UP Election: अतीक-अशरफ फैक्टर से चुनावी पारा चढ़ा, जनसभा में योगी ने दिया अहम बयान
UP Election: पश्चिमी यूपी की राजनीति को अतीक-अशरफ फैक्टर की एंट्री ने नई दिशा में मोड़ दिया है। निकाय चुनाव की हांडी पर नगरीय विकास से ज्यादा अपराध नियंत्रण का मुद्दा पक रहा है। सहारनपुर और शामली से चुनावी शंखनाद करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना नाम लिए बयानों के तीर छोड़े।
वहीं, सहारनपुर विधायक राजीव गुंबर, केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान, पूर्व विधायक इमरान मसूद एवं संगीत सोम समेत कई दिग्गजों के बयानों से राजनीतिक लहरें उफन गईं। भाजपा जहां कानून के बहाने इस मुद्दे को छेड़ रही, वहीं विरोधी दलों ने इसे पुलिस अभिरक्षा में हत्या बताकर योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
पश्चिमी यूपी से नए राजनीतिक मुद्दे उभरते रहे हैं तो पूर्वांचल से रणनीति को धार मिलती रही है। 2013 मुजफ्फरनगर दंगों ने 2014 लोकसभा चुनाव का समीकरण बदल दिया तो बाद में कैराना पलायन व अन्य मुद्दों की तपिश 2017 एवं 2022 में महसूस हुई। अब नगर निकाय चुनाव पर अतीक-अशरफ हत्याकांड का असर दिख रहा है।
सीएम योगी ने शामली में ‘आज कई माफियाओं के घर कोई रोने वाला नहीं बचा है’ कहकर इरादों को साफ कर दिया। कुछ दिन पहले सहारनपुर शहर विधायक राजीव गुंबर ने पूछा था कि ‘बताओ अतीक-अशरफ को ऊपर पहुंचाया की नहीं’ जिससे एकबारगी भाजपा भी असहज हो गई।
केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान ने कहा था कि ‘घटना बेशक दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन अतीक-अशरफ हत्याकांड से अब युवक माफियागीरी के ग्लैमर से दूर रहेंगे। योगी सरकार में न्याय हो रहा, जबकि सपा सरकार में तो विधायक मारे जाते थे।’
भाजपा एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज ने याद दिलाया कि सीएम योगी ने कहा था कि ‘उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों को मिट्टी में मिला देंगे और परिस्थिति ऐसी बनी कि अतीक-अशरफ वाकई मिट्टी में मिल गए।’
सहारनपुर के बसपा नेता एवं पूर्व विधायक इमरान मसूद ने मीडिया से कहा था कि ‘अब तो डर लगता है न जाने कौन कब गोली मार दे’। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक पंचायत में योगी सरकार को घेरते हुए कहा कि ‘सरकार ने कोर्ट को दरकिनार कर चार दिन के अंदर अतीक का परिवार तहस-नहस कर दिया, जो गलत है। ‘मेरठ में बसपा के महापौर प्रत्याशी हशमत ने कहा कि ‘अगर अखिलेश, योगी सरकार को न उकसाते तो यह हत्या न होती’।
नगरीय निकाय चुनाव में बड़ी तैयारी के साथ उतर रही समाजवादी पार्टी ने इस बार बड़े शहरों यानी नगर निगमों में फोकस बढ़ाया है। अधिकतर नगर निगमों में लंबे समय से भाजपा के मेयर रहे हैं इसलिए सपा इन शहरों की समस्याओं को चुनावी मुद्दा बना रही है। सपा इन्हीं समस्याओं को जनता के बीच उठाकर भाजपा को घेरने की तैयारी कर रही है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नगरीय निकाय चुनाव के बहाने सत्ताधारी दल भाजपा के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल सपा पर एक बार फिर हमला बोला है। निकाय चुनाव को लेकर भाजपा और सपा की घोषणाओं पर तंज कसते हुए मायावती ने मतदाताओं को इनसे सावधान रहने की नसीहत दी है।