Varanasi: जहां कलम और वर्दी दोनो हो सिपहसलार तो कैसे रूकेगा सट्टे का कारोबार

 
Varanasi: Where the warlord has both pen and uniform, then how will the betting business stop?
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सूत्र बताते है कि अपने आपको निडर, निष्पक्ष व ईमानदार कलमकार कहने वालों और कानून के रखवालो के संरक्षण में चल रहा है सट्टे का काला कारोबार

वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के इकबाल को धूमिल कर रहे ये आनलाइन सट्टेबाज व संचालक

सभ्य समाज को बर्बादी के कगार पर ले जा रहे है ये सट्टा कारोबारी

Varanasi: वाराणसी जनपद के विभिन्न इलाकों में इस समय अवैध तरीके से सट्टे का कारोबार चरम पर है। बताया जाता है कि जनपद के कोतवाली, चेतगंज, आदमपुर, जैतपुरा, भेलूपुर, सिगरा, लक्सा, रामनगर सहित तमाम इलाकों में सट्टे का काला कारोबार जोरों से फलफूल रहा है।

जिसके पीछे सम्बन्धित थाना क्षेत्रों की सुस्ती प्रमुख रूप से तो नजर आ रही है, तो वहीं जनपद के कुछ अपने आपको निडर, निष्पक्ष व ईमानदार पत्रकार बताने वाले लोगों की भी भूमिका संदिग्ध है। ज्ञात हो कि जब मुथा अशोक जैन ने वाराणसी के पुलिस कमिश्नर की कमान संभाली तो उसी समय उनके द्वारा पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये कहा गया था कि जनपद से नशा, सट्टा व जुए के कारोबार को समाप्त कराना ही उनकी पहली प्राथमिकता है।

परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि उनके मातहतों पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा जिसके कारण यह सट्टे का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। जनपद के इन विभिन्न इलाकों में खुलेआम अवैध सट्टा का कारोबार बेखौफ व निडर होकर किया जा रहा है।

जिससे सभ्य समाज के लोग अब धीरे धीरे बर्बादी के कगार पर जाते हुये नजर आ रहे है। जहां समाज का एक गरीब वर्ग जो दिन भर अपना खून पसीना बहाकर कुछ पैसे कमाता है, जिसे वह चार पैसे ज्यादा कमाने की लालच में इन सट्टेबाजों को जाकर सौंप देता है, और हारकर अपना मुंह लटकाये अपने परिवार के सामने जाकर खड़ा हो जाता है और परिवार का पेट भी भरने में वह असफल रहता है।

वहीं सवाल यह उठता है कि क्या इस अवैध कारोबार की जानकारी सम्बन्धित थानों की पुलिस को नहीं है, क्या थाने का खुफिया तंत्र नाकारा हो चुका है या फिर सब कुछ जानते हुये भी थानों की पुलिस अपनी आंखों पर गांधारी रूपी पट्टी बांधे हुये है।

तो वहीं सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार जब कलमकार व खाकी ही जब इन सट्टेबाजों की सिपहसलार बनकर खड़ी रहेगी तो ये काला कारोबार तो तेजी से चलेगा ही। सूत्र बताते है कि इस अवैध सट्टा का कारोबार करने वाले लोगों का सहयोग कुछ पत्रकाररूपी समाज के दुश्मनों के द्वारा किया जाता है।

जिससे इन असामाजिक तत्वों का इकबाल बुलंद है। ये सट्टा संचालक जो अपनी उंची पहुंच के चलते इस अवैध कार्य को अंजाम दे रहे है। जिसके दबाव में आकर थाना स्थानीय की पुलिस इस पर कार्यवाही करने से पीछे हटती है।

वहीं उच्चाधिकारियों के द्वारा अपराध बैठक भी किया जाता है और अपने मातहतों को अवैध कार्याें पर रोक लगाने के लिये भी आदेशित किया जाता है, परन्तु ऐसा लगता है कि उच्चाधिकारियों का आदेश सिर्फ बैठक हाल तक ही सीमित होकर रह जाता है।

सूत्र बताते है कि इन सट्टेबाजों का आलम यह है कि जिस स्थान पर इस सट्टे का खेल खेला जाता है, उस स्थान पर यदि कोई पत्रकार मौके की फोटो वीडियों बनाने जाता है तो इनके संरक्षणदाता कोई पत्रकार या पुलिस विभाग के लोग तत्काल उक्त पत्रकार को समाचार संकलन कर उसे प्रसारित व प्रकाशित करने से रोक देते है।

ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के द्वारा दिया जा रहा वेतन इन्हें कम पड़ता है जो इन सट्टेबाजों का समर्थन किया जाता है। अब सवाल यह है कि पुलिस कमिश्नर के द्वारा नशा, सट्टा व जुए पर कार्यवाही को लेकर जो बाते कही गयी थी, क्या वह अमल में आयेगी या नहीं, या ये सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा ये तो भविष्य के गर्भ में है, फिलहाल तफ्तीश जारी है।

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