UP Nikay Chunav 2023: वाराणसी में पार्षद बनना नहीं आसान, वर्चस्व की लड़ाई में हो चुकी हैं कई हत्याएं

 
UP Nikay Chunav 2023: It is not easy to become a councilor in Varanasi, many murders have happened in the battle of supremacy
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पीएम मोदी के गढ़ वाराणसी में पार्षद होना इतना भी आसान नहीं है। इस सीट का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां चुनावी वर्चस्व को लेकर कई पार्षदों की हत्या तक हो चुकी है।

UP Nikay Chunav 2023: यूपी में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों में पार्षद बनने के इच्छुक दावेदारों की दौड़ भी शुरू हो गई।

UP Nikay Chunav 2023: It is not easy to become a councilor in Varanasi, many murders have happened in the battle of supremacy

कई नेता अपनी-अपनी पार्टियों से पार्षद बनने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं और अपना आवेदन कर रहे हैं लेकिन पीएम मोदी के गढ़ वाराणसी में पार्षद होना इतना भी आसान नहीं है। इस सीट का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां चुनावी वर्चस्व को लेकर कई पार्षदों की हत्या तक हो चुकी है।

UP Nikay Chunav 2023: It is not easy to become a councilor in Varanasi, many murders have happened in the battle of supremacy

साल 2003 में दालमंडी में पार्षद कमाल अंसारी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, हत्या के कुछ ही दिन बाद हत्या में वांछित चल रहे हसीन और आलम को पुलिस ने मंडुआडीह थाना क्षेत्र के एफसीआई गोदाम के पास मुठभेड़ में ढेर कर दिया था तो वही 2003 में ही मुकीमगंज से पार्षद रहे अनिल यादव को बदमाशों ने सिगरा थाना क्षेत्र के फातमान रोड दिन दहाड़े गोलियों से उड़ा दिया था।

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इसके साथ ही रामपुरा वार्ड से पार्षद विजय वर्मा की लक्सा के रामकुटी व्ययामशाला के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 

काशी में शहर चुनाव को लेकर खूनी संघर्ष - शहर निकाय में वर्चस्व की लड़ाई साल 2015 में भी देखने को मिली थी. जब रामापुरा वार्ड से पार्षद रहे शिव सेठ की लोकप्रियता बढ़ते देख उनकी हत्या कर दी गई गई थी।

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वहीं भेलूपुर के सरायनन्दन से सभासद रहे मंगल प्रजापति की भी 2005 में हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में उसके करीबी बबलू लंबू का नाम आया था हालांकि इसके बाद बबलू लंबू भी नहीं बचा था।

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2007 में सुदामापुर वार्ड से पार्षद बबलू लंबू की भी हत्या हो गई। पूर्व में उपनगर प्रमुख रहे दबंग अनिल सिंह के खास साथी सुरेश गुप्ता की जैतपुरा क्षेत्र में मुन्ना बजरंगी के शूटरों ने हत्या कर दी थी, कहा जाता है कि बदमाश सुरेश गुप्ता के पार्षद भाई दीना गुप्ता की हत्या करने आये थे और गफलत में सुरेश गुप्ता को गोली मार भाग निकले थे।

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कई लोगों की हो चुकी हैं हत्याएं - पान दरीबा वार्ड से पार्षद रहे बंशी यादव का नाम भी लिस्ट में शामिल हैं, साल 2004 में जिला जेल के गेट पर कुख्यात बदमाश अन्नू त्रिपाठी और बाबू यादव ने उनकी हत्या कर दी थी।

इसके बाद बंशी यादव के शिष्य संतोष गुप्ता किट्टू ने अपने गुरु के हत्यारे अन्नू त्रिपाठी को मई 2005 में सेंट्रल जेल में गोली मारकर हत्या करके बदला ले लिया। किट्टू ने बदला तो ले लिया लेकिन वो पुलिस की रडार पर आ गया।

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5 साल बाद किट्टू डेढ़ लाख का इनामी हो चुका था। इस बीच 4 जून 2010 को चौकाघाट इलाके में वो अपने साथ संतोष सिंह के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया और एनकाउंटर में मारा गया। 

2006 में सराय हड़हा में पार्षद मुरारी यादव की सुबह-सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 30 जुलाई 2008 को मुन्ना बजरंगी का खास साथी बाबू यादव सिद्धागिरी बाग इलाके में धर्मेंद्र सिंह पप्पू के गनर की गोली से मारा गया, पास में ही बृजेश सिंह का घर था।

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उस समय कहा गया कि बाबू यादव, बृजेश सिंह के घर के बाहर घात लगाकर किसी की हत्या की फिराक में था, जिसके बाद आमने-सामने की चली गोली से बाबू यादव वहीं ढेर हो गया। बाबू यादव भी बागहाड़ा सोनारपुरा क्षेत्र से सभासद था।

पूर्वांचल के राजधानी माने जाने वाली काशी में पिछले सालो में नगर निकाय के चुनाव में चुनावी रंजिश के चलते कई हत्याएं हो चुकी हैं लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद इन हत्याओं पर रोक देखने को मिली है। लिहाजा अब विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाने लगा है।