Varanasi News: संदेह का लाभ मिला आरोपियों को, न्यायालय ने किया आरोप से दोषमुक्त
Varanasi News: न्यायालय अपर सिविल जज (जू. डि.), न्यायिक मजिस्ट्रेट, कक्ष संख्या-02, में चल रहे मुकदमा सं. 3120/2020 सरकार बनाम मो. फरहान, डा. मोहिबउल्ला, अखतरी बेगम, मो. इमरान, जुबैरिया, फातिमा, निवासीगण् जी. टी. बी. नगर करैली, करैली, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, थाना चेतगंज वाराणसी, धारा 498ए, 323, 504, 506 भा.दं.सं., 3/4 डी.पी.एक्ट. मु.अ.सं. 205/2019 में न्यायालय के द्वारा निर्णय किया गया।
जिसमें अभियुक्तगण मो. फरहान, डा. मोहिबउल्ला, अखतरी बेगम, मो. इमरान, जुबैरिया, फातिमा को न्यायालय के द्वारा संदेह का लाभ देते हुये दोषमुक्त कर दिया गया। जिसमें सम्बन्ध में बताया जाता है कि वादिनी मुकदमा की शादी दिनांक 04/11/2017 को विपक्षी के साथ हुआ तथा शादी के पश्चात् विपक्षीगण द्वारा वादिनी मुकदमा को दहेज की मांग को लेकर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, मारा पीटा, गाली गलौज दिया व जान से मारने की धमकी दिया गया।
न्यायालय जिला एवं स आरोप-पत्र पर प्रसंज्ञान लिया गया एवं अभियुक्तगण के द्वारा न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर जमानत करायी गयी थी। जिसमें अभियुक्तगणों ने आरोप से इंकार किया और विचारण की याचना की। अभियोजन की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के साथ-साथ मौखिक साक्ष्य में शाहिना परवीन को पी.डब्ल्यू. 1 व रियाज अहमद को पी.डब्ल्यू 2 के रूप में परीक्षित कराया गया था।
अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्तागणें कुलदीप गुप्ता, हृदयानंद यादव, रवि कुमार, सत्यम गुप्ता, और महिमा गुप्ता के द्वारा अभियोजन प्रपत्रों की औपचारिक वैद्यता को धारा 294 दं.प्र.सं. के तहत स्वीकार किया गया तथा अभियोजन का साक्ष्य के अवसर को समाप्त किया गया। अभियुक्तगण का बयान धारा 313 दं.प्र.सं. दर्ज किया गया, जिसमें अभियुक्तगण द्वारा साक्षी के बयान के संबंध में कहा गया है कि कुछ नहीं कहना है सफाई देने से इंकार किया। अभियोजन अधिकारी एवं बचावपक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिशीलन किया।
अभियोजन कथानक के अनुसार अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोप है कि अभियुक्तगण द्वारा वादिनी मुकदमा से शादी के पश्चात् दहेज की मांग को लेकर वादिनी मुकदमा को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, मारपीट किया, गाली गुप्ता दिया व जान से मारने की धमकी दिया गया। जहां पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि शाहिना परवीन सिंह के द्वारा कहा गया है कि मेरी शादी मो. फरहान के साथ हुई थी।
शादी के बाद जब मैं ससुराल गयी तो ससुराल वालों के साथ घरेलू कामकाज को लेकर कहा सुनी होने लगी व मेरे पति के साथ भी मतभेद हो गया, लेकिन मुल्जिमान के साथ केवल कहा सुनी हुई थी। मुल्जिमान ने मुझे प्रताड़ित नहीं किया था, न ही मारा पीटा था. न ही गाली गलौज किया था और न ही जान से मारने की धमकी दिया था। मुल्जिमान ने मुझसे कभी दहेज की मांग नहीं किया था।
मैंने लोगों के कहने के आधार पर थाना चेतगंज में तहरीर दिया था जो संलग्न पत्रावली है। साक्षी ने पत्रावली में संलग्न तहरीर एवं उस पर बने हस्ताक्षर को तस्दीक किया। जिस पर प्रदर्शक डाला गया। साक्षी को इस स्तर पर पक्षद्रोही घोषित किया गया। विद्वान अभियोजन अधिकारी द्वारा साक्षी का प्रतिपरीक्षा किया गया तो साक्षी द्वारा कहा गया है कि साक्षी को 161 दं.प्र.सं. का बयान पढ़कर सुनाया गया तो साक्षी ने बताया कि मैंने दरोगा जी को कोई बयान नहीं दिया था।
दरोगा जी ने कैसे लिख लिया मैं इसकी वजह नहीं बता सकती। रियाज अहमद पी.डब्ल्यू 2 द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा में कथन किया गया है कि मेरी पुत्री की शादी विपक्षी के साथ हुई थी। शादी के बाद मेरी पुत्री व उसके ससुराल वालों में मतभेद हो गया था। मुल्जिमान द्वारा मेरी जानकारी में मेरी पुत्री के दहेज की मांग नहीं की थी, न ही मुल्जिमान ने मेरी बेटी को मारा पीटा था, न ही गाली गलौज दिया था और न ही जान से मारने की धमकी दिया था और न ही दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया था।
साक्षी को इस स्तर पर पक्षद्रोही घोषित किया गया। विद्वान अभियोजन अधिकारी द्वारा साक्षी का प्रतिपरीक्षा किया गया। साक्षी द्वारा प्रतिपरीक्षा में कथन किया गया है कि गवाह को धारा 161 दं.प्र.सं. का बयान पढ़कर सुनाया गया। उसने इंकार किया और कहा कि दरोगा जी मेरा बयान कैसे लिख लिये मैं इसकी वजह नहीं सकता निष्कर्ष यादिनी द्वारा तहरीर में विपक्षीगण के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराते हुये कथन किया गया है कि ‘‘विपक्षीगण द्वारा वादिनी मुकदमा से शादी के पश्चात् दहेज की मांग को लेकर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, मारपीट किया, गाली गुप्ता दिया व जान से मारने की धमकी दिया।
विवेचना के साक्षीगण के बयान, अन्तर्गत धारा 161 दं.प्र. सं. के आधार पर अभियुक्तगणों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त साक्षीगण के बयानात के आधार पर अभियुक्तगण द्वारा कथित घटना का कारित किया जाना साबित नहीं होता है। इसके अतिरिक्त अभियोजन द्वारा अन्य किसी साक्षी को न्यायालय के समक्ष परीक्षित नहीं कराया गया है।
अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्षीगण के बयान से अभियोजन कथानक संदेह की परिधि में आता है। न्याय का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि प्रत्येक संदेह का लाभ अभियुकगण को दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि अभियोजन पक्ष द्वारा जितने गवाहों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, उनके द्वारा अभियोजन कथानक का समर्थन नहीं किया गया।
वहीं न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकार पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे कि अभियुक्तगण के विरुद्ध आरोप युक्तियुक्त संदेह से परे साबित माना जा सके। अतः अभियुक्तगण दोषमुक्त किये जाने योग्य है। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्तागण कुलदीप गुप्ता, हृदयानंद यादव, रवि कुमार, सत्यम गुप्ता, और महिमा गुप्ता ने पक्ष रखा।