Varanasi: पिता गुम हुए तो गांव वाले बोले- श्राद्ध कर दो

Varanasi: महाकुंभ के दाैरान संगम नोज से एक बुजुर्ग अपने परिवार से बिछड़ गए। पटना के रहने वाले 85 वर्षीय पिता को खोने के बाद बेटे-बहू और परिवार के लोग रोने-बिलखने लगे। फिर भी हार नहीं मानी। वे अपने गांव, रिश्तेदारों से पता करने के बाद दोबारा प्रयागनगरी में बुजुर्ग की खोज शुरू की लेकिन असफल हो गए।
दूसरी तरफ, काशी में समाजसेवी अमन कबीर को बीते पांच मार्च को एक काॅल आया कि मुकीमगंज में सड़क पर एक बुजुर्ग पड़े हुए हैं। उनके पैर में चोट लगने के कारण वह चल नहीं पा रहे हैं। अमन ने उन्हें अपने छाया-कबीर की कुटिया में पनाह दी। इसके बाद उनके परिवार की खोज में जुट गए।
बुजुर्ग ने अपना नाम गंगाधर मिश्रा बताया। वे पोस्ट ऑफिस से रिटायर्ड हो चुके हैं। उनकी चार बेटियां और तीन बेटे सहित नाती-पोतो से भरा-पूरा परिवार भी है। गंगाधर ने बताया कि बीते 22 फरवरी को वे अपने परिवार के साथ स्नान कर रहे थे। उनका बेटा कपड़े धोने के लिए गया, तभी भीड़ में वे गुम हो गए।
बताया कि शाम तक बेटे-बहू नहीं मिले तो पलट प्रवाह के लिए एक सज्जन ने उन्हें काशी आने वाली बस में बिठा दिया। तभी से काशी की सड़कों पर भटक रहा था। एक हादसे में पैर में चोट लग गई तो अमन मुझे उठाकर अपने कुटिया में ले आएं।
वहीं, बेटे भोला मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ से निराश होकर गांव पहुंचा तो कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि तुमने अपने पिता को कहीं छोड़ दिया होगा और खोने का नाटक कर रहे हो। पिता के लिए हर पूजा-पाठ और मन्नतें की। इसके बाद परिवार के लोग उनका श्राद्ध करने जा रहे थे तभी गांव के मुखिया ने पिताजी के काशी में होने की तस्दीक की।
भोला ने बताया कि मैं रात में ही काशी के लिए अपने परिवार के साथ रवाना हो गया। फोन पर बात करते-करते अमन कबीर के घर पहुंचा तो पिता को सही-सलामत देख मैं और मेरा परिवार का खुशी का ठिकाना न रहा।
अमन कबीर ने बताया कि परिवार शुक्रवार की भोर में तकरीबन 4 बजे छाया-कबीर की कुटिया में पहुंचा। बुजुर्ग पिता को देखकर बेटा और उनका परिवार काफी भावुक हो उठा था। वहीं, बुजुर्ग के परिवार ने अमन को काफी आशीर्वाद दिए।