Varanasi News: 31 दिसम्बर के बाद गंगा में नहीं चलेंगे डीजल से चलने वाली नौकायें : मंडलायुक्त

 
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डीजल इंजन नावों के धुएं से काशी के घाटों की खूबसूरती को नजर लग रही है। दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। 

Varanasi News: वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि डीजल इंजन से निकलने वाला धुआं दुनिया को आकर्षित करने वाले घाटों की खूबसूरती पर धब्बा लगा रहे हैं। नावों की लीकेज से गंगा में कई जगहों पर ऑयल स्पील (डीजल की सतह) बने हैं और इसे गंगा में स्नान, आचमन करने वालों के साथ ही जलीय जीवों के लिए भी खतरनाक माना जा रहा है।

डीजल इंजन से हो रहे नुकसान की रिपोर्ट सामने आने के बाद 31 दिसंबर की समयसीमा तय की गई है और इसके बाद डीजल इंजन पर पूर्णतया प्रतिबंध लागू किया जाएगा।

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रिपोर्ट सामने आने के बाद 31 दिसंबर के बाद प्रशासन गंगा से डीजल इंजन वाली नावों को हटाएगा। कई नावों में सीएनजी इंजन लगाए गए, मगर उन्होंने डीजल इंजन जमा करने की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों की नाव में इसका उपयोग शुरू कर दिया है।

गेल इंडिया की ओर से 31 दिसंबर तक ही निशुल्क सीएनजी इंजन नावों में लगाए जाएंगे। गेल इंडिया को प्रशासन ने राजेंद्र प्रसाद घाट पर जगह मुहैया करा दी है और यहां सीएनजी इंजन का वर्कशॉप संचालित होगा।

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बताते चले कि अपनी खूबसूरती से सैलानियों को रिझाने वाले अर्धचंद्राकार घाटों की खूबसूरती पर कार्बन की परत कालिख पोत रही है। वह है गंगा में दौड़ रहीं डीजल इंजन नावों का धुआं। यह खुलासा पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम ने शोध के बाद प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, दशाश्वमेध, शीतला, चेतसिंह किला घाट सहित 12 से ज्यादा घाटों की दीवारों पर सैकड़ों काले धब्बे (ब्लैक सर्किल) लग रहे हैं। साथ ही यहां आने वाले सैलानियों की सेहत भी धुएं की वजह से खराब हो रही है। 

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इन नावों से लीकेज के बाद निकलने वाला ईंधन गंगा की सतह पर तैर रहा है। इससे गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और जलीय जीवों के जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो रहा है। दरअसल, देव दीपावली से पहले प्रशासन ने गंगा में जल परिवहन की संभावनाओं पर विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की रिपोर्ट तैयार कराई थी। 

इसमें डीजल इंजन वाली नावों के संचालन से घाटों, सैलानियों और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान पर रिपोर्ट दी गई है। इसके मुताबिक कार्बन की परत जमा होने से घाटों पर बने धब्बे के कारण इसकी एकरूपता समाप्त हो रही है। साथ ही घाटों के मूल रंगरूप को बचाते हुए इस कालिख को हटाना मुश्किल हो रहा है।

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प्रशासन को मिली रिपोर्ट में अस्सी से नमो घाट तक कई जगहों पर सतह पर डीजल की सतह भी बनी हुई मिली है। जिन जगहाें पर ऑयल स्पील बन रहा है, उन क्षेत्रों में रहने वाले जलीय जीवों तक ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा भी नहीं पहुंच पाएगी।

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