Varanasi Crime: जानलेवा हमले के आरोपी की जमानत याचिका को न्यायालय ने किया खारिज
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Varanasi Crime: वाराणसी। आज बुधवार को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कक्ष संख्या-2 वाराणसी के द्वारा एक जानलेवा हमले के मामले के आरोपी की जमानत याचिका को निरस्त करते हुये उसे जेल भेज दिया गया।
बताया जाता है कि प्रस्तुत प्रकरण में अभियुक्त को धारा 319 के अन्तर्गत न्यायालय ने विचारण हेतु तलब किया था। यद्यपि अभियुक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद था, किन्तु विवेचना के पश्चात अभियुक्त के खिलाफ अपराध न पाते हुये विवेचक ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया था।
अन्य अभियुक्तगण के खिलाफ विचारण के दौरान साक्षी की मुख्य परीक्षा जिसमें अभियुक्त को मौके पर उपस्थित रहने व सहअभियुक्तगण के साथ अपराध कारित करना बताया के आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त को तलब किया था।
वहीं अभियोजन कथानक के अनुसार दिनांक 19/9/2018 को वादी मुकदमा कार्यालय फुलवरिया से अपने वाहन संख्या यूपी 65 सीसी 2810 से चालक सुमित कुमार के साथ अपने घर जा रही थी कि रात्रि करीब 11 बजे जैसे ही अपने मकान के पास मोड़ पर आयी तो देखा कि मोड़ पर पहले से ही श्रीनिवास सिंह, राजेश प्रसाद सिंह, कृपाशंकर राय, जैलेन्द्र राय अपने चार अन्य साथियों के साथ मौजूद थे, जिन्हे गाड़ी की रौशनी तथा स्ट्रीट लाइट की रौशनी में अच्छी तरह से पहचानी थी, खड़े थे।
वादी मुकदमा की गाड़ी को देखते ही सामने व दोनो तरफ से घेर लिये, चारो के हाथ में असलहा था। वादिनी मुकदमा को जान से मारने की नियत से उसे लक्ष्य कर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। जिससे उसे तथा उसके चालक सुमित कुमार को गोली लगी है।
बदमाश फायर करते हुये तथा गाली धमकी देते हुये भाग गये। गोली की आवाज सुनकर वादिनी मुकदमा के पति तथा आस पास के काफी लोग आ गये तथा वादी मुकदमा व उसके चाले को लेकर ट्रामा सेन्टर बीएचयू वाराणसी में भर्ती कराये, जहां वादिनी मुकदमा का इलाज किया गया।
जिसके सम्बन्ध में सम्बन्धित थाने पर मुकदमा पंजीकृत कराया गया।। जिसमें बुधवार को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कक्ष संख्या-2 रजत वर्मा ने धारा 307, 504, 506, 120बी आईपीसी थाना लंका वाराणसी के आरोपी कृपाशंकर राय उर्फ बबुआ राय की नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए जेल भेज दिया।
वादिनी की ओर से जमानत का विरोध वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी एडवोकेट व वरूण प्रताप सिंह प्रिंस ने किया। ज्ञातव्य है कि अभियुक्त कृपाशंकर राय ने राहत पाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया था।
किन्तु उनको कोई राहत नहीं मिली और उच्च न्यायालय के आदेश पर उन्होंने न्यायालय में आत्म समर्पण कर अंतरिम जमानत प्राप्त किया था। आज दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया।
ज्ञातव्य है कि कृपाशंकर राय ने दिनांक 19.9.18 को वादिनी मुकदमा नीतू त्रिपाठी व उनके ड्राइवर सुमित पर 9 एमएम की पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग कर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जानलेवा हमला किया था जिससे दोनों घायल हो गए थे।
दौरान विवेचना पुलिस ने पक्षपात कर कृपाशंकर राय सहित तीन अभियुक्तों का नाम आरोप पत्र से निकाल दिया था जिन्हें न्यायालय ने वादिनी के धारा 319 दंप्रसं के प्रार्थना पत्र के आधार पर अभियुक्त के रूप में तलब कर लिया था। वहीं जमानत के विरोध हेतु सहयोगी अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने अभिलेखों को तैयार करने में विशेष परिश्रम किया।
वहीं न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उपरोक्त तथ्य एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत मामले के गुण दोष पर विचार न व्यक्त करते हुये जमानत का आधार पर्याप्त नहीं है, तदनुसार प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किये जाने योग्य है तथा अभियुक्त कृपाशंकर राय का प्रथम जमानत निरस्त किया जाता है।