित कोई जवाब नहीं है। शूटर छोड़िए, जिस शाइस्ता की भी उमेश पाल हत्याकांड में बड़ी भूमिका की बात बताई जा रही है, पुलिस उन्हें भी नहीं पकड़ पाई है।
बसपा विधायक के हत्यारे को पनाह देने के आरोप में पांच लोग गिरफ्तार
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में वांछित अब्दुल कवि को शरण देने के आरोप में पुलिस ने यहां शुक्रवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इनके कब्जे से आठ लाइसेंसी हथियार व एक देसी पिस्तौल भी बरामद किया गया है।
सराय अकील पुलिस थाने के अंतर्गत भखंडा गांव में कवि और उसके भाई को पकड़ने के लिए पुलिस की तलाशी के दौरान ये गिरफ्तारियां की गईं। पुलिस अधीक्षक (एसपी) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस की टीम ने कवि को शरण देने वालों का पता लगाने के लिए गांव में 11 घरों की तलाशी ली थी।
उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान निजामुद्दीन, अजमल, शाहिद उर्फ राजू, मोहम्मद असलम और बिलाल के रूप में हुई है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अब्दुल कवि और उसका भाई वांछित है और वे फरार हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों ने उन्हें शरण दी थी।
गिरफ्तार किए गए लोगों की तस्वीरें कवि के पास मिलीं, जिसके बाद उनकी तलाशी ली गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया।’’ उन्होंने कहा कि इन पांच लोगों के पास हथियारों के लिए लाइसेंस नहीं थे। उन्होंने कहा कि बरामद हथियारों की जांच की जाएगी। बसपा के विधायक राजू पाल की 2005 में प्रयागराज में हत्या कर दी गई थी।