UP Crime: उमेश पाल हत्याकांड में शूटरों पर इनाम से ज्यादा तलाश में खर्च हो चुका है पैसा, फिर भी हाथ खाली

 
UP Crime: In the Umesh Pal murder case, more money has been spent on the search for the shooters than the reward, yet the hands are empty
Whatsapp Channel Join Now
बसपा विधायक उमेश पाल हत्याकांड में वांछित शूटरों पर जितना इनाम रखा गया है उससे ज्यादा पुलिस शूटरों की तलाश में पैसा खर्च कर चुकी है। हत्याकांड के बाद पुलिस की 10 टीम को अलग-अलग स्थानों पर दबिश गिरफ्तारी के लिए लगाया गया।

UP Crime: उमेश पाल हत्याकांड में वांछित शूटरों पर जितना इनाम रखा गया है, उससे ज्यादा पुलिस तलाश में खर्च कर चुकी है। इसके बावजूद किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस, एसओजी, एसटीएफ से लेकर संदिग्ध व्यक्तियों पर रोजाना हजारों रुपये खर्च हो रहा है, मगर कड़ी कार्रवाई न होने से कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

UP Crime:

हत्याकांड के बाद पुलिस की 10 टीम को अलग-अलग स्थानों पर दबिश, गिरफ्तारी के लिए लगाया गया। एक टीम लखनऊ तो दूसरी गाजीपुर भागी। तीसरी टीम फतेहपुर, कौशांबी तो चौथी मेरठ और पांचवीं टीम पूर्वांचल की ओर दौड़ी। सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने में लाखों रुपये का डीजल और पेट्रोल फुंक गया।

UP Crime:

पुलिस टीम में शामिल इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाहियों के रहने, खाने और दूसरी सुविधा पर भी हजारों रुपये खर्च हुआ। वहीं, अलग-अलग स्थान से उठाए गए संदिग्ध व्यक्तियों से दिन रात पूछताछ चल रही है। संदिग्ध बदमाशों और दूसरे लोगों के खाने पर भी हजारों रुपये रोजाना खर्च हो रहा है।

UP Crime:

हालात यह है कि पिछले नौ दिनों में पुलिस के लाखों रुपये खर्च हो गए, लेकिन नतीजा सिफर है। कई टीम अभी अलग-अलग शहर और स्थान पर डेरा डाले हुए है, जिन पर लगातार पैसा खर्च हो रहा है। जबकि वारदात में शामिल असद, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, अरमान, साबिर सहित अन्य पर इनामी की राशि 50-50 हजार रुपये रखी गई है।

UP Crime:

कहा जा रहा है कि हत्यारोपितों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम रखने के लिए पुलिस अधिकारियों की ओर से फाइल को पुलिस मुख्यालय भेजी गई है। जल्द ही सभी पर इनाम की राशि बढ़ जाएगी, लेकिन तब तक वांछित शूटर गिरफ्तार हो पाएंगे या नहीं, यह सवाल बरकरार है।

UP Crime:

250 नंबर को खंगाला पर कुछ काम न आया उमेश पाल के शूटरों की लोकेशन पता करने के लिए क्राइम ब्रांच और एसटीएफ ने 250 से ज्यादा मोबाइल सर्विलांस पर लगाए हैं, पांच सौ से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है लेकिन उसका कोई फायदा नहीं सामने आ रहा है। प्रयागराज कमिश्नरेट के अधिकारी अगर मेहनत कर भी रहे हैं तो दिख नहीं रहा है।

UP Crime:

हालत यह है कि हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में अदालत में आख्या सिपाही की ओर से भेजी जा रही है जिससे अधिवक्ता भी नाराज हैं। मीडिया को सही बयान देने वाला कोई नहीं है। फोन भी नहीं उठाया जा रहा है।

अधिकारियों और थानेदारों पर एक्शन क्यों नहीं कोई बड़ी आपराधिक घटना होती है तो सिपाही से लेकर अधिकारी तक की जवाबदेही तय होती है। सख्त कार्रवाई की जाती रही है। मगर उमेश पाल समेत दो गनर की हत्या की संगीन वारदात में प्रयागराज के थानेदारों और अधिकारियों की जवाबदेही क्यों नहीं तय की जा रही है, यह सवाल जनता के बीच उठ रहे हैं।

UP Crime:

हत्याकांड में शामिल शूटर जहां के रहने वाले हैं और जहां-जहां साजिश रची गई वहां के थाना प्रभारी धूमनगंज, शिवकुटी, खुल्दाबाद, पूरामुफ्ती और इनके ऊपर के पर्यवेक्षण करने के जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई एक्शन अब तक नहीं हुआ, जबकि राजू पाल हत्याकांड के बाद थानेदार से सीओ और एसपी तक पर गाज गिरी थी।

UP Crime:

अभी हालत यह है कि हत्याकांड के बाद से प्रयागराज में तमाम अधिकारी कार्यालय में भी नहीं बैठ रहे हैं, जिससे दूर-दूर से आए फरियादी निराश होते हैं। कमिश्नरेट गठित होने के बाद से तो समस्या और भी गहरा गई है। थानेदार बेलगाम हो गए। वे बेफिक्र हैं कि उन पर कार्रवाई नहीं होगाा। कारखासों के दम पर थाने चल रहे हैं।