Varanasi Court News: मिले थे 24 चोट के निशान, 6 गवाहों ने दिया बयान, तब हुई आरोपी को आजीवन कारावास की सजा, जानिये क्या था मामला
Varanasi Court News: अपर सत्र न्यायाधीश पंचम यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने बबली मौर्य की हत्या के पांच साल पुराने मामले में पति अनिल मौर्य को दोषी पाया है। अदालत ने भगतपुर बाईपास रोड, शिवपुर निवासी अनिल मौर्य को आजीवन सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया है।
जुर्माने की 50 फीसदी धनराशि बबली मौर्य के बच्चों को क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी। अदालत ने यह आदेश बबली मौर्य के शरीर पर 24 जगह मिले चोटों के निशान, छह गवाहों के बयान, घटना में प्रयुक्त डंडे की बरामदगी और अनिल को खुद को पागल साबित न कर पाने के आधार पर सुनाया है।
14 अप्रैल 2019 को शिवपुर थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। वादी गुल्लू मौर्य के अनुसार उसकी छोटी बहन बबली की शादी अनिल मौर्य से हुई थी। बबली दो बेटियों की मां थी। बबली को अनिल अकसर मारता-पीटता था।
14 अप्रैल 2019 को वह अपनी पत्नी पिंकी और मां चमेला देवी के साथ बबली के घर गया था। अंदर जाने पर बबली अपने बिस्तर पर मृत पड़ी थी। अनिल की खोजबीन शुरू की गई तो कुछ देर बाद वह मिला और उसने बताया कि बबली जिंदा है।
इसके बाद वह तत्काल शिवपुर थाने गया और पुलिस को बहन की हत्या की सूचना दी। गवाहों के बयान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पत्रावली के आधार पर अदालत ने पाया कि अभियुक्त अनिल मौर्य अभियोजन के आरोपों को गलत साबित करने में पूरी तरह से असफल रहा।
अभियोजन ने अदालत में दलील दी कि अभियुक्त ने घर में पत्नी पर बेरहमी से डंडे से मार-मार कर उसकी हत्या कर दी। दो नाबालिग बच्चे बगैर मां के हो गए। इसलिए उसे कठोरतम दंड दिया जाए। अदालत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि दुर्लभ से दुर्लभतम मामला वहां है।
जहां दोष सिद्ध व्यक्ति समाज के सह-अस्तित्व और सौहार्दपूर्ण संबंध के लिए एक खतरे के समान हो। अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, वह दुर्लभ से दुर्लभतम मामले में तब तक नहीं आता, जब तक कि वह समाज के लिए घातक न हो।
इस मामले में अभियुक्त को सश्रम आजीवन कारावास और जुर्माने से न्याय की मंशा की पूर्ति होती है। अपर सत्र न्यायाधीश-9 विनोद कुमार की अदालत ने 75 ग्राम अल्प्राजोलम की बरामदगी के जीआरपी कैंट थाने के एक मामले में भदोही के सिविल लाइन, जलालपुर निवासी सोनू उर्फ सारिक साईं को दोषी पाया है।
अदालत ने अभियुक्त को एनडीपीएस एक्ट के तहत चार साल की सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। सोनू को चार अक्तूबर 2010 के मंडुवाडीह स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार से उप निरीक्षक शिव कुमार सिंह ने गिरफ्तार किया था।