Varanasi Crime: धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय ने दिया थाना सिगरा को मुकदमा दर्ज करने का आदेश

 
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Varanasi Crime: न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या 02 वाराणसी के न्यायालय में वाद संख्या 115397/2023- शशांक बाजपेई बनाम आदित्य कुमार थाना-सिगरा, वाराणसी में पत्रावली प्रस्तुत की गई। इससे पहले सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन पर आवेदक के विद्वान अधिवक्ताओं हृदयानंद यादव व कुलदीप गुप्ता को सुना गया।

आवेदन पत्र का अवलोकन किया गया। शिकायत पत्र में संक्षिप्त विवरण यह है कि आवेदक ने व्यवसाय खोलने हेतु विपक्षी को 1,75,000/- रूपये दिये थे। आवेदक के दस्तावेजों पर एक जी.एस.टी. भी दर्ज किया गया था। आवेदक के दस्तावेजों के आधार पर एक बैंक खाता भी खोला गया था।

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जिसमें पैसे का लेन देन उक्त आदित्य कुमार करता था। दिनांक 03.11.22 से 03.11.23 तक कई लोगों को धोखा देकर कंपनी में निवेश के नाम पर जो खाता आवेदक के नाम से खुलवाया गया। उसमें 25,90,039 रुपये वसूले गये।

उक्त व्यवसाय का संचालन दिनांक 08.08.23 से 08.11.23 तक चला। दिनांक 09/11/2023 को जब आवेदक ने उपरोक्त आदित्य कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया तो उसका नंबर लगातार बंद आ रहा था। प्रार्थी को यह भी पता चला कि विपक्षी ने प्रार्थी के खाते से पैसा निकाल लिया है।

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60 हजार रुपये भी निकाल लिये गये हैं। जिसकी शिकायत थाने में दी गई। आवेदन के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में आवेदक को आधार कार्ड, प्रतिद्वंद्वी के पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की फोटो काॅपी जमा करनी होगी।

डाक रसीद दिनांक 02.12.23 की फोटो काॅपी, मूल डाक रसीद दिनांक 02.12.23 की तीन प्रतियां, स्थिति रिपोर्ट की तीन प्रतियां, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त को भेजे गए शिकायत आवेदन की एक प्रति, भेजे  गए आवेदन की एक प्रति सहायक पुलिस आयुक्त, सिगरा थाने के प्रभारी निरीक्षक को दिये गये आवेदन की छाया प्रति भेजी गई।

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एक नंबर जी.आर.एस. रिपोर्ट की छायाप्रति संलग्न है। बैंक विवरण फाइल पर प्रस्तुत किया गया है। थानेदार के अनुसार उक्त मामले में आवेदक के पक्ष में स्थानीय थाने में कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है। आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन आवेदक के शपथ पत्र द्वारा समर्थित है तथा मामला पैसों की धोखाधड़ी का है।

अतः प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि संज्ञेय अपराध घटित हुआ है। पुलिस रिपोर्ट में घटना का तथ्य भी सामने आया है। इसलिए पुलिस के माध्यम से साक्ष्य जुटाना जरूरी है। तदनुसार आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन स्वीकार किये जाने योग्य है।

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जिसमें न्यायालय के द्वारा आदेश जारी करते हुये कहा गया कि आवेदक शशांक बाजपेयी द्वारा धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसे स्वीकार कर लिया है तथा थानाध्यक्ष सिगरा को आदेश दिया जाता है कि उचित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर नियमानुसार विवेचना कराना सुनिश्चित करें।