Varanasi Crime News: जुआ बना तिजोरी भरने का आसान तरीका
कृष्णा पंडित
Varanasi Crime News: वाराणसी। आखिर कौन सी वजह है कि जुआ पर रोक लगाने में वाराणसी पुलिस असफल है निरंतर खबरें प्रकाशित होने के बाद भी कमिश्नर साहब का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है । यह ऐसा अपराध है जो सामाजिक पतन के साथ-साथ अपराधियों की मनोबल स्थिति को बखूबी 100 गुना बढ़ा रहा है जिसमें वर्दी वाले सहायक की भूमिका में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं ।
2 दिन पूर्व एक पत्रकार ने वाराणसी में जुआ संचालक को लेकर वर्दी पर दाग और कारनामे की जबरदस्त पोल खोली थी यहां तक की थाना सिगरा अंतर्गत संचालित होने वाले हुए जुआ के काउंटर मालिक और वसुली की रकम को भी लिखा था, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि नतीजा यह हुआ कि वर्दी वालों ने अपनी साख की धौंस के साथ और दोगुनी अंदाज में वसूली बढ़ा लिया।
यही नहीं जुआरियों का मनोबल बढ़ाने के लिए यहां तक कहा कि अरे ऐसे ही लोग लिखते रहते हैं तुम लोग अपना काम करो समय से पैसा पहुंचाते रहो। लिखने वाले लोग तो लिखते ही रहेंगे लेकिन आप अपनी जिम्मेदारी और जिस काम के लिए नियुक्त हुए हैं उसका 2% भी काम करते तो शायद इस तरीके के अपराध पनपता ही नहीं।
रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था सरकार ने आपको बखूबी दिया है, लेकिन आप इतना जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं जिसके लिए खुद अपराध की दलदल में अपनी वर्दी पर कई छींटे उघेर रखे हैं। जिस दिन आपके परिवार का कोई व्यक्ति या हिस्सा ऐसे अपराध का भाग बनेगा उस दिन आपकी आंखें ही नहीं बल्कि पछतावा भी होगा कि काश हम उसे अपराध के हिस्सा ना होते।
कहां जाता है कि आदमी मद में न जाने कौन-कौन सी गलतियां कर बैठता है, लेकिन जब उसको इसका एहसास होता है तो पछतावे के अलावा उसके पास कुछ बचता नहीं है। जुआ के जहर से बनारस का वातावरण ही नहीं बल्कि शैक्षिक पौराणिक व्यवस्था भी डगमगा रहा है, और तो और पारिवारिक जीवन में पैसे की दंश और लालच ने लोगों के घर में बर्तन की खटखट के साथ-साथ अलगाव के लिए भी महत्वपूर्ण रोल निभा रहा है।
जिम्मेदार यदि ऐसे ही बैठकर तबला बजाते रहे तो निश्चित तौर पर जुआ का प्रचलन घर-घर में अपनी खुशबू बिखेरते हुए जुआरी का समाज पैदा करेगा जो भविष्य की दीवार पर कालिक पोत कर रखवालों के मुंह पर जोरदार तमाचा होगा।
करो तुम भरे कोई और - आम आदमी का क्या कसूर है जो व्यक्ति रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ती इस महंगाई और बेरोजगारी के दहलीज पर बैठ दो रोटी के इंतजाम में खून पसीना बहा रहा है। वही उसके परिवार का एक सदस्य बहकावे में आकर अपने घर का गहना गिरवी रखकर ढेर सारा पैसा कमाना चाहता है। इस काम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका वर्दी वालों की होती है।
क्योंकि फैंटम से लेकर चौकी प्रभारी और थाना प्रभारी बखूबी इस खेल को अमली जामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यही नहीं यदि किसी थाना क्षेत्र में किसी अपराध पर नियंत्रण करना हो और पुलिस वाला चाह ले की कोई अपराध नहीं कर सकता। तो मजाल है कि किसी तरीके का घिनौना काम थाना क्षेत्र में कोई कर सके।
क्योंकि मन का मजबूत होना और वर्दी के सम्मान को बढ़ाना यह सबके बस की बात नहीं है लोभ और लालच यह ऐसी बुरी आदत है जो हर आदमी को अपने बस में करने के बाद इसका शिकार करती है। रोज कहीं ना कहीं वर्दी पर दाग वसूली और घूसखोरी के मामले में सामने आ रहा है, लेकिन चूंकि जुआ व्यक्ति अपने मन से खेलता है।
जहां अपराधी आईपीसी को भली भांति जानता है कि उसका क्या होने वाला है और क्या उसका बिगड़ सकता है तो वह खुले में इस व्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। उसके सहायक वर्दी वाले जानते हैं कि बहुत बड़ा घटना यदि नहीं घटा तो मेरा कुछ बनने बिगड़ने वाला नहीं है बिगड़ेगा तो सिर्फ समाज और स्थानीय लोगों का मेरा तो ट्रांसफर कहीं और हो जाएगा जब तक मौका है तिजोरी भर लिया जाए चाहे कोई कुछ भी कहे और कोई कुछ भी लिखें।
ज्यादातर मामलों में यदि कोई पत्रकार पुलिस की नाकामी और उनके द्वारा समाज में फैलाई जा रही दुर्गंध को कलम से धार देता है तो या उसकी तलाश करते हैं और दबी जुबान अपने लोगों से कहते हैं कि जरा इनको बारे में पता करो और कहीं कुछ मिल जाए तो फिर इनको बताएं कई आपके जैसे आए और गए ना कुछ बिगाड़ पाए ना कुछ बिगड़ेगा।
कलम की आदत है सच बोलना और लिखना जो निरंतर सांसों की अंतिम डोर तक चलता रहेगा। ध्यान रखिएगा आप समाज की रक्षा और संरक्षण के लिए नियुक्त हुए हैं ना की भक्षण कर दूषित मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए।