Varanasi Crime News: धोखाधड़ी के मामले में अभियुक्त को मिली जमानत
Varanasi Crime News: वाराणसी। जनपद के कैण्ट थाने में दर्ज मुअसं. 523/2023 धारा 420, 406 आईपीसी से सम्बन्धित अभियुक्त रणविजय सिंह पुत्र फतेह बहादुर सिंह निवासी वन प्लेस टावर जेपी मेहता इण्टर कालेज थाना कैण्ट को न्यायालय सत्र न्यायाधीश वाराणसी के द्वारा 50-50 हजार रूपये के व्यक्तिगत बंधपत्र व समान राशि के दो प्रतिभू दाखिल करने पर अग्रिम जमानत दे दिया गया।
वहीं अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी व सुनील मिश्रा ने पक्ष रखा। वहीं अभियोजन कथानक के अनुसार वादिनी प्रभा सिंह ने वन प्लेस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नटिनियादाई वाराणसी प्रोजेक्ट वन प्लेस ऐवेन्यु में एक मकान सं. 6, 90 लाख रूपये में बुक की थी।
जिसका उसने 20 लाख रूपया 2015 में भुगतान कर दिया। 20 लाख रूपये पाने के बाद रणविजय सिंह कम्पलीट घर देने से इन्कार कर दिये। वह 2015 में ही अपनी बुकिंग रद्द कर अपना 20 लाख रूपया वापस देने के लिये कही। वह उसका 20 लाख रूपये वापस नहीं किये।
फरवरी 2016 में कम्प्लीट घर 90 लाख रूपये में ही देने के लिये तैयार हो गये तथा वादिनी से 20 लाख रूपये और देने के लिये कहा। 20 लाख अतिरिक्त भुगतान के बाद रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट देने के लिये स्वीकार किये, क्योंकि वादिनी को होम लोन लेना था।
कुल 40 लाख रूपये पाने के बाद रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट नहीं कराये। 2017 में 100 प्रतिशत यानी 90 लाख रूपये का भुगतान करने के लिये पत्र भेजे। वादिनी उनसे रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट और दूसरे दस्तावेज होम लोन के लिये मांगी तो वे उसे कुछ भी नहीं दिये तथा 2018 में एक तरफा बिना किसी औचित्य के उसकी बुकिंग रद्द करने का पत्र भेज दिये।
वह 16 सितम्बर 2019 में एसएसपी वाराणसी से रणविजय सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने के लिये शिकायत दर्ज करायी। रणविजय सिंह ने बताया कि वे घर सं. 6 किसी और को बेच दिये है और उसे उसी के पास घर संख्या 9/10 लेने को कहा। वे रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट तुरन्त करने तथा हर तरह से सम्पूर्ण घर मई 2020 के पहले देने का आष्वासन दिये। घर का क्षेत्रफल बढ़ने और अन्य कारणों से 11 लाख रूपये अतिरिक्त देने के लिये कहे।
वादिनी कानूनी प्रक्रिया से बचने बार-बार मुम्बई से आने जाने और सब शर्ते मानने के आश्वासन पर तथा 20 मई 2020 के पहले घर मिलने के उनके आश्वासन पर 11 लाख रूपये अतिरिक्त भुगतान करने के लिये तैयार हो गई अब कम्पलीट घर के साथ कार पार्किंग, क्लब आदि उसे मिल जायेगा।
वहीं बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि वादिनी सम्पत्ति उपरोक्त की बुकिंग की है, लेकिन एग्रीमेन्ट अपने शर्तों पर बाध्य कराकर कराने के लिये प्रयत्नशील रही एवं दबाव बनाकर कीमती सम्पत्ति औने पौने दाम लेना चाहती रही, जबकि उचित व तय शर्तो पर प्रार्थी/अभियुक्त तैयार था, परन्तु वादिनी द्वारा शेष धनराशि न अदा करने के कारण रजिस्ट्री व एग्रीमेन्ट नहीं हो पायी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के अन्तर्गत एक व्यक्ति को दो तरीके से दण्डित नहीं किया जा सकता। प्रार्थी/अभियुक्त निर्दोश है। अतः उसे अग्रिम जमानत प्रदान की जाये। वहीं विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र का प्रबल विरोध करते हुये अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किये जाने की याचना की गयी।
वही न्यायालय के द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया। वहीं न्यायालय के द्वारा विभिन्न शर्तों के साथ अभियुक्त की अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया और 50-50 हजार रूपये के व्यक्तिगत बंधपत्र व समान राशि के दो प्रतिभू दाखिल करने पर अभियुक्त को रिहा करने का आदेश दे दिया गया।