UP News: थाने पहुंचे पिता को बेटे ने फोन कर कहा - पापा मैं DSP बन गया

 
UP News: The son called the father who reached the police station and said - Papa, I have become DSP
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पीसीएस का जब रिजल्ट आया उनके पिता थाने में किसी काम के लिए गए थे। थाने में कुर्सी खाली पड़ी थी लेकिन नीतीश के पिता को बाहर पत्थर पर बैठने के लिए कहा गया तभी बेटे ने फोन कर कहा-पापा मैं डीएसपी बन गया।

UP News: अगर आप मंजिल की तलाश में हैं तो आपके लिए अनगिनत रास्ते खुले हैं। मेहनत और लगन से आप हर मुश्किल से पार पा सकते हैं। यूपी के बहराइच जिले के रहने वाले नीतीश तिवारी UP PCS 2022 की परीक्षा पास कर डीएसपी के पद पर चयनित हुए हैं। 

जिस समय पीसीएस का रिजल्ट आया, उसी समय उनके पिता थाने में किसी काम के सिलसिले में गए थे। थाने में कुर्सी खाली पड़ी थी, लेकिन नीतीश के पिता को बाहर एक पत्थर पर बैठने के लिए कहा गया। तभी बेटे ने फोन कर कहा,-"पापा मैं डीएसपी बन गया।"

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24 साल के नीतीश तिवारी ने UP PCS 2022 के रिजल्ट में 47वीं रैंक हासिल की है। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की तरफ से 7 अप्रैल को पीसीएस 2022 का फाइनल रिजल्ट घोषित किया गया था, जिसमें वह 47वीं रैंक हासिल करके डीएसपी के पद पर चयनित हुए हैं। 

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नीतीश की शुरुआती शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से हुई है। 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने केवी इंटर कॉलेज से की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए किया है। नीतीश एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, डीएसपी पद पर चयन होने से उनके घर में खुशी का मौहाल है।

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नीतीश अपनी इस सफलता को श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। वह कहते हैं कि पापा के सपोर्ट के बिना यह संभव नहीं था। नीतीश के छोटे भाई भी अपने बड़े भाई की तरह अफसर बनना चाहते हैं। साथ ही नीतीश अपने खास दोस्त सचिन को भी धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि कुछ दुख घरवालों से साझा नहीं किया जा सकता है। ऐसे समय में सहारा देने के लिए सचिन हर वक्त मेरे साथ रहे।

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डीएसपी के पद पर चयन होने के बाद भी नीतीश अपनी पढ़ाई जारी रखें हुए हैं। उनका सपना आईएएस बनने का है। दैनिक जागरण से बातचीत में इनके पिता अरविंद त्रिपाठी, नीतीश की पढ़ाई को लेकर कहते हैं कि मैंने शुरूआत में बेटे से सिविल सर्विस की तैयारी न करने को कहा था, क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि बेटे को बाहर पढ़ने के लिए भेजा जा सके।

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वह आगे बताते हैं कि हर पिता की ख्वाहिश होती है कि वह अपने बेटे की इच्छा की पूर्ति कर सके। बेटे की ख्वाहिश को देखते हुए मैंने भी हिम्मत करके बेटे को बाहर पढ़ने के लिए भेजा। इस बीच एक वक्त ऐसा भी आया, जब आर्थिक तंगी के चलते धैर्य टूटने लगा और हालात डगमगाते देख मैंने बेटे से कोई प्राइवेट नौकरी करने को कहा, अब पढ़ाने की हिम्मत नहीं है। हालांकि, बेटे को अपनी मेहनत और काबिलियत पर भरोसा था कि एक दिन वह जरूर सफल होगा।

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जिस दिन यूपीपीसीएस का रिजल्ट घोषित हुआ, उस दिन के बारे में नीतीश के पिताजी कहते हैं, "मैं एक काम के लिए में थाने गया, वहां पर कई सारी खाली कुर्सियां रखी थी, लेकिन एक सिपाही कहता है जाओ उधर पत्थर पर बैठो, जब साहब आएंगे तब आना।" उसी समय बेटा फोन करके कहता है कि पापा मैं डीएसपी बन गया। यह सुनकर मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया।