Varanasi Crime News: थाना मिर्जामुराद में दर्ज मुकदमें के अभियुक्तों को न्यायालय ने किया बरी

 
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न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हिमांचल सिंह व नीरज गौंड़ के द्वारा पक्ष रखा गया

Varanasi Crime News:  वाराणसी। न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोर्ट संख्या 08, की न्यायाधीश श्रीमती शिखा यादव के द्वारा मुकदमा सं० 4001426/2012, सरकार बनाम बृजराज पाल, रुपचन्द गोड़, त्रिभुवन, निवासीगण ग्राम अमीनी, थाना मिर्जामुराद, जनपद वाराणसी को दोषमुक्त कर दिया गया।

वहीं न्यायालय में आरोपी रूपचंद गोंड़ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हिमांचल सिंह व नीरज गौंड़ के द्वारा पक्ष रखा गया। घटना के सम्बन्ध में बताया जाता है कि मुअसं. 102/1994 अन्तर्गत धारा- 457, 380, 411 आईपीसी थाना-मिर्जामुराद वाराणसी में वादिनी की ओर से दर्ज कराया गया था।

जिसमें अभियुक्तगण बृजराज पाल, रुपचन्द गोड़ व त्रिभुवन चौबे के विरुद्ध पुलिस थाना-मिर्जामुराद, वाराणसी द्वारा मुअसं. 102/1994, अंतर्गत धारा 457, 380, 411 भादंसं. के तहत आरोप पत्र प्रेषित किया गया, जिसके आधार पर अभियुक्तगण का विचारण इस न्यायालय द्वारा किया गया।

अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि दिनांक 26.09.1994 वादिनी चमेला देवी के कच्चे मकान में रात में अन्दर से लगभग 12 भर सोना एवं 2 किलो चांदी पेटी सहित गायब हो गई। यह चोरी लोगों ने मकान के पीछे से दरवाजा तोड़कर किया है।

दौरान विवेचना संबंधित पुलिस द्वारा दिनांक 27.09.1994 को अभियुक्त बृजराज के घर के घर के आंगन में रखे हुए बालू के ढेर के अन्दर से एक लोहे का बक्सा निकाला एवं उसमें वादिनी मुकदमा के चोरी हुए जेवरात बरामद किये गये तथा अभियुक्त बृजराज की निशानदेही पर अभियुक्त रूपचन्द के घर के कमरे के दरवाजे के पास रखे पुरानी टूटी-फूटी बेटरियों के ढेर के अन्दर से वादिनी मुकदमा कदमा के शेष चोरी हुए सोने व चांदी के जेवर बरामद किये गये।

बरामदशुदा जेवरातों की शिनाख्त वादिनी मुकदमा द्वारा की गयी। बाद विवेचना संबंधित विवेचक द्वारा अभियुक्तगण उपरोक्त के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। आरोप-पत्र पर प्रसंज्ञान लिया गया एवं अभियुक्तगण के द्वारा न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर जमानत करायी गयी।

अभियुक्तगण को धारा-207 दंप्रसं. के तहत अभियोजन प्रपत्रों की नकलें प्रदान की गयी। विद्वान पूर्वाधिकारी द्वारा अभियुक्तगण बृजराज पाल, रुपचन्द गोड़ व त्रिभुवन चैबे के विरुद्ध मुअसं. 102/1994 में अंतर्गत धारा- 457, 380, 411 भादसं. के तहत आरोप दिनांक 13.07.2000 को विरचित किया गया।

वहीं दोनो पक्षों की दलील व पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि लगाये गये आरोप को युक्ति-युक्त संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है। अतएवं अभियुक्तगण बृजराज पाल, रुपचन्द गोड़ व त्रिभुवन चौबे को अंतर्गत धारा 457, 380, 411 भादंसं. के आरोप से दोषमुक्त किये जाने योग्य है।

अतएवं अभियुक्तगण बृजराज पाल, रुपचन्द गोड़ व त्रिभुवन चौबे को आरोप अंतर्गत धारा- 457, 380, 411 भादंसं. से दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्तगण जमानत पर हैं। उनके प्रतिभूओं को उनके दायित्वों से उन्मोचित किया जाता है तथा धारा 437 दं.प्र.सं. के अनुपालन में दाखिल नवीन प्रतिभू का दायित्व अपील की मियाद अवधि तक बनी रहेगी।

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